
गिनी फाउल पालन के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी Publish Date : 16/02/2025
गिनी फाउल पालन के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी
श्री दिनेश कुमार, निवासी ग्राम, अरनावली, जिला मेरठ, एक बेरोजगार युवा थे। इन्होंने भाकृअनुप-केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश के विकसित गिनी फाउल जर्मप्लाज्म और प्रौद्योगिकी मार्गदर्शन के तहत वर्ष 2018 के दौरान गिनी फाउल के पालन की शुरुआत की। इन्होंने 1,000 गिनी पफाउल के साथ अपने खेत में प्रौद्योगिकी का अभ्यास करके, पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल में अंडों, चूजों और जीवित पक्षियों को बेचकर एक वर्ष में 3 से 4 गुना आय अर्जित की।
यह प्रौद्योगिकी देश में गिनी फाउल उत्पादन में क्रांति लाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। गिनी फाउल को ‘टिटारी’ और ‘चित्रा’ के नाम में भी जाना जाता है। अंडे और मांस के लिए कम लागत वाली वैकल्पिक फाउल की प्रजातियां विभिन्न भारतीय कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं और मांस उत्पादन के लिए भी सबसे उपयुक्त हैं। विटामिन से भरपूर और कोलेस्ट्रॉल में कम होने के कारण गिनी फाउल का मांस उपभोक्ताओं के स्वाद और पोषण मूल्य के लिए महत्वपूर्ण है, साथ ही यह पक्षी पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
यह कीट नियंत्राण में सहायक होने के साथ-साथ खेत के लिए खाद भी प्रदान करते हैं।
मादा पक्षी मार्च से सितंबर तक औसतन 90 से 110 अंडे देती है। मौसमी तौर पर प्रजनन/अंडा उत्पादन एक बड़ी समस्या है, जो अंडे के उत्पादन को सीमित करती है। भाकृअनुप-केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश ने सर्दियों के महीनों (नवंबर से फरवरी) के दौरान वर्ष 2016 से 2021 तक गिनी फाउल की पर्ल किस्म में मौसमी प्रजनन से निपटने के लिए 4 प्रयोगात्मक परीक्षण किए। इसका उद्देश्य अंडा उत्पादन में पक्षी की आयु को कम करना था, ताकि अंडा उत्पादन में सुधार हो सके।
संस्थान ने मौसमी समस्याओं से निपटने के लिए इष्टतम आहार उत्पादन और प्रकाश अवधि का पता लगाने हेतु आहार प्रोटीन, विटामिन ‘ई’ और सेलेनियम के विभिन्न स्तरोंद्ध और प्रकाश प्रबंधन हस्तक्षेपों की योजना बनाई। इसके लिए 14 सप्ताह की पत्तियों को एक कमरे में पिंजरों में रखा गया और बढ़ती हुई प्रकाश की अवधि और आहार व्यवस्था को आरम्भ करने से पहले 3 सप्ताह के लिए अनुकूलित किया गया।
18 घंटे औसत प्रकाश तीव्रता के साथ एक-दूसरे से तीन फीट की दूरी पर 60 वॉट के बल्बों का उपयोग कर प्रदान किया जाता है, जिन्हें स्वचालित टाइमर-विनियमित स्विच के माध्यम से नियंत्रित किया गया।
इनके आहार में मक्का, सोाबीन, मछली आहार, सीप का खोल, चूना पत्थर, डीसीपी, नमक, डीएल-मेथियोनीन, टीएम प्रीमिक्स, विटामिन प्रीमिक्स, बी-कॉम्पलेक्स, कोलिन क्लोराइड, टॉक्सिन बाइंडर, विटामिन ई और सेलेनियम शामिल किए जा सकते हैं। परिणामों के माध्यम से यह संकेत भी प्राप्त होता है कि 20 प्रतिशत/कि.ग्रा. (आहार और एस) (0.8 मि.ग्रा./कि.ग्रा. आहार) के साथ 18 घंटे की प्रकाश अवधि में प्रजनन हॉर्मोन एक्टिव हुआ और सर्दियों के महीनों में अंड़ों का उत्पादन हुआ।
अंड़ों का उत्पादन लगभग 21 सप्ताह की आयु में आरम्भ हुआ और पहला अंड़ा सामान्य, अर्थात 36 सप्ताह की तुलना में 15 सप्ताह तक कम आयु में पाया गया। अंड़ों का उत्पादन सर्दियों के महीनों में 53 सं 56 प्रतिशत था, जबकि वार्षिक 180 से 200 अंड़ों का उत्पादन हुआ।
प्रजनन क्षमता (71 प्रतिशत) और हैचबिलिटी (76 प्रतिशत) भी सर्दियों के महीनों (जनवरी और फरवरी) में चूजों के अंदर अच्छी पाई गई। मौसम की समस्याओं से निपटने और गिनी फाउल में उत्पादन एवं प्रजनन क्रिया को सुधारने के लिए 20 प्रतिशत प्रोटीन के साथ विटामिन ‘‘ई’’ (120 मि.ग्रा./कि.ग्रा. आहार) एसई (0.8 मि.ग्रा./कि.ग्रा.) आहार उपयुक्त रहती है।