भारत एवं ब्राजील की कृषि क्षेत्र में सहयोग में अपार सम्भावनाएं      Publish Date : 12/01/2025

                     भारत एवं ब्राजील की कृषि क्षेत्र में सहयोग में अपार सम्भावनाएं

                                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेगर

सम्मिलत प्रयासों के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र में विकास सम्भव है औश्र यह बात भारत एवं ब्राजील जैसे दो कृषि प्रधान देशों के सम्बन्ध में बिलकुल सही है। ब्राजील की उन्नत कृषि तकनीकों, प्रयोगशालाओं और वहां के खेतों में खड़ी शानदार फसलों और कृषि उत्पादों की प्रसंस्करण यूनिटों को देखकर यह बात अधिक स्पष्ट हो जाती है। ब्राजील के किसानों और इंब्रापा के कृषि विशेषज्ञों के साथ चर्चा, उनके सहकारी प्रयासों का अध्ययन और ब्राजील के कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं भारत के राजदूत से बात कर अपने कृषि ज्ञान एवं दृष्टिकोण को विशेष रूप से समृद्व किया जा सकता है।

इस दौरान अपेक्स ब्राजील के अनिरूद्व शर्मा, एंजेलांे मारिसिओ, एड्रिआना, पॉउला सोआरेस, डेब्रा फेइटोसा, डाला कालीगारों और फिलिपे आदि अधिकारियों के द्वारा व्यापक सहयोग रहा।

ब्राजील का क्षेत्रफल भारत की तुलना में लगभग 2.5 गुना अधिक है, जबकि उसकी जनसंख्या हमारे देश के मंुकाबले बहुत कम है। पृथ्वी के दो अलग अलग छोरों पर बसे होने के उपरांत भी ब्राजील में भारतीयों के प्रति मित्रता तथा सौहार्द का भाव पाया जाता है, जो कि एक उत्साहवर्धक विषय है। भारत और ब्राजील दोनों ही देश कृषि उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी देश हैं। इन दोनों की समानताएं और विशिष्टताएं इस बात का संकेत देती हैं कि यदि यह दोनों देश परस्पर सहयोग से कार्य करें तो इन दोनों ही देशों की कृषि व्यवस्था को नई ऊँचाईयां प्रदान की जा सकती हैं।

भारत और ब्राजील की कृषि पर एक तुलनात्मक नजर

भारतः-

एक कृषि प्रधान देशः भारत की लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। यहां कि प्रमुख फसलों में चावल, गेहँू, गन्ना, दलहन, तिलहन और मसाला फसले हैं।

पशुधनः भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। वर्ष 2024 में भारत ने 51 अरब डॉलर का कृषि निर्यात किया।

चुनौतियां: मानसून पर निर्भरता और छोटे किसानों की सीमित संसाधन क्षमता देश की दो प्रमुख चुनौतियां हैं।

ब्राजीलः-

कृषि के क्षेत्र का वैश्विक निर्यातक देशः वैश्विक कृषि उत्पादन में 25 प्रतिशत का योगदान करता है।

ब्राजील की प्रमुख फसलों में सोयाबीन, कॉफी, गन्ना, मक्का और संतरा आदि हैं।

पशुधनः ब्राजील विश्व का एक प्रमुख मांस निर्यातक देश है। वर्ष 2024 में ब्राजील का कृषि निर्यात कुंल 150 अरब डॉलर से अधिक रहा।

विशेषताः प्रभावी कृषि शोध प्रोग्राम, सहकारिता पर आधारित बड़े कृषि फार्म, मशीनीकरण और इथेनॉल के उत्पादन में अग्रणी देश हैं।

ब्राजील की प्रयोगशालाओं में उन्नत बीज, पौध तकनीक का तीव्रता से विकास हुआ, परन्तु इससे भी बउ़ी बात यह है कि वहां के समस्त उन्नत बीज और कृषि की नवीन तकनीकों में से अधिकतर खेतों तक पहुँच चुकी है। बड़े किसानों के द्वारा उन्नत बीजों और नवीन तकनीकों का खेतों पर व्यापक प्रयोग देखकर यह स्पष्ट हुआ है कि भारत भी अपने किसानों को इन्हीं तकनीकों का खेतोंसे सशक्त बना सकता है। इसके लिए हमें अपने प्रयोगशालाओं तथा किसानों और खेतों के बीच की खाई को भी पाटना होगा।

ब्राजील की सल सहकारिता, मशीनीकरण और स्मार्ट कृषि तकनीकें वास्तव में प्रेरणादायक हैं। भारत की जैविक खेती, उच्च लाभ प्रदाता मेडिसिनल और ऐरोमेटिक प्लांट्स, हर्बल्स, स्टीविया एवं काली मिर्च के जैसी उच्च लाभदायक फसलों की खेती तथा बहुस्तरीय खेती के ज्ञान एवं विशेष रूप से पॉली हाउस के विकल्प के रूप में वृक्षारोपण के माध्यम से ‘नेचुरल ग्रीनहाउस’ आदि ने ब्राजील के कृषि विशेषज्ञों के बीच रूचि पैदा की है।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्रः-

