आत्मिक बल ही सच्ची और आपकी असली पूंजी होती है      Publish Date : 11/02/2025

         आत्मिक बल ही सच्ची और आपकी असली पूंजी होती है

                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

जहां तक बल का प्रश्न है तो बल तीन प्रकार के होते हैं शारीरिक बल, मानसिक बल और आध्यात्मिक बल। इन तीनों प्रकार के बलों से समृद्ध व्यक्ति ही उत्साह से परिपूर्ण होता है, जिससे वह जीवन में कोई भी अनुष्ठान सफलता पूर्वक कर सकता है। ऐसे में श्रम के बिना शारीरिक बल प्राप्त नहीं किया जा सकता। आज जबकि हम अपने अधिकांश कार्यों के लिए हम मशीनों पर ही निर्भर हैं, तब नियमित व्यायाम और दैनिक जीवन के छोटे-छोटे काम स्वयं करने से शरीर को सक्रिय रखा जाना अति आवश्यक है।

                                                                  

वहीं अच्छे विचारों से, अच्छे साहित्य से, काम में एकाग्रता से, सफल व्यक्तियों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने से, ध्यान साधना करने से और नियमित रूप से छोटे-छोटे संकल्प को सिद्ध करने से मानसिक बल में वृद्धि होती है।

आत्मिक बल के लिए अपने भीतर गुरुत्व का होना आवश्यक है यदि कथनी और करनी में भेद रहेगा तो आत्मिक बल का कोटा सदा रिक्त ही रहेगा। मिथ्या भाषण, अनिति पूर्ण आचरण और असत्य वचन आदि यह सब आत्मिक बल को क्षय करते हैं। काया से स्वस्थ होने पर भी ऐसा व्यक्ति स्वयं को मलीनता का दास बना हुआ अनुभव करता है। वस्तुतः यह तीनों ही बल एक दूसरे के पूरक होते हैं। स्वस्थ शरीर, मन और आत्मा के पूर्ण एकीकरण का परिणाम है।

                                                    

आत्मा को तृष्णा वाली वस्तु शरीर और मन को खोखला करने लगती है। शरीर को हानि पहुंचाने से मन और आत्मा को ऊर्जावान रखना कठिन होने लगता है। अंदर से उपजने वाले रोग प्रयास मन में पड़ी ग्रंथियों का परिणाम होते हैं। एक बल दूसरे बलों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है तो सकारात्मक रूप में भी प्रभावित कर सकता है। शरीर से निर्मल होने पर मानसिक बल को बढ़ा लेने वाले व्यक्ति आत्मिक बल में संपन्नता की और अग्रसर होते हैं। स्वयं को स्वस्थ रखना ब्रह्मांड के प्रति आभार व्यक्त करने का सबसे सरलतम उपाय है।

ईश्वरीय कार्यों के लिए हमारा चयन हो जाए तो इससे बड़ी जीवन में कोई सफलता नही हो सकती। इसलिए हम सभी लोगों की कोशिश होनी चाहिए कि हमें अपनी सच्ची पूंजी को बनाए रखते हुए आत्म बल को बढ़ाना है जिससे कि हम अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सके।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।