अपने काम पर प्रतिदिन चिंतन करें      Publish Date : 27/10/2024

                       अपने काम पर प्रतिदिन चिंतन करें

                                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हमें वांछित परिवर्तन के बारे में नियमित रूप से सोचना होगा। यदि प्रतिदिन या साप्ताहिक नहीं तो कम से कम हमें हर महीने विस्तार से इसकी समीक्षा करनी चाहिए कि राष्ट्र की प्रगति के अभियान में हमने क्या प्रगति की? हम इस अवधि में कई लोगों के संपर्क में भी रहे ताकि वास्तविकता का पता चले। क्या हमारे व्यवहार से आपसी स्नेह और विश्वास में वृद्धि हुई है? या हम केवल काम की धारा में ही बह रहे हैं और हम दूसरों के संपर्क में आने पर उनकी कमियाँ ढूँढने के आदी हो गए हैं? क्या हम अहंकार में डूब गए हैं?

                                                                      

हम सभी को इस तरह के चिंतन के लिए कुछ समय अवश्य ही निकालना चाहिए। समीक्षा के समय हमें यह देखना चाहिए कि हम जिन लोगों के संपर्क में आए हैं, क्या उनके प्रति हमारे मन में स्नेह है, क्या उनके प्रति हमारी सहानुभूति है? क्या हमने अपने मन और हृदय को इस ऊंचाई तक उठाया है कि  सभी से प्रेम कर सकते हैं, भले ही दूसरों की राय अलग ही क्यों न हो?

क्या कभी समझ और परिपक्वता के उस स्तर को हमने प्राप्त किया है? जैसे-जैसे हम इस कदम में सफल होते हैं और एक-दूसरे को समझते हैं, हम आपसी प्रेम, सम्मान और ईमानदारी पर आधारित सुखद जीवन का एक आदर्श बना सकते हैं।

                                                       

इससे हम सामुदायिक जीवन का अनुभव प्राप्त कर सकेंगे और अपने काम की मर्यादाओं को भी समझ सकेंगे, तब हम कई छोटी-छोटी मुश्किलों को हल कर सकेंगे। हमें यह समझने की कोशिश करनी होगी कि लोग अस्थायी समस्याओं को समझते हैं और उनका समाधान भी करते हैं, जबकि हमे राष्ट्रीय समस्याओं को हल करने की परंपरा बनाना उचित रहेगा और अपनी ऊर्जा को उस उद्देश्य के लिए लगाना होगा।

सामान्य व्यक्ति के लिए समाज के महान लोगों ने दैनिक समीक्षा का एक सरल तरीका निकाला है, हमे भी  कुछ समय निकालना चाहिए। उस समय अपने शरीर, मन और बुद्धि की ऊर्जा को अपने लक्ष्य पर केंद्रित करते हुए उसको आनंदित करने और प्रेरित करने वाला अनुभव प्राप्त होगा। साथ ही, ऐसे लोगों की संगति में भी प्रतिदिन कुछ समय बिताना चाहिए जो इस तरह का अभ्यास करते हों और सकारात्मक दृष्टिकोण से ओतप्रोत हों।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।