
सतर्कता आवश्यक है Publish Date : 27/01/2025
सतर्कता आवश्यक है
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
क्या हम ईमानदारी से यह दावा कर सकते हैं कि हमारे देश का राष्ट्रीय जीवन इतना संगठित है कि हम अपने देश पर आने वाली किसी भी विपत्ति का सामना करने की स्थिति में हैं? क्या हम अपने युवाओं की आंखों में साहस और आदर्शवाद की चमक देखते हैं? इसके विपरीत, क्या हमारे युवा विदेशी फैशन की नकल करने में लिप्त नहीं दिखते? युवाओं और बच्चों के बीच चलने वाली चर्चाएं क्या राष्ट्रीय जीवन को मजबूत करती हुई दिखाई दे रही हैं?
किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी के बाहर से गुजरने पर वहां के दृश्य देख कर अपने मन में जो विचार आते हैं, उससे यह लगाया है कि किसी भी प्रकार से इस पतन को हमे रोकना चाहिए।
इस पतन को रोकने का एक ही उपाय है और वह उपाय है कि हमें एक सकारात्मक एवं भावनात्मक आधार खड़ा करना होगा। हमारे राष्ट्रीय जीवन की जड़ें हमारे राष्ट्रीय आदर्शों और आकांक्षाओं, इतिहास और परंपराओं में गहराई से समाई हुई हैं। हमें अपनी इस चेतना को एक बार फिर से जगाना होगा। पतन को रोकने का यही उपाय ध्यान में आ रहा है।
समाज में आदर्श के जो पैमाने स्थापित हुए अथवा किए गए हैं, उन्हें बदलना होगा और इसके लिए बहुत परिश्रम की आवश्यकता होगी। लोगों को प्रेम और स्थायी बंधुत्व की भावना से गले लगाना तथा प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में राष्ट्र के भविष्य के लिए अपनी जिम्मेदारी का बोध उत्पन्न करना होगा।
केवल रचनात्मकता और उत्साह से भरा संघ जैसा कार्य ही देश को इस पतन से तथा उसमें निहित स्वार्थ, आंतरिक संघर्ष और विदेशियों की निरर्थक नकल से बचाने में सक्षम है। इसका अर्थ यह है कि संघ जैसे कार्य की आवश्यकता उस समय की तुलना में कहीं अधिक है, जब संघ का प्रारंभ हुआ था। यहां तक कि अब विश्व के अन्य देश भी संघ की आवश्यकता अनुभव करने लगे हैं, अब आत्मसंतुष्टि की कोई गुंजाइश नहीं है। एक कहावत है कि सदैव सतर्कता ही स्वतंत्रता की कीमत है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।