पशुओं की जैविक घड़ी को बिगाड़ता मानव      Publish Date : 04/03/2025

            पशुओं की जैविक घड़ी को बिगाड़ता मानव

                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

‘वर्तमान समय में मात्र 39 प्रतिशत स्तनधारी प्रजातियाँ ही कर रही हैं पहले जैसा व्यवहार’

अगर देखा जाए तो वर्तमान समय में मानव केवल अपना ही नहीं, बल्कि जानवरों की जैविक घड़ी के रिदम को भी बिगाड़ रहा है। हाल ही में किए गए एक वैश्विक अध्ययन में सामने आया है कि मानव की गतिविधियाँ, जिसमें प्रमुख रूप से जलवायु परिवर्तन भी शामिल है, धरती के समस्त जीवों की जैविक घड़ी को भी प्रभावित कर सकती हैं। शोधों में पाया गया है कि केवल 39 प्रतिशत स्तनधारी प्रजातियाँ ही पहले के जैसा व्यवहार कर रही हैं। सिडनी विश्ववि़ालय, ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य शोधकर्ताओं के द्वारा किया गया यह अध्ययन साइंस एवांसेस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

                                                 

शोधकर्ताओं के अनुसार, समस्त जानवरों में सैकेंडियन रिदम खनी जैविक घड़ी उपलब्ध होती है। जीव के शरीर की यह आंतरिक घड़ी 24 घंटे के दौरान उसकी दैनिक गतिविधियों का नियंत्रण करती हैं। प्रत्येक प्रजाति के लिए समय के साथ यह एक सामान्य व्यवहार बन जाता है, परन्तु जलवायु परिवर्तन प्रकृति के द्वारा प्रदत्त इस प्राकृतिक चक्र को बाधित कर रहा है, जिसे परिणाम अप्रत्याशित होंगे।

बदलाव के अनुरूप ही स्वयं को ढालते जीव

इस अध्ययन में यह भी जांच की गई कि क्यर स्तनधारियों की स्थिर बनी रहती है या फिर वे बदलावों के अनुसार ही स्वयं को समायोजित भी कर सकते हैं। जांच के परिणामों से सामने आया कि अधिकतर स्तनधारी प्रजातियाँ अनुकूलशील होती हैं और वह अपने दैनिक व्यवहार को परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को बदलने की क्षमता रखती हैं। इस अध्ययन के माध्यम से ज्ञात होता है कि कई जानवर परिवर्तित होते हुए पर्यावरण में अपने जीवित रहने के लिए अपने संचालन पैटर्न को समायोजित करने का प्रयास कर रहें हैं।

44.5 स्तनधारी प्रजातियों का विश्लेषण

इस परिवर्तन को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने 44.5 स्तनधारी प्रजातियों के वीडियो फुटेज का विश्लेषण कर उनकी 24 घंटे की दैनिक गतिविधियों का गहन अध्ययन किया। इस अध्ययन में 38 देशों के 20,080 स्थानों पर लगे कैमरों से प्राप्त हुई फुटेज शामिल की गई थी। इन सभी फुटेजों का अध्ययन करने के बाद पाया गया कि केवल 39 प्रतिशत स्तनधारी प्रजातियों का व्यवहार ही पहले किए गए शोधों के परिणामों से मेल खाता है।

प्रकाश की अवधि का भी होता है प्रभाव

                                      

शोधकर्ताओं के द्वारा 126 प्रजातियों का अधिक गहन अध्ययन किया गया और यह समझने का प्रयास किया गया कि भूगोल प्रजातियों के व्यवहार को किस प्रकार से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। इसके तहत शोधकर्ताओं ने पाया कि भूमध्य रेखा से दूरी दिन के प्रकाश की अवधि और मानव की गतिविधियों का प्रभाव 74 प्रतिशत प्रजातियों के दैनिक व्यवहार पर स्पष्ट रूप से पड़ता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।