अंड़े से बनाएं स्वादिष्ट पेड़े      Publish Date : 12/02/2025

                                अंड़े से बनाएं स्वादिष्ट पेड़े

                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

अंडे से पेड़ा बनाने का एक ऐसा फॉर्मूला विकसित किया गया है, जिसमें प्रोटीन की मात्रा 28 प्रतिशत तथा शुगर की मात्रा 8 प्रतिशत होती है। यह फॉर्मूला केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) के वैज्ञानिकों की एक 6 सदस्यों की टीम ने विकसित किया है।

इस पेड़े को तैयार करने में वैज्ञानिकों को 6 महीने का समय लगा। इस पेड़े को दस दिनों तक फ्रिज में सुरक्षित रखा जा सकता है। इस पेड़ें में प्रति 100 ग्राम 28 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा उपलब्ध होती है। इस पेड़े में मानव शरीर के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार के लाभकारी फैट्स की भरपूर मात्रा उपलब्ध होती है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पेड़े को बनाने के लिए बहुत ही सरल विधि को अपनाया गया है।

                                                                

विशेषज्ञों ने बताया कि इस पेड़े को बनाने के लिए सबसे पहले अंडे को विनेगर में मिलाकर फेंटा जाता है। इसके बाद मिश्रण को कपड़े से छानकर इसमें मिल्क पाउडर और मेवे तथा आवश्यक फॉर्मुलेशन के मिश्रण को मिलाया जाता है। इसके बाद पेड़ों को तैयार कर लिया जाता है।

संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस प्रकार के पेड़ों को विशेष रूप से मीठा खाने के शौकीन लोगों को पोषणयुक्त मीठा उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया गया है। इस पेड़े का सेवन करने से ऐसे लोगों को कम से कम शुगर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा की प्राप्ति होती है। पेड़े को बनाने के लिए फॉर्मूले का पेटेंट फाइल कर दिया गया है। संस्थान के द्वारा बताया गया कि आगामी तीन महीने के अंदर यह पेड़े बाजार में बिकने के लिए उपलब्ध होंगे।

                                                                 

वर्तमान समूय में लोग अपनी सेहत के प्रति अधिक सचेत हो चुके हैं। ऐसे में लोग मीठा खाना तो चाहते हैं, लेकिन इसके साथ ही वह चीनी से परहेज भी करना चाहते हैं। भागदौड़ से व्यस्त इस जीवनशैली में अपने लिए समय निकालना कठिन होता जा रहा है। ऐसे में सेहत के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही बहुत से रोगों को निमंत्रण दे सकती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।