
सत्यनिष्ठा है हमारे राष्ट्रीय जीवन का आधार Publish Date : 04/11/2024
सत्यनिष्ठा है हमारे राष्ट्रीय जीवन का आधार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
इस धरती पर जो भी जीवन मिलता है, वह वस्तुतः हिन्दू जीवन-पद्धति से ही प्रेरित है। इसकी अभिव्यक्ति जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न तरीकों से होती है, राजनीतिक जीवन, सामाजिक जीवन या फिर भौतिक जीवन आदि का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। हमने अपने सामाजिक जीवन को राष्ट्रीय जीवन के साथ अभिन्न रूप में, सुख-दुख के साथ अनुभव किया है। हम दृढ़तापूर्वक मानते हैं कि इस धरती पर हिन्दू जीवन-पद्धति के अतिरिक्त कोई दूसरा जीवन अस्तित्व में ही नहीं है।
वर्तमान में हम अपनी इस जीवन-पद्धति को भूल चुके है, इसलिए दूसरे आक्रमणकारी हमारे ऊपर आक्रमण करने लगे, आक्रमणकारी बनकर यहाँ आए और यहाँ शासन करने लगे। हालांकि, वह हमसे अधिक वीर नहीं थे, हमसे श्रेष्ठ नहीं थे और न ही उनकी संख्या हमसे अधिक थी। बावजूद इसके हम उनसे इसलिए पराजित हुए, क्योंकि हम आपस में ही झगड़ते रहे और उन्होनें इस फायदा उठाया। हमारे ऊपर अनेक विपत्तियाँ आईं और आक्रमणकारी केवल हमारी इस कमी के कारण सफल हो पाए।
इस कमी को दूर करना हमारे सामने सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसके बाद अन्य सभी बुराईयाँ तो बिना किसी विशेष प्रयास के अपने आप ही दूर हो जाएँगी।
हमारे कुछ साथी नागरिकों को यह रूढ़ीवादी दृष्टिकोण लगता है। कभी कभी अपने को भी यह लगता है कि जब दुनिया में ज्ञान के नए क्षितिज का विस्फोट हो रहा है, तो ऐसे पुराने विचारों की क्या आवश्यकता है? लेकिन हमें यह ध्यान में रखना होगा कि इन नए विचारों में एक संगठित अखंड समाज बनाने की क्षमता उपलब्ध नहीं है। दुर्भाग्य से हम शायद ही कभी एकजुट होकर, अभिन्न विचार देखते हैं। राज्य, भाषा और पंथ के नाम पर हर जगह नफरत ही फैलाई जा रही है।
हमारे कई नेताओं ने राष्ट्रीय अखंडता के लिए बहुत बड़े प्रयास किए हैं और इसका परिणाम भी हमारे सामने हैं। सबक यह है कि अखंडता ‘‘एक साथ चलो’’ जैसे नारों से नहीं, न ही बड़े औद्योगिक घरानों को खड़ा करने से, न ही औद्योगिक विकास से और न ही शासन व्यवस्था से हासिल की जा सकती है।
राष्ट्रीय अखंडता प्राप्त करने के लिए कई कारक होते हैं। राष्ट्रीय अखंडता प्राप्त करने की विशेषताएं हैं: यह अनुभव कि हम सभी कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले अपने इस महान परिवार के सदस्य हैं, मातृभूमि की अखंड और अविभाजित भूमि, मातृभूमि के प्रति पूर्ण स्नेह की भावना, सभी निवासियों की रगों में एक ही खून बहने का दृढ़ विश्वास, भविष्य के लिए समान लक्ष्य प्राप्त करने की समान प्रेरणा, राष्ट्रीय नायकों की महान परंपरा।
हम वर्षों से एक साथ ऐसे राष्ट्रीय जीवन का अनुभव कर रहे हैं। इस तथ्य का अनुभव ईमानदारी पैदा करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। बेशक यह तभी संभव है जब हम आने वाले वर्षों तक ऐसी ही मानसिकता बनाए रखें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।