अहंकार का परित्याग      Publish Date : 12/11/2024

                           अहंकार का परित्याग

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले संघ के स्वयं सेवकों का मानना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा उनके मन पर जो छाप छोड़ी गई है, वह दृढ़ और चिरस्थायी है। इसलिए उनके चरित्र में किसी भी तरह की गिरावट की संभावना नहीं होती है। कभी-कभी इस तरह की सोच उन्हें सांसारिक गतिविधियों से भी दूर कर देती है। यह अहंकार की सम्मोहन अभिव्यक्ति है और किसी भी स्वयं सेवक को अहंकार का शिकार नहीं होना चाहिए।

यीशु मसीह के पास पीटर नाम का एक बहुत ही वफादार शिष्य था। पीटर को मसीह का सबसे वफादार अनुयायी होने का बहुत ज़्यादा घमंड था। इस बात ने उसे मसीह से अपने मन की बात कहने के लिए प्रेरित किया। परमेश्वर, दूसरे अनुयायी आपके साथ रह सकते हैं या आपको छोड़ सकते हैं। परन्तु मैं आपके साथ ही रहूँगा! ईस मसीह ने अपने कोमल स्वर में, उसे समझाने में गंभीरता दिखाई ‘पीटर’ घमंड मत करो और डींग मत मारो। उसी दिन मसीह को राजा के सैनिकों ने पकड़ लिया और जो लोग उसके आस.पास थे, वे भागने में सफल रहे। पीटर मसीह के करीब था और सैनिक ने पीटर की ओर उंगली दिखाते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया, वह ‘‘मसीह के साथ है, उसे पकड़ लो” तुरंत, पीटर ने कहा ‘तुम मुझे क्यों परेशान कर रहे हो! मैं मसीह को नहीं जानता।“

                                                                        

कैद मे बन्द मसीह के लिए कुछ खाने का प्रबंध करने के उद्देश्य से, पीटर उनकी कोठरी के आसपास ही घूम रहा था। जेल की रखवाली कर रहे एक सिपाही ने पूछा, ‘क्या तुम मसीह के मित्र हो!’’् पीटर ने ना में अपना सिर हिलाया और भोर होने से पहले उसने फिर से कहा, ‘मसीह से मेरा कोई संबंध नहीं है।’अगली सुबह  पीटर पश्चाताप से भर गया क्योंकि मसीह ने जो कुछ भी कहा था, वह बिल्कुल सच निकला था।

इसलिए संघ कहता है कि निष्ठावान स्वयं सेवक होने के विचार से अहंकार को मत पालिए। मनुष्य से गलतियाँ तो होती ही हैं। इस विचार को अपने मन में स्थाई रखिए और विनम्रता के साथ नियमित रूप से शाखा रूपी अभ्यास  करते रहिए। ईश्वर के आशीर्वाद पर अटूट विश्वास रखिए, जो आपको काम करने में सक्षम बनाएगा और इसी विश्वास के साथ अपना काम निष्ठापूर्वक करते रहें। मेरा मानना है कि हम सभी को व्यक्तिगत या सार्वजनिक शक्ति से उपजे संकीर्ण नेतृत्व से दूरी बनाए रखनी चाहिए, तभी हम अहंकार से दूर रहेंगे और नित्य इस बात का स्मरण करते रहना होगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।