स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य का रक्षकः मशरूम      Publish Date : 18/02/2023

                                                                                                                                                                    डाॅ0 आर. एस. सेंगर
वनस्पतियाँ प्रकृति के द्वारा मानव को प्रद्वत एक अनुपम उपहार है। समस्त जन्तु-जगत के लिए वनस्पतियाँ कितनी उपयोगी हैं इसका आंकलन बेहद कठिन है क्योंकि ये सम्पूर्ण जन्तु जगत के जीवन सभी आवश्यकताएं को पूर्ण करती हैं। इन वनस्पतियों का एक वर्ग सूक्ष्म वनस्पतियों का है जिसे कवक कहा जाता है। साधारणतः ये नम स्थानों एवं पेड़-पौधों के सड़े-गले अवशेषों पर पनपते हैं। 


कवक पेड़-पौधों के इन्हीं अवशेषों में विद्यमान कार्बन एवं नाइट्रोजन युक्त पदार्थों से ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं, जिन्हें मशरूम कहते हैं। साधारणतः मशरूम की सैंकड़ों प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। जिनमें से कुछ तो बहुत विषैली होती है, परन्तु उपयोगिता की दृष्टि से मशरूम (कवक) की कुछ प्रजातियाँ अत्यन्त ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होती हैं, जैसे- शोन्गी, शीटेक, प्लूरोटस, रिशी, काबाराटेक तथा अगेरिकस आदि। इनका उपयोग खाद्य के रूप में अति प्राचीन से किया जाता रहा है जिसका लिखित प्रमाण 100 बी0सी0 से प्राप्त होता है।


 खाद्य रूप में मशरूम का उपयोग हजारों वर्षों पूर्व जापान में आरम्भ हुआ था इसके बाद चीन, कोरिया तथा अन्य पश्चिमी देशों में, परन्तु आज इनका उपयोग केवल खाद्य रूप में ही नही वरन् पूरे विश्व में औषधि, सौन्दर्य प्रशाधन, स्वास्थ्यवर्धक के रूप में प्रचुरता से किया जा रहा है।


    साधारणतः अच्छे एवं पोष्टिक भोजन से अभिप्रायः भोजन में विद्यमान आवश्यक सूक्ष्म एवं वृहद तत्व, अधिक आॅक्सीकारक तत्वों का होना, कम कैलोरी का उत्पादन, कार्बोहाइड्रेट्स की संतुलित मात्रा, प्रोटीन एवं वसा की आवशयक मात्रा आदि गुणों से की जाती है। मशरूम में उपरोक्त वर्णित सभी गुण उपलब्ध होने के कारण इसे एक आर्दश भोजन की श्रेणी में रखा जाता है।
मशरूम का पोषकीय मूल्यांकन


    मशरूम में जल की मात्रा 96 प्रतिशत होती है जो केवल पत्तेदार सब्जियों (90.08 प्रतिशत) को छोड़कर सभी फलों, सब्जियों, अण्ड़ा और मांस से भी अधिक होती है। इसमें खनिज पदार्थों की उपलब्धता भी अन्य सभी खाद्य पदार्थों से अधिक यानी लगभग 59 प्रतिशत होती है। 
मशरूम विद्यमान खनिज, लवण, पोटेशियम, फाॅस्फोरस, तांबा, जस्ता, मैगनीशियम, मैग्नीज, फोलेट, लौह तथा दुर्लभ एवं अति महत्वपूर्ण खनिज सिलेनियम जो कि विटामिन-ई के समतुलय होने के कारण आॅक्सीकारकरोधी तत्वों का उत्पादन कर कोशिकाशामक स्वतंत्र मूलकों को निष्क्रिय कर कैंसर एवं बुढ़ापे के रोगों से बचाव करता है। 
मशरूम में अल्प मात्रा में सोडियम भी उपलब्ध रहता है। मशरूम में अन्य विटामिन जैसे- पेन्टोथिनिक अम्ल (बी-12), बायोटिन (बी-7), कबोलेमिनस (बी-12), प्रोव्टिामिन-डी तथा ई एं विटामिन-सी की अधिक मात्रा (81 डहध्10 ळउ) होती है। मशरूम में विटामिन की अच्छी मात्रा होने के कारण उपरोक्त वर्णित सभी विटामिन्स की पूर्ति हो जाती है जो कि शाकाहारी लोगों के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं।


