
मोरिंगाः स्वास्थ्य और पोषण की दृष्टि से एक अदभुत पौधा Publish Date : 14/01/2025
मोरिंगाः स्वास्थ्य और पोषण की दृष्टि से एक अदभुत पौधा
प्रोफेसर बार. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं हिबिस्का दत्त
हमारे देश में मोरिंगा (सहजन) का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है, इसका उत्पादन विशेष रूप से देश के दक्षिणी राज्यों में किया जाता है। मोरिंगा के उत्पादन में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्य प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भारत में लगभग 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर मोरिंगा की खेती की जाती है, और प्रत्येक वर्ष लगभग 2.2 से 2.5 मिलियन टन मोरिंगा की फलियाँ (ड्रमस्टिक) का उत्पादन प्राप्त होता है।
तमिलनाडु राज्य में 70 प्रतिशत से अधिक मोरिंगा का उत्पादन किया जाता है, तमिलनाडु मे मदुरै, डिंडीगुल और करूर जैसे जिले मोरिंगा के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। आंध्र प्रदेश में नेल्लोर और कडप्पा जिले इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं, जबकि कर्नाटक में चित्रदुर्ग, बेल्लारी और धारवाड़ आदि जनपद मोरिंगा के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं। मोरिंगा की खेती न केवल पोषण और स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण होती है, बल्कि यह किसानों के लिए आर्थिक लाभ का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसकी उपज तेजी से होती है और इसका उत्पादन लागत-प्रभावी होता है।
मोरिंगा के पत्तों का उपयोग जैविक खाद के रूप में किया जाता है, जो मृदा की उर्वरता को बढ़ाता है और यह जल संरक्षण में भी सहायक होता है। इसके पत्तों और फलियों का स्थानीय बाजारों में विक्रय होता है, जिससे किसानों को नियमित आय प्राप्त होती रहती है। भारत मोरिंगा उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक देश है। मोरिंगा के पाउडर, तेल, और बीजों की मांग वैश्विक बाजार में तेजी के साथ बढ़ रही है। यह किसानों को अतिरिक्त आय अर्जित करने का एक अवसर प्रदान करता है। मोरिंगा उत्पादों की बिक्री स्थानीय बाजार में भी अच्छी होती है। इसके पत्तों, फलों और पाउडर की बिक्री से किसानों को नियमित आय मिलती रहती है, जिससे किसानों के जीवनस्तर में व्यापक सुधार आता है।
मोरिंगा के उपयोग
1. मोरिंगा का कैप्सूल, पाउडर, और चाय के रूप में पोषक पूरक के रूप में सेवन किया जाता रहा है। इसमें उपलब्ध उच्च विटामिन, खनिज, और प्रोटीन सामग्री के लिए इसे स्वास्थ्य-संबंधी इच्छा रखने वाले उपभोक्ताओं के बीच इसको लोकप्रिय बनाता है।
2. मोरिंगा को एक ऊर्जा बार, पेय, और नाश्तों आदि के रूपों में शामिल किया जाता रहा है, क्योंकि यह पोषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता हे। मोरिंगा के इन उत्पादों के माध्यम से जो उपभोक्ता नेचुरल, प्लांट-आधारित विकल्प की तलाश में हैं यह उनके आहार के पोषण स्तर को सुधारने में मदद करते हैं।
3. मोरिंगा का तेल, जो इसके बीजों से निकाला जाता है, इसका तेल कोसमेटिक्स में अपने मॉइस्चराइजिंग और जीवंत प्रोपर्टीज के कारण महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके तेल का उपयोग लोशन, क्रीम, और हेयर केयर उत्पादों को बनाने में उपयोग किया जाता है जो कि प्राकृतिक सौंदर्य समाधान चाहने वाले उपभोक्ताओं के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
4. ऐसे क्षेत्र, जहां मोरिंगा का परंपरागत रूप से उपयोग होता आया है, वहां इसे परंपरागत चिकित्सा पद्वति में उपयोग किया जा रहा है। मोरिंगा के एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सिडेंट, और एंटीमाइक्रोबियल गुणों के चलते इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
5. मोरिंगा की खेती विशेष रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त रहती है, क्योंकि यह पौधा कम पानी में भी आसानी से पनपता है और तेजी से बढ़ने और गहरी जड़ी वाली प्रणाली के कारण, मोरिंगा को पुनर्वासन योजनाओं और मृदा अपघात से लड़ने में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके पत्ते हरी खाद के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं, जो मृदा को पोषक तत्वों से समृद्ध बनाते हैं।
6. अब मोरिंगा के उपोउत्पाद वैश्विक रूप पर निर्यात किए जा रहे हैं, जैसे कि भारत, फिलीपींस, और अफ्रीका आदि देशों के रूप में। यह व्यापार ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका समर्थन करता है और इसकी खेती और प्रसंस्करण से जुड़े आर्थिक अवसरों को प्रोत्साहित करता है। इस तरह, मोरिंगा के वर्तमान उपयोग के ट्रेंड इसे एक बहुउपयोगी पौधा बनाते हैं जो स्वास्थ्य एवं पोषण, और इसके स्थायी विकास के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता प्रदान करता है।
वास्तव में मोरिंगा एक अद्भुत पौधा है जो स्वास्थ्य, पोषण, और कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका उपयोग करने से न केवल स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि यह आर्थिक लाभ भी प्रदान करता है। वर्तमान समय में मोरिंगा की खेती और इसके उत्पादों का उपयोग बढ़ता जा रहा है और किसानों की आय वृद्वि में भी यह काफी सहयोग दे रहा है।
अतः आज की इस भागदौड़ से भरी और कोविड-19 के बाद से आई स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के चलते मोरिंगा का अधिक से अधिक उपयोग सभी लोगों करना चाहिए जिससे कि हम सभी लोग उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करें और साथ ही हमारे किसान बन्धुओं की आय भी बढें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।