पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निर्यात के लिए बासमती उत्पादन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला      Publish Date : 26/06/2023

कम पानी में अच्छा उत्पादन देने वाली बासमती की प्रजातियां लगाएं किसान डॉक्टर के के सिंह कुलपति

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निर्यात के लिए बासमती उत्पादन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया इस कार्यशाला का उद्घाटन कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर के के सिंह चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद पदम श्री वैज्ञानिक डॉक्टर वीपी सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी साइंस के सभागार में शुभ आरंभ हुई

कुलपति डॉक्टर केके सिंह ने अध्यक्षता करते हुए कहा की निर्यात के लिए गुणवत्ता युक्त बासमती चावल के उत्पादन एवं इसके द्वारा आय में वृद्धि विषय पर प्रकाश डालते हुए कृषकों को नई तकनीकी अपनाने की सलाह दी उन्होंने कहा की धान उत्पादन के लिए ऐसी किस्मों का चुनाव करें जिसमें कम पानी लगता हो और विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती देती हो डॉक्टर के के सिंह ने कहा कि प्रतिबंधित पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल बासमती खेती में नहीं करना चाहिए

कुलपति डॉक्टर केके सिंह ने कहा बासमती का उत्पादन करते समय हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा वातावरण में कार्बन का उत्सर्जन कम हो कम पानी में अधिक उत्पादन हो उन्होंने कहा कि कार्यशाला में किसान अपनी जिज्ञासा के प्रश्न पूछ कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए कहा की बासमती धान जब बनते थे तो इसमें खुशबू बहुत आती थी लेकिन अब ऐसे चावल कम देखने को मिलते हैं किसानों को चाहिए कि आज तकनीकी के युग में खेती किसानी काफी आगे पहुंच गई है उन्होंने कहा कि खेती करते समय केमिकल का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए क्योंकि अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग करने से कैंसर जैसी भयानक बीमारियां हो रही हैं इसलिए रासायनिक खादों से और पेस्टिसाइड से बचना चाहिए प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कहा कि हर परिवार से कम से कम 1 सदस्य ऐसा होना चाहिए जो एग्रीकल्चर से जुड़ा हो तो निश्चित रूप से हमारा देश काफी आगे बढ़ सकता है

प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने किसानों से आवाहन किया कि वे कृषि की नवीनतम तकनीकों का प्रयोग खेती में करें जिससे किसानों की आय बढ़ सकेगी

पदम श्री वैज्ञानिक डॉक्टर बी पी सिंह ने बासमती चावल के उत्पादन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक 100 में से सात व्यक्ति चावल पर निर्भर रह कर जीविकोपार्जन कर रहा है उन्होंने कहा चावल धन देता है और चावल में चावल यदि कोई है तो वह बासमती है उन्होंने बताया कि पूरे विश्व मैं खुशबू वाली लगभग 1000 प्रजातियां हैं लेकिन वह सभी प्रजातियां बासमती नहीं है उन्होंने बताया कि वर्ष 1970 में बासमती की 370 प्रजाति सबसे पहले भारत में तैयार हुई और उसके बाद शोध करके अनेक बसंती की प्रजातियां विकसित की गई जिसमें से 1121 दुनिया में सबसे लंबा बासमती के नाम से पहचाने वाला चावल है

वैज्ञानिक डॉ रितेश शर्मा ने बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान ने उत्पादन तकनीक पर विस्तार से चर्चा की डॉ अनुपम दीक्षित ने बासमती चावल के मानकों की जानकारी दी

निदेशक प्रसार डॉ पी के सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया तथा धन्यवाद प्रस्ताव निदेशक शोध डॉ अनिल सिरोही ने दिया

डॉ पी के सिंह ने बताया की कार्यक्रम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 18 जनपदों के वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील कृषकों ने प्रतिभाग किया किसान ज्ञान प्रतियोगिता में सहारनपुर संभल मुरादाबाद एवं मुजफ्फरनगर के प्रगतिशील किस कोने प्रश्नों का सही उत्तर देकर पुरस्कार जीता

कार्यक्रम में प्रोफेसर रामजी सिंह कुलसचिव श्रीमती लक्ष्मी मिश्रा वित्त नियंत्रक निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रोफ़ेसर आर एस सेगर अधिष्ठाता कृषि डॉक्टर विवेक धामा डॉक्टर रविंद्र कुमार डॉक्टर कमल खिलाड़ी डॉक्टर विजेंद्र सिंह डॉक्टर लोकेश गंगवार सत्येंद्र खारी डॉक्टर गोपाल सिंह आदि लोग मौजूद रहे