
वास्तविक सत्ता समाज के पास Publish Date : 26/03/2025
वास्तविक सत्ता समाज के पास
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
भारत का विचार सदैव यह रहा है कि जैसा समाज होगा वैसी ही सत्ताएं भी आएंगी। जब समाज में शिवाजी की भावना प्रबल होती है तब औरंगजेब की सत्ता कमजोर पड़ती है। लेकिन वहीं जब मिर्जा राज जयसिंह की भावना प्रभावी होती है तब औरंगजेब की सत्ता मजबूत हो जाती है अर्थात सत्ता की शक्ति उस पर आसीन व्यक्ति के पास नहीं बल्कि समाज के पास होती है कि वह कैसा विचार और व्यवहार करता है।
अंग्रेजों की सत्ता तब तक मजबूत बनी रही जब तक भारतीय युवकों की आकांक्षा अंग्रेजी फौज की नौकरी की थी, लेकिन जब भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और सुभाषचंद्र जैसे योद्धाओं ने भारतीय युवकों की आकांक्षाओं को स्वराज की दिशा दी, तब अंग्रेजी हुकूमत के पांव भारत से उखड़ने को विवश हो गए।
स्वाधीनता प्राप्ति के बाद अपना समाज एक बार फिर से दीर्घ निंद्रा में चला गया और परिणाम स्वरूप सत्ता अंग्रेजी परस्त हो गई तथा अकबर महान हो गया लेकिन जैसे ही यह समाज निंद्रा से जागकर तंद्रा की अवस्था में आया तो वही सत्ता भारतीय दर्शन की विश्व स्वीकार्यता योग के रूप में हो या राम मंदिर की पताका के रूप में भारत का गगन चुंबी गौरव हो इन सबके लिए प्रतिबद्ध दिखाई देने लगी। आज के निरेटिव के दौर में एक नेरेटिव यह भी है कि किस प्रकार भारतीय समाज अपने स्व को विस्मृत कर अपनी सभी आवश्यकताओं एवं चुनौतियों के लिए सत्ता पर निर्भर बना रहे जिससे भारत की विरोधी शक्तियां अपने मंसूबों में सदैव सफल होती रहीं। अतः हमें अपने समाज के स्वत्व को जगाना होगा।
इसलिए जब तक हमारे राष्ट्र की स्थिति जैसी हम चाहते हैं वैसे न हो जाय तब तक समाज जागरण और समाज प्रबोधन के माध्यम से समाज के सशक्तिकरण का कार्य निरंतर करते रहना होगा। आज के समय में यही देशभक्ति का प्रकटीकरण होगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।