अपने जीवन के मंत्र से व्यक्तित्व को दें आसमान जैसा विस्तार      Publish Date : 06/11/2024

      अपने जीवन के मंत्र से व्यक्तित्व को दें आसमान जैसा विस्तार

                                                                                                                                                                    प्रांफेसर आर. एस. सेंगर

प्रतिभा, ईश्वर की कृपा से प्राप्त होती है, अतः उसके समक्ष सदैव ही नतमस्तक रहें। ख्याति समाज से मिलती है तो उसके प्रति आभारी रहें। किंतु यदि घमंड आपके भीतर उपजता है तो उस प्रति सावधान रहें। सही दृष्टिकोण एवं सकारात्मक सोच के साथ प्रत्येक समस्या का समाधान निश्चित है।

लगन, एक व्यक्ति से वह काम करवा लेती है, जो वह आमतौर पर नहीं कर सकता, जबकि साहस व्यक्ति से वही काम करवाता है जो कि वह कर सकता है। जबकि अनुभव व्यक्ति से वही काम करवाता है जो वास्तव में उसे करना चाहिए। इसी राह पर हम अपने स्वयं के भाग्य निर्माता और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बना सकते हैं।

हम सभी सुखद जीवन का सपना तो देखते हैं, परंतु इस सपने को हकीकत में वही बदल पाता है जो इसके लिए सतत प्रयत्नशील रहता है। जीवन अर्थ केवल सांस लेना ही नहीं होता है अपितु जीवन एक लक्ष्य है जिसका सबसे बड़ा उद्देश्य स्वयं के अस्तित्व का औचित्य सिद्ध करना ही होता है। यह सब तभी संभव हो सकता है जब हम स्वयं एक बेहतर जीवन जिएं और दूसरों के लिए भी बेहतर जीवन निर्वाह करने में सहायक बनें।

हालांकि इस मार्ग में कुछ असहजता से भरे क्षण भी हो सकते है। गुरूदेव, रविंद्र नाथ टैगोर ने यथार्थ ही कहा है कि अपनी जिंदगी और अपना सुख तो सब लोग जीते ही हैं और उसे अनुभव भी करते हैं लेकिन जो अपने सुख के साथ-साथ दूसरों के सुख के लिए सोचता है, कुछ करता है तो उसे ऐसा करते समय परेशानियां भी झेलनी पड़ेगी और कुछ सुना भी पड़ेगा।

प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है, किंतु कभी किसी से उसके बदले में कुछ मांगती अथवा चाहती नहीं है। हमारे पास आज जो कुछ और जिस रूप में भी है उसे बिना किसी आकांक्षा के सबको लाभान्वित करने का प्रयास करा चाहिए। जब भी किसी जरूरतमंद की आवाज हम तक पहुंचे तो हमें प्रभु का धन्यवाद देना चाहिए कि उसने हमें एक पुण्य कार्य करने के लिए चुना है। अन्यथा तो वह एक अकेला परमात्मा ही तो सारी सृष्टि के लिए बहुत है। वस्तुतः हमारा व्यक्तित्व आसमान के जैसा होना चाहिए, क्योंकि जमीन कितनी भी महंगी क्यों ना हो लोग उसे खरीद ही लेते हैं।

यही जीवन का मंत्र है इसलिए इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही हम अपने जीवन को जिएं तो शायद हमारे साथ ही अन्य सभी लोग आगे बढ़ सकेंगे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।