फल एवं सब्जी के उत्पादन हेतु पोषण वाटिका Publish Date : 24/11/2024
फल एवं सब्जी के उत्पादन हेतु पोषण वाटिका
प्रोफेसर आर. एस. सेगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
‘‘पोषण वाटिका खाद्य, पोषण एवं आजीविका की सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। हमारे दैनिक जीवन में फल एवं सब्जियों का एक विशेष स्थान है। फल एवं सबियां हमें विभिन्न पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिन्स एवं एंटी-ऑक्सीडेंट्स प्रदान करते हैं। सब्जिों के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान होने के उपरांत भी सब्जियां बौर फल आदि हमें उचित मूल्य पर नही मिल पाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर सब्जिों के उत्पादन में रासायनिक कीटनाशकों आवश्यकता से अधिक प्रयोग किया जा रहा है, जिससे उनका सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इससे बचाव के लिए हमें अपने घर पर ही पूरे साल सब्जी उत्पादन हेतु पोषण वाटिका करके एक ओर जहाँ पौष्टिक सब्जियां और कीटनाशकों से मुक्त फल एवं सब्जियाँ आदि प्राप्त होते हैं, तो वहीं इन्हें खरीदने पर व्यय होने वाली धनराशि की भी बचत होती है।’’
पोषण वाटिका एक ऐसी संरचना होती है, जिसके अन्तर्गत हम अपने घर के आसपास की खाली पड़ी भूमियों का सदुपायोग कर अपने परिवार के सदस्यों की पसंद के अनुरूप विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियों को छोटी छोटी करियां बनाकर उसमें उगाते हैं। भारतीस आहार परम्परा में मुख्य रूप से अनाज एवं कुछ सीमित मात्रा में दालों का समावेश देखने को मिलता है, जबकि सब्जियों और फलों का स्थान न के बराबर ही होता है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के अनुसार एक व्यक्ति को लगभग 550 ग्राम फल एवं सब्जियां (हरि पत्तेदार 100 ग्राम, जड़ एवं कंद वाली सब्जियां 100 ग्राम और अन्य सब्जियां 200 ग्राम तथा फल 150 ग्राम) प्रतिदिन सेवन करनी चाहिए। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के अनुसार, जबकि व्यक्ति प्रतिदिन केवल 200 ग्राम फल सब्जियां ही ग्रहण करता है।
इस प्रकार से अपने परिवार की फल एवं सब्जियों की आवश्यकता को पूरी करने के लिए परिवार के सदस्यों के अनुरूप 100 से 250 वर्ग मीटर के क्षेत्र में पोषण वाटिका स्थापित करनी चाहिए। रिवार के 5 से 6 सदस्यों के लिए 250 वर्ग मीटर के क्षेत्र में 4 मीटर लम्बी और 4 मीटर चौड़ी 15 क्यारियां बनाई जा सकती हैं। प्रत्येक क्यारी में मौसम के अनुसार अलग अलग सब्जियों के बीज एक निश्चित् दूरी पर लगाए जाते हैं। इस प्रकार एक योजनाबद्व तरीके से स्थापित पोषण वाटिका से एक परिवार पूरे साल सब्जियां एवं फल प्राप्त कर सकता है।
पोषण वाटिका से प्राप्त लाभ
- इससे स्वच्छ एवं ताजी सब्जियां प्राप्त होती हैं।
- परिवार के सदस्यों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक रहित सब्जी प्राप्त होती हैं।
- व्यय कम होने से आर्थिक स्थिति भी सुधरती है।
- बेहतर स्वाद एवं स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
पोषण वाटिका के लिए स्थान के चयन
पोषण वाटिका घर के आस पास ही होनी चाहिए, जिससे कि प्रतिदिन उसका निरीक्षण एवं देखभाल आसानी से की जा सके।
जिस स्थान पर पोषण वाटिका की स्थापना करनी है, वहाँ धूप और पानी अच्छी उपलब्धता होनी आवश्यक है।