    खाद्य एवं औषधि के रूप में मशरूम का उपयोग चीन में 4 हजार वर्ष पूर्व से ही किया जा रहा है। जिसका कारण है कि मशरूम की पहिचान एवं उपयोग सर्वप्रथम चीन, जापान एवं कोरिया आदि देशों की गई थी। तत्पश्चात् पश्चिमी देशों तथा अन्य देशों में मशरूम का सौन्दर्य के लिए उपयोग वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए अनुसंधाानों के परिणाम स्वरूप हाल ही के वर्षों में सामने आया है। मशरूम से निर्मित सैंकड़ों सौन्दर्य वर्धक उत्पाद चीन, जापान, कोरया तथा लगभग सभी पश्चिमी देशों में प्रचुरता से उपयोग किया जा रहा है। 


मश्रूम में निहीत सौन्दर्यवर्धक तत्व बीटा 1,3डी-ग्लूकाॅन, बीटा 1,6-डी-ग्लूकाॅन तथा कोजिक अम्ल है। बीटा 1,3-डी-ग्लूकाॅन एक उच्च आणविक भार वाला बीटा-1,3-बन्धित ग्लूकोपायरानोस हैं। इसके गुणों एवं क्रियाशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे जैविक प्रतिक्रिया परिवर्तक वाले यौगिको की श्रेणी में रखा गया है। हमारे शरीर की प्राकृतिक क्रियाविधि की सक्रियता एवं त्वचा आदि के घाव भरने की क्रियाओं की गतिवर्धन तथा उसके नियमितीकरण में इसका विशिष्ट योगदान है और यह हमारी त्वचा में विद्यमान लैन्गरहैन्स कोशिकाओं एवं प्रतिरक्षक कार्यक्षम कोशिकाओं को भी स्वस्थ रखता है। 
ग्लूकाॅन का उपयोग तनावग्रस्त त्वचा की क्रियाशीलता में सुधार लाने के लिए अविशिष्ट प्रतिरक्षक प्रेरक के रूप में भी प्रारम्भ किया जा चुका है। बीटा-1,3-डी-ग्लूकाॅन एक प्रमुख पोषक तत्व (उच्च परमाणु भार वाला कार्बोहाइड्रेट्स का बहुलक) होने के साथ जैविक प्रतिक्रिया परिवर्तक वर्ग के अन्तर्गत आता है। यह अनेकों ईस्ट, कवक, बैक्टीरिया आदि की कोशिका-भित्ति तथा कुछ अन्न ग्लूकोज जैसे जई तथा जौं में भी उपस्थित रहता है। इसकी संरचना स्रोत के अनुसार भिन्न होने के कारण हमारे शरीर की अनेकों आन्तरिक क्रियाओं को भी प्रभावित करता है। 
मशरूम सबसे अच्छा प्रभाव हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और रोगरोधी क्षमता पर पड़ता है इसके अतिरिक्त यह कवकरोधी होने के कारण हमारी त्वचा को अनेक संक्रामक रोगों से भी सुरक्षित रखता है। 
त्वचा की स्निग्धता एवं सौदर्य वद्र्वक क्रीम बनाने के लिए मुख्य रूप से मशरूम की लेन्टिनस इडोडस प्रजाति उपयोग में लायी जाती है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस प्रजाति में कोजिक अम्ल उपलब्ध होते हैं, जिसके कारण यह त्वचा में मेलेनिन की बनने की क्रिय को बाधित करता है औा इसमें उपलब्ध स्तम्भक गुण त्वचा में दृढ़ता एवं स्फूर्ति पैदा करता है।
लेखकः सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय, मोदीपुरम, मेरठ के जैव प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष तथा एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं तथा लेख में प्रस्तुत विचार उनके स्वयं के हैं।