आलू की फसल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स Publish Date : 25/11/2024
आलू की फसल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
आलू की खेती भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभदायक फसल है। अक्टूबर और नवंबर का समय आलू की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए खेत में नमी का उचित स्तर बनाए रखना आवश्यक होता है। अधिक नमी के कारण कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं, जिससे पूरी फसल बर्बाद भी हो सकती है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आर. एस. सेंगर के अनुसार, आलू के खेत में नमी का स्तर 65 से 75 प्रतिशत के बीच स्थित होना चाहिए। इससे अधिक नमी होने पर फसल में फफूंद लगने और पत्तियों के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। अत्यधिक नमी का कारण पानी का जमाव और सूरज की रोशनी की कमी भी हो सकती है। डॉ0 सेंगर के अनुसार, यदि खेत में नमी का स्तर बढ़ जाए और मौसम में सूरज की रोशनी भी पर्याप्त न हो, तो फसल में फंगस और अन्य बीमारियों का खतरा बना रहता है। इससे बचने के लिए किसान भाइयों को नमी के स्तर पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए।
आलू की खेती में पानी का सही प्रबंधन बेहद जरूरी होता है। खेत में पानी का जमाव न हो, इसके लिए उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए। किसान भाइयों को चाहिए कि वे खेत में सिंचाई करते समय क्यारियों में भरकर पानी न छोड़ें, बल्कि इसके स्थान पर हल्की सिंचाई करें ताकि नमी का स्तर नियंत्रित रह सके।
यदि खेत में अधिक मात्रा में पानी जमा हो गया है, तो निकासी की व्यवस्था करना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही, सूरज की रोशनी की कमी होने पर शाम के समय खेत के आसपास धुआं कर देने से नमी का स्तर नियंत्रित होता है, जिससे फसल पर फंगस और अन्य रोगों का प्रभाव कम होता है।
शाम के समय खेत में धुआं करने का एक पारंपरिक तरीका है जो अत्यधिक नमी को कम करने में सहायक होता है। इससे खेत का वातावरण सूखा बना रहता है और फसल पर नमी का सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है। धुआं करने से फसल पर फफूंद और अन्य रोगों का खतरा कम होता है, जो कि नमी के कारण होने वाली समस्याओं का मुख्य कारण होता हैं।
आलू की खेती करने से पहले किसानों को अपना खेत वैज्ञानिक विधि से तैयार करना चाहिए। इसके लिए खेत की पहली जुताई जहां मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, तो वहीं दूसरी और तीसरी जुताई देसी हल अथवा हैरों से करनी चाहिए।
यदि खेत में कोहरा लग जाए और नमी का स्तर बढ़ जाए, तो यह आलू की फसल के लिए हानिकारक हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञों द्वारा सलाह दी जाती है कि किसान “रीडोमिल गोल्ड” नामक फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें। इस दवा को पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करने से फसल को फंगस के रोग से बचाया जा सकता है और उत्पादन में भी अपेक्षित सुधार होता है।
सिंचाई का संतुलनः आलू के खेत में पानी देने से पहले सुनिश्चित करें कि क्यारियों में पानी भरने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए केवल हल्की सिंचाई ही करें।
सूरज की रोशनी का महत्वः खेत में पर्याप्त धूप का प्रवेश होना चाहिए, ताकि नमी का स्तर नियंत्रित रहे। सूरज की रोशनी की कमी से फसल पर नमी का असर ज्यादा पड़ता है।
धुआं करनाः शाम के समय खेत के आसपास धुआं करने से नमी का स्तर कम होता है, जो फसल को सुरक्षित रखता है।
फंगस से बचाव के लिए छिड़कावः कोहरे के कारण फसल में फंगस न लगे, इसके लिए “रीडोमिल गोल्ड” का छिड़काव किया जा सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।