लक्ष्यों और सौहार्दपूर्ण संबंधों में चिरस्थायी विश्वास      Publish Date : 11/11/2024

               लक्ष्यों और सौहार्दपूर्ण संबंधों में चिरस्थायी विश्वास

                                                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

संघ स्वयंसेवकों के उद्देश्य और लक्ष्य अविनाशी हैं और व्यवहार में दूसरों के साथ उनके संबंध मधुर और सौहार्दपूर्ण होते हैं। एक दूसरे के बीच का रिश्ता गर्मजोशी और स्नेह से भरा होने के कारण उनकी परस्पर मिलने की इच्छा और प्रबल हो जाती है।

कोयले और हीरे का दृष्टांत इस रिश्ते के हिसाब से सटीक बैठता है, दोनों एक ही घटक से व्युत्पन्न होते हैं। जलने पर कोयला गर्मी और रोशनी देता है, लेकिन इससे सुरक्षित दूरी बनाए रखना जरूरी है। हीरा चमकदार किरणें उत्सर्जित करता है, जिससे यह एक आकर्षक चमकदार वस्तु बन जाती है, जो बदले में हमारे मन में सबसे अधिक वांछित वस्तु बन जाती है।

ऐसे लोग भी दिखाई देते हैं जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए अदभुत जुनून और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हैं। दुर्भाग्य से ऐसे लोगों के पास आम लोगों से मिलने का समय नहीं होता। अगर उनके पास थोड़ा समय होता भी है तो एक सामान्य व्यक्ति उनसे मुश्किल से मिल पाता। संघ के संस्थापक पूजनीय डॉ0 हेडगेवार जी का व्यवहार इससे बिलकुल अलग था। कोई भी व्यक्ति उनसे मिल सकता था और उनके पास लोगों से मिलने के लिए दुनिया भर का समय होता था।

ऐसा सौहार्दपूर्ण, आकर्षक और स्नेहपूर्ण ऐसा रिश्ता शायद ही कहीं और देखने को मिले और इसीलिए वह हमारे आदर्श हैं। हीरा हमारा आदर्श है, कोयला नहीं।

कुछ अनुभव बहुत ही उत्साहवर्धक होते है, तो कुछ बहुत ही पीड़ादायक। यह मानवीय स्वभाव है कि दुखदायी अनुभवों को जल्दी नहीं भुलाया जा सकता, लेकिन भूल जाना और आगे बढ़ना ही उचित रहता है, जो कुछ हुआ, उसे बार.बार नहीं दोहराना चाहिए, वह व्यर्थ है। यदि यादों को ताजा करना है, तो सुखद यादों को ताजा करना चाहिए, हर किसी को हमेशा कुछ सुखद अनुभव करने की इच्छा होती है। ऐसी दुखद यादों को याद करने से क्या लाभ, यह केवल दुख और परेशानी को ही बढ़ाएंगी।

भारत के पुनर्जागरण, में संघ  के मिशन में हमारे देश के ही लोगों के द्वारा बाधाएं डाली गईं। लेकिन फिर इस दुखद स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है, जो लोग राष्ट्रभाव को कुचलना चाहते हैं, वे अपनी भड़ास निकाल सकते हैं, लेकिन जिसके पास डॉ0 हेडगेवार जी के जैसे राष्ट्रीय व्यक्तित्व का साक्षात्कार हैं, वह कभी उनका बुरा नहीं चाह सकता।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।