रोग की जड़ पर ही प्रहार करना होगा      Publish Date : 31/12/2024

                        रोग की जड़ पर ही प्रहार करना होगा

                                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

समाज की सेवा करने का सबसे अच्छा तरीका है, राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय एकता की कमी के रोग को जड़ से ही मिटाकर एक मजबूत, सुव्यवस्थित, सतर्क और आत्मनिर्भर राष्ट्रीय जीवन का निर्माण करना, ताकि हमारी स्वतंत्रता स्वस्थ और सुरक्षित हो सके। क्योंकि जड़ों को पोषित करने की उपेक्षा करके निरंतर फल की उम्मीद करना व्यर्थ है। यह सच है कि कई बीमारियों वाला पेड़ भी कुछ समय के लिए फल तो देता है, लेकिन ऐसे फल बेस्वाद, सूखे और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं। हमारे पास जो यह स्वतंत्रता का फल है, उसमें कई बीमारियों के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।

राष्ट्रीय भावना की जड़ें समाज के मन और दिल में गहराई तक अभी नहीं पहुंच पाई हैं। अगर हम समाज में राष्ट्रीय भावना को विकसित करने की उपेक्षा करते रहेंगे तो एक दिन स्वतंत्रता के इस पेड़ के सारे फल स्वतः ही गायब हो जाएंगे। आज बांग्लादेश इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। अब फिर प्रश्न है कि ‘‘समाज की सेवा कैसे करें?’’ सेवा करने के अनेक तरीके हैं। जैसे किसी भूखे को भोजन देना, अशिक्षित को शिक्षा देना, बीमार को दवा देना आदि, यह सब समाज सेवा के ही तरीके हैं। संक्षेप में, सच्ची सेवा जरूरतमंद को उसकी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराना होता है।

आज हमारे समाज की मुख्य जरूरत क्या है? अज्ञानता, छुआछूत, चरित्रहीनता, मूल्यों का ह्रास, परिवारों का विघटन, युवाओं में नशा वृत्ति और ऐसे ही अनेक दोष हमारे समाज के चित्र  में व्यपाकता से दिखाई दे रहे हैं और यह देखकर हमें बहुत दुख होता है। लेकिन अनेक व्यक्ति ऐसे भी हैं जो इन दोषों को दूर करने के लिए अपने-अपने तरीके से प्रयास कर रहे हैं। स्वाभाविक रूप से हम उनके प्रयासों के लिए उनकी सफलता की कामना करते हैं।

लेकिन फिर भी यह प्रश्न बना रहता है कि क्या ये सारे प्रयास हमारे समाज को वह सेवा फल प्रदान कर पाएंगे जिसकी हमारे समाज को सबसे ज्यादा जरूरत है? क्या इससे समाज का स्थायी और स्थायी कल्याण हो पाएगा? जब शरीर का खून खराब हो जाए और उसमें एक के बाद एक फोड़े निकल आएं तो बाहरी उपचार किसी काम के नहीं रह जाते; आप हर फोड़े का अलग-अलग इलाज नहीं कर सकते। बीमारी का मूल कारण दूर कर देने से बीमारी ठीक हो सकती है। अर्थात हमे एक एक मनुष्य को ठीक करना होगा।

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लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।