
देश में कृषि विज्ञान केन्द्रों की गौरवशाली यात्रा Publish Date : 18/02/2025
देश में कृषि विज्ञान केन्द्रों की गौरवशाली यात्रा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
हमारे देश में पहले कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) की स्थापना पुडुचेरी में वर्ष 1974 में की गई थी। और वर्ष 2024 को केवीके की स्थापना की स्वर्ण जयंती के रूप में सम्पूर्ण देश में मनाया गया। देश की राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (नार्स) में कृषि विज्ञान केन्द्रों की भुमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण रही है। केवीके, कृषि अनुसंधान संस्थानों और किसानों के बीच एक सम्पर्क सूत्र का कार्य करते हुए नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकियों, अद्यतन कृषि ज्ञान, तकनीकी कौशल और नवीन जानकारियों का प्रभावी प्रसार करते हैं।
केवीके, ने निःसन्देह किसानों को जागरूक करने तथा उन्हें खेत प्रदर्शनों के माध्यम से पारंगत करने का महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाया है। इन सभी प्रयासों के परिणम स्वरूप ही देश में खाद्यान्न और बागवानी फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन के रूप में आसानी से देखे जा सकते सकते हैं।
पिछले पाँच दशकों के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्वि भी होती रही है जो कि वर्तमान में 731 कृषि विज्ञान केन्द्र तक पहुँच चुकी है। यह अवगत कराने की आवश्यकता नही है कि देश प्रत्येक जिले में कम से कम एक तो कई जिलों में यह संख्या एक से अधिक है। कृषि विज्ञान केन्द्रों की बढ़ती उपयोगिता और कृषक समुदायों के बीच इनकी बढ़ती लोकप्रियता को दृष्टिगत रखते हुए भविष्य में केवीके की बड़ी संख्या में स्थापना करने पर हमारे नीति नियंताओं का ध्यान केन्द्रित किया है।
ज्ञात हो कि केवीके योजना का कार्यान्वयन भारत सरकार के वित्तीय संसाधनों के द्वारा किया जाता है। भाकृअनुप संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि के क्षेत्र में कार्यरत अनेक गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के द्वारा व्यापक स्तर पर केवीके का संचालन किया जा रहा है।
कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के समय इनसे सम्बन्धित अध्यादेश में कृषि एवं सम्बद्व उद्यमों की स्थान विशिष्ट तकनीकी का आकलन, उसमें जरूरी सुधार और किसानों के खेतों में इनका प्रदर्शन करने आदि क्रियाकलापों को शामिल किया गया था। इसके साथ ही नार्स के साथ देश के प्रत्येक जिले को जोड़ते हुए कृषि विस्तार गतिविधियों के माध्यम से वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान को किसानों तक पहुँचाने का महत्ती कार्य केवीके के द्वारा शानदार ढंग से किया जा रहा है।
ऐसी सभी क्रियाओं का मुख्य ध्येय इन तकनीकों के माध्यम से होने वाले लाभों का प्रदर्शन किसानों के खेतों करना, वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों की क्षमताओं का प्रदर्शन करना, किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करना, बाजारोन्मुख व्यवसायिक महत्व वाली फसलों के बारे में जानकारी प्रदान करना, आईसीटी एवं जनसंचार माध्यमों के द्वारा कृषि परामर्श आदि को किसानों तक पहुँचाना है।
केवल इतना ही नही केवीके के द्वारा उत्पादित गुणवत्ता युक्त बीज, रोपण सामग्रियाँ, जैव एजेंट और पशुधन की उन्नत नस्लों आदि का उत्पादन कर इन्हें किसानों को उपलब्ध कराना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है।
कृषि विज्ञान केन्द्रों के इस शानदार एवं उपलब्धियों से परिपूर्ण इस सफर के दौरान देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही किसानों की समृद्वि में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किसान उपयोगी क्रियाकलापों के चलते ग्रामीण परिवेश, विशेषरूप से किसान समुदाय के बीच, केवीके की लोकप्रियता दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है।
प्रगमिशील और जागरूक किसानों को केवीके के माध्यम से मार्गदश्रन और कृषि से सम्बन्धित अद्यतन जानकारियां समय से ही प्राप्त हो जाती हैं और किसान इन सबका भरपूर लाभ भी उठाते हुए अपनी आय में बढ़ोत्तरी करने में भी सफल हो रहे हैं।
ऐसे में यह कहना कतई भी गलत नही है कि कृषि विज्ञान केन्द्र देश में कृषि विकास के लिए किसानों तक अपनी पहुँच बनाकर किसानों के बीच आधुनिक एवं वैज्ञानिक कृषि सम्बन्धित प्रकाश फैला रहे हैं। इस प्रकार कृषि विज्ञान केन्द्रों से आशा ही नही अपितु विश्वास है कि यह भविष्य में भी भारतीय कृषि को चरम तक पहुँचाने अपनी प्रभावी भूमिका का निवर्हन इसी प्रकार से करते रहेंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।