पोषण वाटिका की तैयारी
पोषण वाटिका की तैयारी के लिए सबसे पहले उसकी भूमि अथवा मिट्टी को तैयार करना होता है। इसके लिए भूमि की 4 से 5 बार जुताई करने के बाद मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। इसके बाद 1 से 2 किलोग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) मिला देनी चाहिए। अब इस भूमि को समतल कर इसमें क्यारियाँ बना लेनी चाहिए। वर्षा ऋतु में क्यारियाँ बनाते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि क्यारियों में जल भरव न हो अन्यथा जल भराव होने के कारण क्यारियों में बोई गई फसल नष्ट भी हो सकती हैं।
पोषण वाटिका हेतु फसल चक्र |
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मौसम |
फसल की अवधि |
प्रमुख सब्जियाँ |
रबी |
अक्तुबर से फरवरी |
पात गोभी, फूल गोभी, बेंगन, मिर्च टमाटर, मटर, पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, धनिया, बथुवा और सरसों का साग आदि। जड़ वाली सब्जियाँ जैसे मूली, गाजर और चकुन्दर आदि। |
जायद |
मार्च से जून |
भिंड़ी, ग्वार की फली, पालक, लोकी, तौरई, करेला और खीरा आदि। |
खरीफ |
जुलाई से अक्तुबर |
लोकी, तौरई, करेला, बैंगन, मिर्च, टमाटर पालक, ग्वार की फली, भिंड़ी और खीरा आदि। |
पोषण वाटिका में बुवाई और रोपाई
पोषण वाटिका में सब्जियों की बुवाई दो प्रकार से की जा सकती है-
1. बीज से सीधे बुवाई करनाः- पालक, मेथी, धनिय, चौलाई, कद्दू, लौकी, तोरई, करेला, टिण्ड़ा, खीरा, सेमफली, गाजर, मूली, चकुन्दर, शलजम, भिझड़ी, ग्वार और चँवला आदि सब्जियों की बुवाई सीधे बीज के माध्यम से ही की जाती है।
2. पौध बनाकर बुवाई करनाः- बहुत सूक्ष्म बीज वाली सब्जी फसलों की बुवाई नर्सरी में पौध तैयार कर, पौध को उचित दूरी पर रोपित कर दिया जाता है। टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, गाँठगोभी, ब्रोकली, लेट्यूस और प्याज आदि सब्जी फसलों की बुवाई इसी प्रकार से की जाती है।
पोषण वाटिका के अन्तर्गत ध्यान देने योग्य तथ्य:-
बीज की बुवाई निश्चित् दूरी पर ही करें-
- औषधीय गुणों से युक्त विभिन्न पौधे जैसे- करी पत्ता, तुलसी, पुदीना, गिलोय, अरूवगंध, ग्वारपाठा और लेमन ग्रास आदि को भी पोषण वाटिका में अवश्य ही लगाया जाना चाहिए।
- टमाटर और चँवला आदि सब्जिों के पौधों को किसी लकड़ी से सहारा प्रदान (स्टेकिंग) बाँध देना चाहिए जिससे कि फलों के भार से पौधे की शाखाएं टूट नही पाएं।
- फलदार पौधे जैसे- पपीता, नींबू, अनार, करौंदा और आँवला आदि आदि को इनके बीच की दूरी 2 से 3 मीटर रखते हुए पोषण वाटिका की उत्तर दिशा की ओर लगाना उचित रहता है।
- पोषण वाटिका में फव्वारा (स्प्रिंक्लर) अथव बूँद-बूँद सिंचाई प्रणाली को अपनाने से एक तो पानी की बचत होती है, दूसरे पोषण वाटिका के पौधे अधिक स्वस्थ रहते हैं।
- पोषण वाटिका के पौधों की वृद्वि सुचारू रूप से हो इसके लिए प्रति 15 दिन के अत्लराल पर इसकी निराई और गुड़ाई करना आवश्यक है।
- क्यारी की मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखते हुए ही बीज की बुवाई करनी चाहिए, क्योंकि बुवाई के पश्चात् सिंचाई करने से बीजों का एक स्थान पर एकत्र होने का खतरा रहता है।
- पोषण वाटिका को गर्मियों में अधिक गर्मी और सर्दियों में अधिक सर्दी और पाला आदि से बचाव के लिए शेड नेट का प्रयोग करना उचित रहता है।
