भविष्य के निर्माता: शिक्षक Publish Date : 19/10/2024
भविष्य के निर्माता: शिक्षक
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
किसी भी राष्ट्र एवं समाज की प्रगति वहां के शिक्षकों की स्थिति एवं उनकी प्रकृति पर निर्भर करती है। शिक्षक वह दिव्य ज्योति होती है जो अपने ज्ञान की लौ से अनगिनत छात्र रूपी दीये को प्रदीप्त करता है और यह प्रदीप्त दीये ही सम्पूर्ण समाज को अवलोकित करते हैं। एक शिक्षक अपने छात्रों को इस प्रकार से तैयार करता है कि वह भविष्य में राष्ट्र का नेतृत्व कर सकें। शिक्षक आशा करते हैं कि उनके द्वारा शिक्षित किए गए छात्र अलग-अलग क्षेत्रों में अपना सहयोग प्रदान कर राष्ट्र के विकास और उसके निर्माण की गति को बढ़ा सकें।
एक आदर्श शिक्षक समाज की एक अहम धुरी होता है। वह एक नए जीवन को सही रूप प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। वह अपने शिष्यों में नई समझ को विकसित करता है और उनके भीतर दया, करूणा, ात्सल्य तथा ममता के जैसे अनेक गुणों का समावेश करता है।
शिक्षक ही अपने छात्र के जीवन को आलोकित करने का कार्य करते हैं, और वह छात्र उसी आलोक को अपना सारथी बनाकर अपने जीवन के नए मार्गों की खोज करता है। ऐसे में यदि शिक्षक अपने उत्तरदायित्वों के प्रति पूरी ईमानदारी से अपना कार्य करें तो हमारे समाज की अनेक विकृतियां तो स्वयंमेव ही समाप्त हो जाएंगी। शिक्षक के स्वयं के ववेक से गढ़ी जाने वाली नवसंरचना, नवसमाज के उत्थान का कारण बनती हैं। एक छात्र का अपने शिक्षक के प्रति बहुत लगाव और सामीप्य होता है और वह अपने शिक्षक की बातों को बड़ी गहराई के साथ आत्मसात करता है।
शिक्षक और छात्र का सम्बन व्यवसायिक नही होता है और न ही कभी ऐसी परिस्थितियां होनी चाहिए कि उनका सम्बन्ध व्यवसायिक बने क्योंकि यदि इनके सम्बन्ध व्यवसायिक होने लगे तो समाज में कई विकृतियां उत्पन्न हो जाएंगी।
शिक्षक एक कलाकर भी होता है जिसके हाथों में जादू होता है, वह अपने हुनर से अपने छात्रों को नए विचार प्रदान करता है। डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने सही कहा है कि शिक्ष कवह नही होता है जो छात्रों के मस्तिष्क में तथ्यों को जबरन ठूंसे, अपितु वास्तविक शिक्षक तो वह है जो अपने छात्रों को आने वाले कल के लिए तैयार करता है।
शिक्षक की महनीय भूमिका किसी भी समाज के लिए प्रणम्य होती है। इस भूमिका का समुचित निर्वहन करने वाले शिक्षक ही समाज में आदर्श स्थापित कर पाते हैं। वास्तव में वही शिक्षक भविष्य के वास्तविक निर्माता होते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।