प्रत्येक कार्य में प्रसन्नता का अनुभव करें      Publish Date : 20/11/2024

प्रत्येक कार्य में प्रसन्नता का अनुभव करें

प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हम सबके बीच हैं और सब हमारे बीच हैं यही है जीवन में सफलता का रहस्य

श्री गुरुजी के हर रहस्योद्घाटन में अक्सर कुछ रहस्यपूर्ण अर्थ भरे होते थे। राजस्थान में आयोजित एक बैठक दौरान उन्होंने कहा ‘‘हमारे काम की प्रकृति ऐसी है कि हम सबके बीच हैं और सभी हमारे बीच हैं।

                                                   

हमारे स्वयंसेवकों को सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए और संघ के विचार उनके जीवन का आधार होने चाहिए। हमारा काम ईश्वरीय काम है। ईश्वर प्रकृति में हर जगह हैं और प्रकृति ईश्वर में प्रकट होती है। दोनों के बीच सही संतुलन होना बहुत जरूरी है।’’

समाज के अन्यान्य क्षेत्रों में काम करते समय, जब हमे माला पहनाई जाती है और हमारी प्रशंसा की जाती है अर्थात प्रतिष्ठा मिलती है तो वह हम सबको बहुत आनंदित करती है। स्वाभाविक है कि हमारे मन में यह भावना आती है किए ‘‘मैं कुछ विशेष बन गया हूँ।’’

जो भावना उसे उत्साहित करती है, वह वास्तव में अहंकार की ही मौलिक प्रकृति होती है। हमे इस बात पर जोर देना होगा कि अपने. अपने कार्य क्षेत्रों में नेतृत्व करते हुए सामाजिक जीवन में उच्चता प्राप्त करें, लेकिन अनुशासन के दायरे में हमेशा विनम्र बने रहें। क्योंकि सब हमारे हैं। अतः मैं जो कुछ कर रहा हूं वह अपनों के लिए ही कर रहा हूं और जो सम्मान मुझे मिल रहा है वह भी केवल मेरा नहीं, बल्कि हमारे सब लोगों का है।

किसी के लिए भी अपने सुख और आराम का त्याग करना संभव नहीं है। सत्य तो यह है कि वास्तविक सुख और आराम हमारे कर्तव्यों के निर्वहन के माध्यम से प्राप्त होता है। यदि किसी कारण से हमें सुख और आराम का अनुभव नहीं हो रहा है तो निश्चय ही हमारे कर्तव्यों की पूर्ति में कुछ कमी रह गई है, और बिना सुख का अनुभव किए पूरी ताकत के साथ लंबे समय तक काम करना संभव नहीं है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।