किसान क्रेडिट कार्ड पर अब मिलेगी ₹500000 तक के ऋण पर छूट      Publish Date : 03/02/2025

किसान क्रेडिट कार्ड पर अब मिलेगी ₹500000 तक के ऋण पर छूट

                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

केंद्र सरकार ने केन्द्रीय बजट में किसानों को खास तोहफा दिया है। किसान क्रेडिट कार्ड अर्थात केसीसी के माध्यम से किसानों को अब तीन के बजाय 5 लख रुपए तक के लोन पर ब्याज दर पर छूट मिलेगी। इससे प्रदेश के 3 करोड़ किसानों को लाभ होगा। उत्तर प्रदेश में करीब 3 करोड़ किसानों की आजीविका का मुख्य साधन खेती है। इनमें से 79.5 फ़ीसदी सीमांत एक हेक्टेयर जमीन वाले और 13 फ़ीसदी लघु 1 से 2 हेक्टेयर जोत वाले किसान है

वर्ष 2023-24 में लगभग 1.10 करोड़ सीसीसी धारकों ने 1.39 लाख करोड रुपए का ऋण लिया था, जबकि वर्ष 2022-23 में 1.007 करोड़ किसानों ने 1.28 लाख करोड रुपए का ऋण लिया था। किसानों को खेती के लिए सीसीसी से ₹300000 तक के लोन पर ब्याज की दर पर तीन फ़ीसदी छूट का प्रावधान है, जो किसान साल भर में ऋण वापस करते हैं उन्हें सिर्फ चार फ़ीसदी ही ब्याज देना पड़ता है, परन्तु अब किसान केसीसी से 5 लाख तक ऋण ले सकेंगे इसके ब्याज पर वह तीन प्रतिशत तक की छूट भी प्राप्त कर सकेंगे।

पीएम धन धान्य योजना में यूपी के पांच जिले हो सकते हैं शामिल

केंद्र सरकार ने पीएम धन-धान्य कृषि योजना में कम उत्पादकता वाले 100 जिलों को शामिल करने की घोषणा की है। अब इस योजना में प्रदेश के पांच जिलों के शामिल होने की उम्मीद है। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में खरीफ सीजन में लगभग 90 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फसले बोई गई थी। दलहनी फसले 12 लाख हेक्टेयर और तिलहनी फसले 6.5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बोई गई। उत्पादकता के मामले में सोनभद्र, श्रावस्ती महोबा, चित्रकूट और बांदा की न्यूनतम माना जाता है। ऐसे में योजना में शामिल होने वाले देश के 100 जिलों में यूपी के यह जिले भी शामिल हो सकते हैं।

योजना में शामिल होने के बाद चयनित जिलों में गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने, सिंचाई व्यवस्था को सुधारने, फसल विविधीकरण और ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था में सुधार किया जाएग।

खेती बनेगी अर्थव्यवस्था का पहला इंजन

केंद्र सरकार ने बजट में किसानों को तोहफा दिया है किसान क्रेडिट कार्ड अर्थात केसीसी के माध्यम से किसानों को अब तीन के स्थान पर 5 लख रुपए तक के ऋण रेट पर छूट मिलेगी, इससे प्रदेश के 3 करोड़ किसानों को लाभ होगा। उत्तर प्रदेश में करीब 3 करोड़ किसने की जीव का का मुख्य साधन खेती है इसमें 79.5 फ़ीसदी सीमांत एक हेक्टेयर जमीन वाले और 13 फ़ीसदी लघु 1 से 2 हेक्टेयर जोत वाले स्तर के किसान है।

वर्ष 2023 और 24 में लगभग 1.10 करोड़ सीसीसी धारकों ने 1.39 लाख करोड रुपए का ऋण लिया था और वर्ष 2022-23 में 1.007 करोड़ किसानों ने 1.28 लाख करोड रुपए का ऋण लिया था किसानों को खेती के लिए सीसीसी से ₹300000 तक के रेट पर तीन फ़ीसदी छूट का प्रावधान है जो किसान साल भर में ऋण वापस करते हैं उन्हें सिर्फ चार फ़ीसदी ही ब्याज देना पड़ता है परन्तु अब किसान केसीसी से 5 लाख तक ऋण ले सकेंगे इस पर वे तीन प्रतिशत की छूट ले सकेंगे।

पीएम धन धान्य योजना में यूपी के पांच जिले हो सकते हैं शामिल

इस बार बजट में किसानों का विशेष ध्यान रखते हुए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विकसित भारत के सपनों को साकार करने के लिए इसे अर्थव्यवस्था का प्रथम इंजन बताया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की विकास यात्रा के लिए पूरे  कृषि बजट में कई दूरगामी नीतिगत मामलों की तस्वीर पेश की है। लेकिन जब कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के लिए बजट देने की आई तो उन्होंने हाथ बांध लिए। इस क्षेत्र का बजट पिछली बार से भी ढाई प्रतिशत कम है। कई योजनाओं की राशि में भी कटौती कर दी गई है। हालांकि कृषि क्षेत्र के विकास और उत्पादकता में वृद्धि के लिए कई उपायों की घोषणा भी की गई है।

