धर्म के लिए बलिदान देने की शक्ति Publish Date : 06/01/2025
धर्म के लिए बलिदान देने की शक्ति
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
भारत माता के वीर पुत्रों ने अपने बलिदानों से विश्व को यह बताया है की आयु भले ही छोटी हो, परन्तु अपने राष्ट्र और धर्म के लिए मर मिटने के लिए उनका संकल्प बहुत बड़ा है। 6 वर्ष और 9 वर्ष की उम्र के फतेह सिंह और जोरावर सिंह की वीरता उनका राष्ट्र प्रेम हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता रहेगा।
कहते हैं बच्चे भगवान का रूप होते हैं लेकिन उन शैतानों को इन दोनों साहबजादों पर तनिक भी दया नहीं आई। उन वीर बालकों के क्या संस्कार रहे होंगे, जो बिना डर के अपने धर्म पर अड़े रहे, कठोर यातना स्वीकार कर ली लेकिन धर्म छोड़ना स्वीकार नहीं किया।
आज अपने देश में भी कई लोग धर्म की बात को पिछड़े लोगों की बात या निरर्थक बात कहते हैं, उनके लिए धर्म और राष्ट्र के बजाय व्यक्तिगत भौतिक सुख ही महत्वपूर्ण है, जरा सोचिए की जो बातें उनके लिए बहुत महत्व की हैं क्या उसके लिए वे उस प्रकार की कठोर यातना सहने को तैयार है?
मुझे लगता है कि वह धर्म ही है, राष्ट्र के प्रति प्रेम ही है जो इस प्रकार की मृत्यु को भी हंसते-हंसते स्वीकार करने की शक्ति देता है, अन्यथा छोटी-छोटी बातों पर लोग मार्ग बदल लेते हैं। थोड़ी-थोड़ी कठिनाइयां लक्ष्य से भटका देती हैं और व्यक्ति समझौते कर लेता है। दोनों भाई राक्षसों के द्वारा दीवारों में चुने जा रहे हैं लेकिन उनकी वीरता और देशभक्ति के प्रति भाव कैसा है -
जोरावर जोर से बोला, फतेह सिंह शेर सा बोला।
रखो ईंटें भरो गारे, चुनो दीवार हत्यारे।
हमारी सांस बोलेगी, हमारी लाश बोलेगी।
यही दीवार बोलेगी, हजारों बार बोलेगी।
हमारे देश की जय हो, पिता दशमेश की जय हो।
हमारे पंथ की जय हो, श्री गुरु ग्रंथ की जय हो।
याद रखने की बात यह है कि उन राक्षसों को अपना पूर्वज मानने वाले हमारे आसपास ही रहते हैं और आज भी मतांतरण,हत्या और लव जिहाद के रूप में दीवारें चिन रहे हैं। धन्य है यह भारत भूमि, जिस पर राक्षसों से लड़ने वाली वीर गुरु पुत्रों जैसी महान आत्माओं ने जन्म लिया है और हमारी श्रद्धांजलि के भाव को कवि ने शब्द दिए हैं-
बलिदान हुए जो तुझ पर मां वह पूजा उनकी पूरी है।
पर उनके मुण्डों की माला माता रह गई अधूरी है।
हम अपना शीश पिरो कर मां वह माल्य तुझे पहना देंगे।
अपने जीवन की भेंट चढ़ा देंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।