- पोषण वाटिका में सब्जी के बीज की बुवाई तीन बार सात दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए। ऐसा करने से नियमित रूप से सब्जियों की उपलब्धता बनी रहती है।
- बीमारी को फैलाने वाले कीट एवं पतंगों के नियंत्रण के लिए पोषण वाटिका में एक लाईन में गेंदा और मक्का को लगाना चाहिए।
पोषण वाटिका से प्राप्त अतिरिक्त सब्जियों के मूल्य संवर्धन हेतु कार्य-
हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे- धनिया, पुदीन और मेथी विशेष रूप से कसूरी मेथी आदि को स्वच्छ पानी से धोकर छायादार और हवादार स्थान पर सुखाकर एयरटाईट डिब्बे में बन्द करके रखें। इनकी सूखी पत्तियों को रोटी या परांठा, पूरी एवं सब्जी इत्यादि को बनाने में प्रयोग किया जा सकता है। पोषण प्रदान करने के साथ ही साथ यह भोजन को स्वादिष्ट बनाती है।
गोभी एवं गाजर के टुकड़े और मटर के दानों को ब्लाँच करके (इस प्रक्रिया में सब्जी के टुकड़ों को दो से तीन मिनट तक उबलते पानी में पकाकर, छानकर ठण्ड़े पानी में डाला जाता है) धूप में दो से चार दिन तक सुखाने के बाद इसे एयरटाईट डिब्बे में संरक्षित किया जा सकता है।
पोषण वाटिका से मिलने वाले फल एवं सब्जियों से प्राप्त स्वास्थ्य लाभ
फल एवं सब्जी पाये जाने वाले पोषक तत्व प्राप्त स्वास्थ्य लाभ-
1. लाल, पीली सब्जियाँ तथा फल- टमाटर, कद्दू, पपीता और आम आदि। विटामिन-ए संक्रमण आदि से बचाकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है, शरीर का विकास करती हैं, आँखों एवं त्वचा को स्वस्थ बनाए रखती हैं।
2. हरी सब्जियाँ- मेथी, चौलाई, धनिया, पालक, फलियाँ और सहजन आदि। आयरन, फोलिक एसिड एवं विटामिन रक्त के निर्माण में सहायता करती हैं।
प्रतिरक्षी कोशिकाओं का नर्माण कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ता प्रदान करती है।
3. खट्टे फल एवं सब्जियाँ- आंवला, नींबू, अमरूद और मिर्च आदि। विटानि-सी शरीर में उपस्थित लौह तत्व का अवशोषण कर रक्त के निर्माण में भूमिका निभाती हैं।
- शरीर के घावों को भरने एवं संक्रमण आदि से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
4. हरी पत्तेदार सब्जियाँ- चवला, ग्वारफली, गार और मूली आदि। रेशा कब्ज का उपचार करती हैं।
- शरीर के कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियमित करती है।
- शरीर में आँतों के कैंसर के खतरे को कम करती है।
5. कन्द मूल वाली सब्जियाँ- आलू और शकरकन्द आदि। ऊर्जा शरीर में ऊर्जा के स्तर को उचित बनाने में मदद करती है।
- फल एवं सब्जियाँ एंटी-ऑक्सीडेंट्स से समृद्व होती हैं, जो शरीर को मजबूत बनाकर कैंसर के जैसी घातक बीमारियों से बचाती हैं।
प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, जबकि फल एवं सब्जियाँ संतुलित आहार के अभिन्न अंग होते हैं, जो कि समस्त आवश्यक तत्वों से समृद्व होते हैं। इन तत्वों की कमी होने पर महिलाओं में एनीमिया और बच्चों में कुपोषण एवं रतौंधी के जैसी भयानक रोग देखने को मिलते हैं। ऐसे सभी रोगों से लड़ने के लिए पोषण वाटिका एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। योजनबद्व तरीके से स्थापित की गई पोषण वाटिका व्यक्ति को वर्षभर पोष्टिक एवं जाते फल और सब्जियाँ उपलब्ध कराकर व्यक्ति के स्वास्थ्य में वृद्वि के साथ-साथ उसकी आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ करती हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।