वर्तमान में वायू प्रदूषण का हाल Publish Date : 26/10/2024
वर्तमान में वायू प्रदूषण का हाल
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
‘‘कार्बन मोनो-ऑक्साइड’’ साइलेंट किलर वातावरण में इसके निर्धारित स्तर से 25 गुणा अधिक यानी स्वास्थ्य को खतरा-
पिछले तीन दिनों से अति सूक्ष्म पार्टिकुलेट मैटर अर्थात पीएम मानक स्तर से ऊपर बना हुआ है, कहा जा सकता है कि दीपावली से पहले ही हमारी वायु विषाक्त हो चुकी है। गत 24 घंटे से कार्बन मोनो-ऑक्साइड के जैसी साइलेंट किलर मानी जाने वाली गैस भी अब सुरक्षित स्तर से 25 गुणा अधिक के स्तर पर पहुँच चुकी है। जयभीनगर में गुरूवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 317 रिकार्ड किया गया और कार्बन मोनो-ऑक्साइड की मात्रा 8 से 9 घंटे तक निरंतर 100 मिलीग्राम प्रति घनमीटर से अधिक के स्तर पर ही बनी रही। जबकि इसका सुरक्षित मानक स्तर 4 मिलीग्राम प्रति घन मीटर का ही है।
जिले में इस समय हवा का रूख उत्तर-पश्चिम है। गुरूवार को हवा की रफ्तार 4 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नही रही। जबकि अधिकतम तापमान 34.8 और न्यूनतम तापमान 19.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। हवा का वेुटीलेशन इंडेक्स कम होने के कारण प्रदूषण के काक कण, धूल और गैस आदि का जमाव वायुमंडल की निचली परत में ही बना हुआ है।
जयभीम नगर में बुधवार की राम 9 बजे से गुरूवार के सुबह 9 बजे तक बीच-बीच में आठ घंटे और गंगानगर में रात 10 बजे से लगातार 9 घंटे तक वातावरण में कार्बन मोनो-ऑक्साइड की मात्रा 100 से 110 मिलीग्राम प्रति घन मीटर के बीच ही स्थिर रही। जबकि पल्लवपुरम में बुधवार की रात 3 बजे से गुरूवार सुबह दस बजे तक पीएम 2.5 की मात्रा 450 और जय भीमनगर में 430 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के आसपास ही रिकार्ड की गई। 400 से अधिक पीएम 2ण्5 की मात्रा को अत्यंत गंभीर माना जाता है।
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी ने बताया कि प्रदूषित कणें और गैसों के प्रवाह एक स्थान से दूसरे स्थान पर नही होने के कारण इनका जमाव काफी हद तक बढ़ गया है। सम्बन्धित विभागों को पीक आवर्स में सड़कों पर पानी का छिड़काव और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के विरूद्व कड़ी कार्यवाई करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
शरीर के प्रमुख अंगों के ऊतक नष्ट होने लगते हैं-
फिजिशियन डॉ0 दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि जब हम सांस लेते हैं तो कार्बन मोनो-ऑक्साइड और ऑक्सीजन दोनों ही गैसों को ग्रहण करते हैं। हमारे रक्त में लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) उपलब्ध होती हैं जो हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों के ऊतकों तक ऑक्सीजन को पहुँचाने का काम करती हैं। लेकिन जब इन ऊतकों में ऑक्सीजन के साथ ही अधिक मात्रा में कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस भी पहुँच जाती है तो यह ऑक्सीजन की अपेक्ष आरबीसी से अधिक तेज क्रिया करती है। रक्त में मौजूद आरबीसी ऑक्सीजन की अपेक्षा कार्बन मोनो-ऑक्साइड से पहले जुड़ती है। ऐसे में हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे मस्तियक और हार्ट आदि में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगता है सिके प्रभाव से हाइोक्सिया की स्थिति का निर्माण होता है और इसके कारण शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के ऊतक नष्ट होने लगते हैं।
कैसे लक्षण दिखाई देते हैं-
इस स्थिति में आमतौर पर सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी और मितली आने के जैसे लक्षण अनुभव हो सकते हैं।
बचाव के उपाय
यदि आपको अपने आप में उपरोक्त लक्षणों दिखाई दे तो वायु प्रदूषण वाले स्थान से दूर हो जाए और किसी स्वच्छ एवं ओपन वातावरण में चले जाएं। जिन मार्गों पर धुआं उठ रहा हो या जाम लगने की संभावना हो तो उन मार्गों पर जाने से बचें और इसके साथ ही मॉस्क का प्रयोग अवश्य करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।