किसान क्रेडिट कार्ड सीसीसी के जरिए मिलने वाले ऋण की अधिकतम सीमा को 3 लाख से बढ़कर ₹500000 के जाने को कृषि क्षेत्र का क्रांतिकारी कदम माना जा सकता है। इससे लगभग 7.7 करोड़ किसानों मछुआरों एवं पशुपालकों को लघु अवधि के ऋणों की सुविधा मिलेगी। वित्त मंत्री ने सीमांत किसानों के लिए इसका महत्व भी बताया। हालांकि, सच यह भी है कि कितने किसानों को यह सुविधा आसानी से मिल पाती है। ऋण लेने की प्रक्रिया इतनी कठिन और बैंकों का व्यवहार कितना उलझाऊ है कि किसान इस बखेड़े में पड़ने से परहेज करते हैं। देश में लगभग 88 प्रतिशत किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है, जिन्हें केसीसी लोन की जरूरत पड़ती है।

कृषि मंत्रालय को 137756.55 करोड रुपए मिले हैं। डिपार्मेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च के लिए 10466.39 करोड रुपए का प्रावधान है। पिछले वर्ष इसके लिए 10156.35 करोड रुपए की राशि दी गई थी, यानी सिर्फ 310004 करोड रुपए ज्यादा मिले हैं। सरकार का प्रयास भारत को फूड मार्केट बनाने का है। इसके लिए किसानों को कई तरह की आर्थिक सहायता देने की बात भी कही गई है। सरकार के सामने बढ़ती आबादी के लिए फिलहाल खाद सुरक्षा जैसा कोई खतरा नहीं है, किंतु दलहन के मामले में हमारा हाथ तंग है।

तमाम प्रयासों के बावजूद विदेशी आयात पर निर्भरता में कमी नहीं आई है। ऐसे में अरहर, उड़द और मसूर की खेती पर ध्यान देने की योजना है। इसके लिए 1000 करोड रुपए से 6 वर्षीय दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत होगी। किसानों से अगले 4 वर्षों तक सारी दालें खरीदी जाएगी। वित्त मंत्री ने दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए किए गए पुराने प्रयासों को याद करते हुए कहा कि सरकार ने दलहन उगने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य की व्यवस्था की थी, जिसके चलते काफी हद तक उत्पादन बढ़ा है। चना दाल में भारत आज भी आत्मनिर्भर है, लेकिन अरहर उड़द और मसूर की भारी कमी है।

                                                      

आर्थिक सर्वेक्षण के निष्कर्ष से सबक लेकर सरकार का जोर दलहन उत्पादकता बढ़ाने पर है और इसके लिए उच्च पैदावार बीज मिशन की स्थापना होगी जिसका उद्देश्य अनुसंधान कार्यों को प्रोत्साहित करना, उच्च पैदावार कीट प्रतिरोधी एवं जलवायु अनुकूल बीजों का विकास एवं प्रचार करना होगा। इसके तहत जुलाई 2024 से जारी किए गए बीजों की 100 से अधिक किस्म को वाणिज्यिक स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार के सामने फिलहाल खाद्य सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है, लेकिन बढ़ती आबादी की जरूरत के हिसाब से पोषण सुरक्षा के लिए 10 लाख धर्म प्लाजा लाइनों के साथ दूसरे जीव बैंक की स्थापना की जाएगी।

यह सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र दोनों को अनुवांशिक अनुसंधान के लिए सहायता प्रदान करेगा। उधर ग्रामीण विकास मंत्रालय को 2025-26 के केंद्रीय बजट में 1.8 लाख करोड रुपए आवंटित किए गए हैं, जो पिछले बजट की तुलना में लगभग 5.75 प्रतिशत अधिक है। सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट प्रस्ताव के अनुसार ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए 2024 और 25 के बजट में आवंटित 177566.19 करोड़ की तुलना में 188754.53 करोड रुपए निर्धारित किए गए हैं।

इस बजट के माध्यम से सरकार का उद्देश्य ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और ग्रामीण समुदायों की आर्थिक स्थिति को सुधारना है। प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा के लिए आवंटित 8600 करोड रुपए हैं जो कि पिछले वर्ष के समान है। सरकार अर्थव्यवस्था के विकास इंजन के रूप में कृषि पर ध्यान दे रही है और खाद तेल के आयात पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य बना रही है। तिलहन विकास कार्यक्रम के लिए भी सरकार को कम से कम 5000 करोड रुपए का अतिरिक्त वार्षिक आवंटन करना चाहिए तभी तिलहन का विकास हो सकेगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।