
विश्व मौसम संगठन का अनुमान इस बार अधिक पड़ेगी गर्मी, सूखा और लू जैसी घटनाएं भी बढ़ेगी Publish Date : 25/02/2025
विश्व मौसम संगठन का अनुमान इस बार अधिक पड़ेगी गर्मी, सूखा और लू जैसी घटनाएं भी बढ़ेगी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
आने वाले महीनों मार्च से लेकर जून 2025 के दौरान वैश्विक स्तर पर तापमान सामान से अधिक रहने की संभावना व्यक्त की गई है। विशेष रूप से अरब प्रायद्वीप, उत्तर पूर्वी एशिया, पश्चिम तटीय भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में अधिक गर्मी दर्ज की जा रही है।
विश्व मौसम संगठन के अनुसार इसके साथ ही सूखा, लू और भारी बारिश जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं, जो बीमारियों और कीटों के हमले को बढ़ावा देकर फसलों की पैदावार और गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव भी डाल सकती हैं। पिछले तीन महीनों नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के मौसम के आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि आगामी मौसम में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।
इस मौसम में गर्मी सामान्य से अधिक ही बनी रहेगी। विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट अवगत कराती है कि नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच ज्यादातर महासागरों में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से अधिक रहा था। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी महीनों में गर्मी अधिक ही बनी रहेगी।
दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में अधिक वर्षा की संभावना
मार्च में 2024 के दौरान बारिश का अनुमान सामान्य ला नीना पैटर्न से मेल खाता है, हालांकि इस अवधि में स्थिति के तटस्थ रहने की उम्मीद की जा रही है।
इससे दक्षिणी अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशिया में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। जबकि मध्य और दक्षिणी उत्तरी अमेरिका खासकर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में कम वर्षा होने की संभावना भी जताई गई है।
दुनिया के जिन क्षेत्रों में तापमान के सामान्य से अधिक रहने की आशंका है, उनमें अफ्रीका के बड़े हिस्से मेडागास्कर, ज्यादातर एशियाई क्षेत्र, दक्षिणी अमेरिका के कुछ भाग, कैरेबियन मध्य अमेरिका, उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से, पश्चिमी प्रशांत सागर और पूरा यूरोप शामिल है। विशेष रूप से अरब प्रायद्वीप, उत्तर पूर्वी एशिया, पश्चिम तटीय भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में तापमान सामान्य से कहीं अधिक हो सकता है।
हिंद महासागर में भी गर्मी के संकेत
विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हिंद महासागर भी सामान्य से अधिक ठंडा रहा और हिंद महासागर द्विध्रुवी विसंगति आई और ओसत से नीचे थी। यह पैटर्न भारत समेत अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में मौसम को प्रभावित कर सकता है, जिससे आगामी महीनों में अधिक गर्मी पड़ने की संभावना जताई गई है।
अल नीनो या ला नीना का प्रभाव नहीं
मार्च से मई 2025 तक प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में समुद्र की सतह का तापमान समान्य होने की उम्मीद है, जिससे इस दौरान कोई मजबूत अल नीनो या ला नीना का प्रभाव नहीं रहेगा। यह स्थिति अल नीनो दक्षिणी दोलन इनसो की तटस्थ अवस्था को दर्शाती है। हालांकि भूमध्य रेखीय अटलांटिक महासागर के उत्तरी और दक्षिणी भागों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।
अधिक गर्मी का फसल उत्पादन पर भी पड़ेगा प्रभाव
आगामी महीनों में लगातार तापमान अधिक रहने की संभावना के चलते रबी तथा जायद की फसले भी प्रभावित होंगी यदि तापमान अधिक बढ़ गया तो अनुमान लगाया जा सकता है कि गेहूं चना, मटर और अरहर का उत्पादन तथा सूरजमुखी और बेल वाली सब्जियां जैसे तरबूज, खरबूजा और ककड़ी आदि का उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।