शिक्षा प्रणाली को रोजगारपरक या आजीविका उन्मुखी बनाने हेतु सुझाव Publish Date : 22/12/2024
शिक्षा प्रणाली को रोजगारपरक या आजीविका उन्मुखी बनाने हेतु सुझाव
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
भारत सरकार ने वर्तमान में कौशल विकास और उद्यमशीलता एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने संयुक्त रूप से कौशल और शिक्षा को एकीकृत करने की दिशा में पहल की है। इसके अंतर्गत चयनित माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को प्रदान की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत देश भर में 9623 स्कूलों में माध्यमिक शिक्षा स्तर से व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा से एकत्रित करने के माध्यम से सुरक्षात्मक प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत में भी जर्मनी की शिक्षा प्रणाली की भांति है प्रयास किया जा रहा है कि सामान्य शिक्षा को व्यवसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण से जोड़ा जा सके जिससे ग्रामीण भारत के युवाओं को रोजगार, स्वरोजगार एवं उद्यमिता हेतु विकसित व बेहतर रूप से प्रोत्साहित किया जा सके। साथ ही क्रेडिट ट्रांसफर प्रक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान द्वारा आईटीआई के छात्र-छात्राओं को 10वीं व 12वीं कक्षाओं के समतुल्य शैक्षणिक समानता प्रदान की जा रही है ताकि तकनीकी पाठ्यक्रमों के प्रति उनका रुझान बना रहे और वह कुशल व्यक्ति बन कर देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दे सकें।
वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा को रोजगार परक बनाने के लिए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को तीन योजनाओं; सामुदायिक (कम्युनिटी) कॉलेज, बैचलर ऑफ वोकेशनल कोर्स और दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र को विभिन्न विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शुरुआत करने हेतु सहायता प्रदान कर रहा है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय, ने मिलकर राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना के अंतर्गत बैचलर ऑफ वोकेशनल कोर्स का पूर्न गठन किया है जिससे सामान्य स्नातकों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण के दौरान पेशेवर अनुभव मिल सके तथा वे रोजगार योग्य बन सके।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप संवर्धन योजना के माध्यम से सामान्य स्नातकों को उद्योग से अप्रेंटिसशिप का अवसर उपलब्ध कराने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के लिए अप्रेंटिसशिप एवं कौशल (श्रेयस) योजना की शुरुआत की है जो मुख्य तौर पर गैर-तकनीकी स्नातक छात्र-छात्राओं हेतु एक कार्यक्रम है।
ग्रामीण युवकों के लिए कौशल विकास योजना
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (1.0) वर्ष 2015-2016 में युवाओं को उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप प्रशिक्षण लेकर बेहतर रोजगार योग्य बनाने की दिशा में पहला कदम था इसके बाद यह योजना वृहद रूप से दूसरी बार 2016 से 2020 के मध्य एक करोड़ युवाओं को निशुल्क 6 महीने तक का प्रशिक्षण प्रदान कर कुशल बनाने की दिशा में बेहतर प्रयास है वर्ष 2018 के बाद से एक नई पहल के रूप में पीएमकेवीवाई के तहत प्रमाणित प्रत्येक उम्मीदवार को दो लाख तक की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राशि के तहत कवर किया जाता है जो 2 साल तक वैध है इस बीमा की लागत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा कवर की जा रही है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना
15 से 35 वर्ष के ग्रामीण युवाओं को समर्पित उक्त योजना सरकार के सामाजिक और आर्थिक कार्यक्रम हो जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटीज और स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया अभियान से संबंधित है। यह योजना 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 669 जिलों के 7,294 से अधिक ब्लॉक के युवाओं को प्रभावित करती है। 11 जुलाई, 2019 तक लगभग 7.9 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है जिनमें तीन लाख से अधिक उम्मीदवारों को नौकरियां प्राप्त हुई है। अतः ग्रामीण युवाओं को रोजगार परक प्रशिक्षण देकर श्रम शक्ति बाजार के अनुरूप तैयार करने की प्लेसमेंट से जुड़ी कौशल विकास की यह सशक्तिकरण से जुड़ी योजना है।
उड़ान- उड़ान जम्मू कश्मीर राज्य के शिक्षित बेरोजगारों युवाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चलाई जा रही अनूठी पहल है।
औद्योगिक क्रांति 4 कौशल विकास एवं भारत में मानव संसाधन प्रबंधन संसद (लोकसभा) में कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्यमंत्री ने 22 जुलाई, 2019 को अतरांकित प्रश्न 4789 के जवाब में बताया कि प्रशिक्षण महानिदेशालय और नैसकॉम ने उच्च तकनीकी क्षेत्रों में युवाओं को उद्योग 4.0 के मद्देनजर शिल्पकार प्रशिक्षण योजना के माध्यम से इंटरनेट ऑफ थिंग्स (स्मार्ट कृषि, स्वास्थ्य सुविधा, सिटी, स्मार्टफोन तकनीशियन-सह-ऐप-टेस्टर इत्यादि में) प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु समझौता किया है। इस योजना की शुरुआत अगस्त, 2018 से की गई है जिसके अंतर्गत देश के 19 राज्यों में युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
भारत के विभिन्न राज्य अपने ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्तियों, विशेषकर युवाओं को, उनके कौशल विकास द्वारा विकसित कर मानव शक्ति के रूप में सकारात्मक योगदान हेतु नीतिगत पहल कर कर रहें हैं। उदाहरण स्वरूप मिजोरम नेें कौशल एवं उद्यमिता विकास निति 2018, झारखंड कौशल विकास निति 2018, हिमाचल प्रदेश ने हिम कौशल 2016 तथा कर्नाटक ने भी कौशल विकास निति 2016 के माध्यम से राज्य के कौशल विकास हेतु प्रतिबद्धता दिखाई है।
वहीं दूसरी ओर, कौशल विकास के द्वारा बेहतर मानव प्रबंधन की दिशा में ब्राजील और रूस की भाँति कौशल विकास द्वारा मानव संसाधनों को विकसित कर उन्हें राष्ट्र के सर्वांगीण विकास, विशेषकर आर्थिक और सामाजिक विकास में अपनी सहभागिता प्रदान करने हेतु भारत में निजी क्षेत्र के सहयोग से लाभ रहित सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के द्वारा योजनाबद्ध तरीके से प्रयासरत हैं।
निष्कर्षः शिक्षा एवं कौशल विकास से संबंधित उपरोक्त उल्लेखित सभी पहलुओं के मद्देनजर यह समझा जा सकता है कि आधुनिक आकांक्षी ग्रामीण भारत अपनी विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करने की दिशा में अग्रसर हैं जिससे भारत वर्ष 2030 तक स्थित विकास के प्रमुख लक्ष्य जैसे गरीबी, भुखमरी व लैंगिक असमानता हटाने के साथ-साथ समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास प्राप्त कर सके। अतः ग्रामीण भारत का सर्वांगीण विकास, युवाओं को गुणवत्तापूर्ण व रोजगारपरक शिक्षा एवं कौशल विकास प्रदान करने के माघ्यम से हो सकेगा और तभी सश्क्त भारत दुनिया में कौशल की राजधानी बन सकेगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।