भारत में अनादि काल से लोकतांत्रिक व्यवस्था चल रही है Publish Date : 11/01/2025
भारत में अनादि काल से लोकतांत्रिक व्यवस्था चल रही है
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
हमारे देश में अनादि काल से एक ऐसी व्यवस्था चली आ रही है, ग्राम पंचायत हमारी सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की नींव है। ग्राम पंचायत में जड़ें रखने वाले उत्तरोत्तर विस्तृत होते निर्वाचन क्षेत्रों में से ही मंत्रियों का मंत्रिमंडल विभिन्न समितियों का चयन करता था। यही मंत्रिमंडल राजकीय मामलों में राजा को सलाह देता था। ग्राम पंचायत के सदस्य कार्य के आधार पर चुने जाते थे। बेशक, यह मानना होगा कि उन दिनों सामाजिक जीवन उतना जटिल नहीं था जितना आज है। उन दिनों पेशे के केवल चार प्रमुख क्षेत्र थे।
एक वर्ग उन लोगों का था जिन्होंने अपना जीवन भौतिक और आध्यात्मिक विज्ञानों के अध्ययन और अध्यापन के लिए समर्पित कर दिया था। दूसरा वर्ग राज-काज और प्रशासन की जिम्मेदारी संभालता था। अगला वर्ग व्यापार और वाणिज्य से जुड़े लोगों का था। चौथा वर्ग खेती और दस्तकारी करने वालों का था। इनके अलावा एक और वर्ग था - वनवासियों का वर्ग जो शिकार करके और खाद्य-सामग्री, खास तौर पर कंद-मूल इकट्ठा करके अपना गुजारा करते थे। हर ग्राम पंचायत में इन सभी पांचों वर्गों के प्रतिनिधि होते थे। इस तरह वे पूरे समाज के हितों का प्रतिनिधित्व करते थे। निर्णयों की स्वीकार्यता स्वाभाविक थी क्योंकि निर्णय केवल राजा नहीं बल्कि पूरा समाज करता था।
हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं ही और प्राचीन काल से इतने बड़े राष्ट्र का विभिन्न आक्रमणों के बाद भी संचालन और संरक्षण हो सका तो इसका प्रमुख कारण सभी की भागीदारी रही है। अपना समाज परिपक्व बनेगा तभी लोकतांत्रिक मूल्यों का समुचित विकास और संरक्षण होगा और राष्ट्र प्रगति करेगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।