कृषि के अन्तर्गत नवाचार का आधार बनती नवीन तकनीकें      Publish Date : 06/03/2025

कृषि के अन्तर्गत नवाचार का आधार बनती नवीन तकनीकें

                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कर्तिकेय

आकाश में छाए बादलों को देखकर करना अब गुजरे जमाने की हो चुकी है। वर्तमान में किसान मोबाइल की स्क्रीन पर मौसम का पूर्वानुमान देख लेते हैं और ड्रोन के द्वारा खेतों में दवाओं का छिड़काव कर रहें हैं। कृषि क्षेत्र को एक लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए नित नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी सम्बन्ध में सरकार भी नित नई योजनाएं लेकर आ रही है और किसानों को तकनीक से सम्पन्न करने के लिए सहायता प्रदान कर रही है और बड़े-बड़े संस्थान भी शोध कार्यों में पूरी तत्परता से जुटे हुए हैं।

नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पिछली 22, 23 और 24 फरवरी को आयोजित किए गए किसान मेले में किसानों की बड़ी संख्या में की गई भागीदारी से ज्ञात होात है कि देश का किसान अब आधुनिक तकनीक के साथ कदमताल मिलाने के लिए बिलकुल तैयार है।

बैटरी चालित मशीनरी का बढ़ता चलन

खेती के कार्यों में ईंधन का उपयोग अब बस कुछ ही समय की बात है, क्योंकि प्रदूषण मुक्त खेती का दौर अब शुरू हो चुका है। बैटरी चालित कृषि मशीनरी किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। खेती के काम आने वाली य मशीनें इंजन के शोर और धुएं आदि से पूरी तरह से मुक्त होती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इस नई मशीनरी का उपयोग पारंपरिक मशीनरी की तुलना में बहुत किफायती है। हाल ही में 22 से 24 फरवरी को आयोजित किए गए तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेले में इन कृषि उपकरणों ने अपनी ओर किसानों का ध्यान भी आकर्षित किया।

एक ओर ड्रोन जहाँ खेती के कामों को आसान बना रहें हैं, वहीं मल्टी यूटिलिटी फॉर्मिंग व्हीकल खेती को अधिक किफायती बना रहें हैं। लगभग एक से दो लाख रूपये की लागत वाला यह कृषि व्हीकल खेत की जुताई, निराई, कीटनाशकों का छिड़काव तथा फसल की कटाई के जैसे विभिन्न कार्य बिना किसी शोर-शराबे के करता है। यह यंत्र वजन में हल्का और चलाने में भी काफी आसान होता है। बिजली के द्वारा चलने वाले इस कृषि वाहन को चलाने के लिए ड्राइविंग लाईसेंस की भी आवश्यकता नही होती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस व्हीकल में आवश्यकता के अनुसार टूल्स को लगाकर विभिन्न प्रकार के काम किए जा सकते है। इस व्हीकल को चलाना काफी आसान है और इसको चलाने से थकान भी नही होती है, जिससे कार्य की दक्षता में वृद्वि होती है। कृषि काम आने वाले इस व्हीकल को कम स्थान पर ही रखा जा सकता है।

तनाव में कमीः बैटरियों से चलने वाली मशीनरी खेती की लागत को भी काफी कम कर देती है। यदि डीजल-पेट्रोल चालित उपकरण प्रति घंटे की लागत 200 रूपये आती है तो बैटरी से चलने वाले उपकरण के माध्यम से यह लागत 10 से 20 रूपये तक की ही आती है। इस प्रकार जब मुनाफा बढ़ेगा तो किसान भी कृषि में अधिक रूचि दिखाएंगे।

बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर के माध्यम से होगी स्मार्ट खेती

आगे आने वाले समय में खेती-किसानी पूरी तरह से स्मार्ट हो जाएगी। परंपरागत खेती को स्मार्ट बनाने के लिए नए-नए कृषि उपरणों का विकास किया जा रहा है। बिना ड्राइवर वाला ट्रैक्टर अभी परीक्षण के दौर में ही है, जबकि खेती के लिए रोबोट के प्रोटोटाइप तैयार किए जा चुके हैं। अगले एक वर्ष के अंदर ही यह सब उपकरण बाजार में उपलब्ध होंगे।

जर्मनी में इंजीनियरिंग करने वाले सुचित शर्मा ने नौकरी की, लेकिन कोरोना महामारी के दौर में वापस भारत लौट आए। उत्तराखंड़ में अपनी खेतीबाड़ी को करीब से देखने के बाद उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का उपयोग किसानों के लाभ के लिए करने का फैंसला लिया। पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रैक्टर चलाना काफी मुश्किल भरा काम होता है, अतः इसके लिए उन्होंने बिना ड्राइवर के चलने वाले मिनी ट्रैक्टर बनाने के सम्बन्ध में विचार किया। छोटे आकार के यह मिनी ईवी टैक्टर्स बैटरी के माध्यम से चलते हैं और रिमोट से कंट्रोल किए जाते हैं।

यह ट्रैक्टर 500 किलोग्राम तक का वेट कैरी करने में सक्षम होने के साथ ही विभिन्न कृषि कार्यों के लिए उपयोगी होते हैं। सुचित बताते हैं कि यह ट्रैक्टर एक से दो लाख रूपये की रेंज में उपलब्ध होंगे और वर्तमान में यह टेस्टिंग के दौर में हैं।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • वर्ष 2023-24 में भारत में 354.74 मिलियन टन तक का हॉर्टीकल्चर उत्पादन हुआ है।
  • 12.0 प्रतिशत की हिस्सेदारी है भारत की वैश्विक हॉर्टीकल्चर के उत्पादन में।
  • वर्ष 2023-24 में लगभग 20,623 हजार करोड़ रूपये की कीमत के प्रसंस्कृत फलों एवं सब्जियों का निर्यात किया गया।
  • 15,039 हजार करोड़ रूपये मूल्य के ताजे फलों एवं सब्जियों का निर्यात वर्ष 2023-24 में भारत के द्वारा किया गया।
  • भारत में 86.2 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास दो हेक्टेयर अथवा इससे कम  कृषि भूमि है।
  • देश का कृषि क्षेत्र 42.6 प्रतिशत जनसंख्या को रोजगार प्रदान करता है।
  • 3,340 करोड़ रूपये के ताजे अंगूर का निर्यात भारत ने किया वर्ष 2024 में, जबकि वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 793 करोड़ रूपये का ही था।
  • 23 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती करता है भारत और जैविक खेती करने वाले सर्वाधिक किसान भारत में ही हैं।
  • लगभग 6,000 करोड़ रूपये का निर्यात करता है भारत।
  • वर्ष 2026 तक 77 हजार करोड़ रूपये के जैविक कृषि के उत्पादों के निर्यात का अनुमान है।
  • भारत की जीडीपी में कृषि और उससे सम्बन्धित गतिविधियों के द्वारा 16.0 प्रतिशत का योगदान दिया जाता है।
  • भारत में मात्र 2.0 प्रतिशत भू-भाग पर ही जैविक कृषि की जा रही है।
  • भारत के पास उपलब्ध कुल भू-भाग का 60 प्रतिशत से अधिक भू-भाग कृषि के अन्तर्गत प्रयोग किया जाता है।  

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।