
गुड़ उद्यमी बन सकते हैं गन्ना उत्पादक किसान Publish Date : 20/02/2025
गुड़ उद्यमी बन सकते हैं गन्ना उत्पादक किसान
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
दुनियाभर की मिठाइयों, बेकरी और कन्पफेक्शनरी उत्पादों के साथ-साथ अनेक दवाइयों में बड़ी मात्रा में गुड़ का उपयोग निरंतर बढ़ रहा है। इससे चीनी की तुलना में अब गुड़ की माँग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अब गुड़ उत्पादक छोटे और मझौले किसान भी इससे अधिक लाभ कमा सकते हैं। केन्द्र सरकार की स्टार्टअप योजना का लाभ उठाकर गन्ना किसान, अब गुड़ उत्पादन की इकाई स्थापित कर गुड़ उद्यमी भी बन सकते हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के कृषि एवं प्रसंस्करित खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वर्ष 2019-20 के दौरान विश्व को 1633.64 करोड़ रुपए अर्थात 227.90 मिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य के 3,41,155.34 मीट्रिक टन गुड़ और गुड़ के उत्पादों का निर्यात किया है।
यह आंकड़ा बताता है कि भारत अब चीनी के साथ ही गुड़ का भी बड़ा निर्यातक देश बनकर उभर रहा है। चीनी के साथ गुड़ का उत्पादन भी देश में संगठित तौर पर हो सके, इसके लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के गन्ने से संबंधित विभिन्न शोध संस्थान और विभिन्न राज्य सरकारों के कृषि एवं गन्ना विभाग, किसानों को प्रोत्साहित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाला खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग भी गुड़ एवं खांडसारी उद्योग को बढ़ावा देने का काम कर रहा है।
सेहत के लिए अति लाभकारी है गुड़
गुड़ एक अशोधित प्राकृतिक चीनी है। यह बिना किसी रसायन के प्रयोग से उत्पादित किया जाता है। विश्व में कुल गुड़ उत्पादन का 70 प्रतिशत से अधिक उत्पादन अकेले भारत में ही किया जाता है। गुड़ को लोकप्रिय रूप से ‘औषधीय चीनी’ के नाम से भी जाना जाता है और पोषकता के आधार पर यह शहद के साथ तुलनीय है। गत 3000 वर्षोंं से गुड़ को आयुर्वेदिक चिकित्सा के अन्तर्गत मीठे के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में गुड़ को गले और फेफड़ों के संक्रमण और इसके उपचार में काफी लाभकारी समझा जाता है। शोधित चीनी मुख्य रूप से ग्लूकोज और फ्रक्टोज होती है, वहीं गुड़ में ग्लूकोज और सुक्रोज भी शामिल हैं। लेकिन इसमें खनिज और विटामिन भी विद्यमान होते हैं, जो कि शोधित चीनी में नहीं होते हैं।
गुड़ के खनिज तत्वों में कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, लौह और जिंक तथा तांबे की क ुछ मात्रा उपलब्ध होती है। विटामिन्स में फोलिक एसिड और बी. कॉम्प्लेक्स आदि शामिल होते हैं। इस प्रकार, गुड़ ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत होता है इसके अलावा, यह गठिया रोग और पित्त के विकारों को भी शांत करता है। केवल इतना ही नहीं यह थकान को हटाने में भी मदद करता है।
यह मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं को शिथिल करने में, रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने तथा जल अवरोधन को कम करने में भी सहायक सिद्व होता है। गुड़, हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में और खून की कमी को दूर करने में भी मददगार होता है।
गन्ना पेराई के लिए कोल्हू खरीदने के लिए गुड़ उत्पादन इकाई स्थापित करने को लेकर आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। देश में सबसे अधिक गन्ना और गुड़ का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में छोटी-बड़ी कुल मिलाकर 10 हजार से अधिक गुड़ उत्पादन इकाइयां स्थापित हैं। प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी है। यहां पर गन्ना पैदा करने वाले किसानों के अलावा लाखों लोग गुड़ उद्योग से जुड़े हुए हैं। इन गुड़ उत्पादन इकाइयों को अत्याधुनिक बनाने के लिए भी काम किया जा रहा है।
भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ भी गुड़ बनाने के लिए लोगों को प्रशिक्षित कर रहा है। संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में चीनी मिलें बंद हो गई हैं, वहां गुड़ उत्पादन की भरपूर संभावनाएं हैं। ऐसे क्षेत्रों में बेरोजगार युवाओं को गुड़ उत्पादन में रोजगार देने के लिए गुड़ प्रसंस्करण और प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जा रही है। संस्थान की ओर से गुड़ उत्पादकता को बढ़ाने के लिए गुड़ उत्पादन की भट्टी और चिमनी को बेहतर डिजाइन में तैयार किया गया है। इसके माध्यम से गुड़ का उत्पादन करने में चिमनी से धुआं कम निकलता है जिससे प्रदूषण भी कम होता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।