कीटनाशक के साथ उर्वरक दक्षता को भी बढ़ाएगी नीम की खली Publish Date : 25/10/2024
कीटनाशक के साथ उर्वरक दक्षता को भी बढ़ाएगी नीम की खली
प्रोफेसर आर. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मोदीपुरम मेरठ, के प्रोफेसर आर. एय. सेंगर ने बताया कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक आलू की बुवाई कर देने से आलू की पैदावार बेहतर होती है। करीब एक हेक्टेयर की खेत तैयार करने में 15 से 20 टन गोबर की पुरानी खाद मिट्टी में डालनी चाहिए। खेत के लिए मिट्टी तैयार करते समय यदि एक हेक्टेयर में 40-50 किलो नीम की खली भी डाल दी जाए तो खेती के दौरान होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों से भी फसल को बचाया जा सकता है। नीम की खली खेत में कीटनाशक के रूप में काम करने के साथ जमीन की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ाती है।
बुवाई के दौरान न करें यह काम
विशेषज्ञ ने आगे बताया, आलू की बुवाई के लिए मेड़ को हमेशा 35-40 सेमी चौड़ा बनाना चाहिए। इससे आलू को पूरी तरह से पोषण मिल पाता है और आलू का बेहतर उत्पादन होता है। एक हेक्टेयर में आलू की खेती करने के लिए 80 किग्रा. पोटाश 80 किग्रा. डीएपी मिट्टी में मिलना आवश्यक है। आलू के बीज की बुवाई से पहले बीज का उपचार करना बेहद आवश्यक है. बुवाई से पहले स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या कॉर्बेंडाजिन बीज में अच्छी तरह से मिलाना चाहिए। कोल्ड स्टोरेज से आलू के बीज लेकर आने के तुरंत बुवाई नहीं करनी चाहिए। कोल्ड स्टोरेज से आलू के बीज लाने पर 3-4 दिन तक इसे खुली हवा में रखना चाहिए।
वैज्ञानिक विधि से फसल पर नहीं लगेगा पाला
डॉ0 सेंगर ने आगे बताया, आलू के बीज लगाने के 25 से 30 दिन के बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। कई बार आलू के फसल में पाला लगने की भी समस्या सामने आती है। लेकिन, यदि वैज्ञानिक विधि से खेत की तैयारी, बीज का उपचार और फर्टिलाइजर एवं सिंचाई का आदि का उचित प्रबंधन किया जाए तो आलू की फसल में बीमारी लगने की संभावना काफी कम हो जाती है। आलू की एक एकड़ की खेती में 6-7 क्विंटल बीज लगाकर 90-110 दिन में करीब 300 क्विंटल तक का उत्पादन किसान आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।