पशुधन प्रबन्धनः ब्राजील के द्वारा भारत की ‘‘गीर’’ के जैसी देशी नस्लों की गायों का आयात कर उन पर बड़ी संख्या में शोध कार्य कर उनकी नई प्रजातियों का भी विकास कार्य किया है। ब्राजील की एक संस्था ‘‘एबीसीजेड’’ का गीर नस्ल की गायों पर किया गया कार्य विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है।

ऐसे में ब्राजील का उन्नत पशुधन प्रबन्धन और मांस उत्पादन की तकनीकें भारत के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्व हो सकती हैं। वहीं भारत, ब्राजील को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में अपना सहायोग प्रदान कर सकता है।

कपास और गन्ने के उत्पादन में:

ब्राजील गन्ने से इथेनॉल बनाने के क्षेत्र में अग्रणी है। अतः भारत, अपने गन्ना उत्पादकों को इस तकनीक से जोड़कर अपने ऊर्जा उत्पादन को बढ़ा सकता है।

वहीं भारत में कपास उत्पादन करने वाले किसान इन दिनों विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों का सामना कर रहे है। ऐसे में कपास के किसनों को ब्राजील के बड़े पैमाने पर कपास उत्पादन की लाभकारी तकनीकों का लाभ प्राप्त हो सकता है।

सोयाबीन और दलहन उत्पादन के क्षेत्र में:

ब्राजील की सोयाबीन तथा अन्य बीन्स के उत्पादन की तकनीक भारत के पश्चिमी एवं दक्षिणी क्षेत्रों में सम्भावनाओं का विस्तार कर सकती है। ब्राजील तुअर अर्थात अरहर की खेती विशेष रूप से भारत के लिए ही करता है और वहां अरहर का उत्पादन भारत के उत्पादन से 2.5 गुना तक अधिक होता है। प्रोटीन हेतु मुख्य रूप से दालों पर निर्भर भारत के जैसे शाकाहारी देश के लिए बींन्स एवं दाल के क्षेत्र में ब्राजील के साथ सहायोग प्रत्येक स्तर पर लाभकारी ही रहेगा।

जैव-ऊर्जाः

ब्राजील का इथेनॉल और जैव ईंधन उत्पादन की तकनीक भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रॉन्ति आ सकती है। वहीं भारत की पारंपरिक टिकाऊ एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि की विधियां ब्राजील को उसके सतत विकास में अनुपम सहयोग प्रदान कर सकती है।

सहयोग से प्राप्त लाभः-

आर्थिक उन्नतिः दोनों देशों का आपस में कृषि व्यापार के बढ़ने से दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ बनेगी।

खाद्य सुरक्षा: फसल उत्पादन और विविधता में वृद्वि होने से दोनों देशों की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।

तकनीकी प्रगति: ब्राजील से मशीनीकरण और तकनीकी का आदन-प्रदान कर उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

वैश्विक नेतृत्व: संयुक्त अनुसंधान और सहयोग से दोनों देश जलवायु परिवर्तन एवं खाद्य संकट से पार पाने में विश्व का नेतृत्व भी कर सकते हैं।

भारत और ब्राजील के फसल उत्पादन के तुलनात्मक आंकड़े वर्ष 2024-

फसल

भारत (मिलियन टन)

ब्राजील (मिलियन टन)

चावल

130

11

गन्ना

405

670

गेहूँ

110

6

सोयाबीन

14

140

कॉफी

0.32

3.2

कपास

36.5 (लाख गाँठें)

32 (लाख गाँठें)

  

चुनौतियां और समाधानः

1. भाषा और सांस्कृतिक भिन्नता: नियमित संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की दूरी कम की जा सकती है।

2. तकनीकी लागत: भारत में स्थानीय और परम्परागत तकनीकों का विकास कर इन्हें किफायती बनाया जा सकता है।

3. नीतिगत अंतर: द्विपक्षीय समझौतों और व्यापारिक सम्बन्धों का विकास कर इस अंतर को कम किया जा सकता हैं।

भारत और ब्राजील, कृषि क्षेत्र में परस्पर सहयोग से न केवल अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाप सकते हैं, अपितु वैश्विक खाद्य सुरक्षा औश्र जलवायु परिवर्तन के विश्द्व भी अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर सकते हैं। दोनों देशों के पास एक दूसरे से सीखने और सिखाने की अपार सम्भावनाएं उपलब्ध हैं।

अंत में, कहावत है कि जहां चाह, वहां राह। दोनों देशों के बीच यह सहयोग वैश्विक कृषि का भविष्य भी बदल सकता है। इसके सन्दर्भ में यह कहना भी कोई अतिश्योक्ति नही होगी कि भारत और ब्राजील, दोनों देश आपस में मिलकर पूरे विश्व का पेट भरने में सक्षम हैं। अतः कहा जा सकता है कि भारत और ब्राजील एक नैसर्गिक मित्र तथा स्वाभाविक साझेदार हैं।

ऐसे में आवश्यकता है तो उपयुक्त साझेदारी एवं मित्रता के पौधे के विकास के लिए समय समय पर खाद और पानी की पोषकता देते रहने और पूरी जिम्मेदारी के साथ दोनों देशों के दूतावासों, सरकारों तथा दोनों ही देशों की जनता को मिलजुल कर एकजुटता के साथ निभाने की।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।