जलवायु परिवर्तन के कारण इस बार रिकॉर्ड तोड़ बढा तापमान      Publish Date : 18/10/2024

     जलवायु परिवर्तन के कारण इस बार रिकॉर्ड तोड़ बढा तापमान

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

इस वर्ष रिकार्ड तोड़ वर्षा और असमान तापमान ने भारत को झकझोऱ कर रख दिया है। विशेषज्ञों का मानना है की मौसम का बदलते ऐसे रूपों से जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के कारण फसलों पर काफी दुष्प्रभाव देखने को मिले है। भारी वर्षा और बढ़ते न्यूनतम तापमान ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है। इस स्थिति का भविष्य में और गंभीर होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

                                                               

मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष देश भर में सामान्य से अधिक बरसात हुई है, देश में 1 जून से 30 सितंबर तक 9 से 34.8 मिली वर्षा दर्ज की गई, जो औरत से 868.6 मिली से अधिक है।

मानसून की यह स्थिति विशेष रूप से जुलाई से सितंबर के महीनों में अप्रत्याशित रही जबकि जून में अल नीनो के प्रभाव के कारण वर्षा में 11 प्रतिशत की कमी देखी गई थी। आईएमडी के अनुसार अगस्त में 753 स्टेशनों पर और सितंबर में 525 स्टेशनों पर बहुत भारी वर्षा दर्ज की गई, जो पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले सर्वाधिक है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारी वर्षा के बावजूद मानसून के दौरान रात के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। तापमान में यह वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हुई है, जिससे न केवल दिन में बल्कि रात के समय में भी गर्मी का प्रभाव बढ़ रहा है और इससे नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। विशेष रूप से बुजुर्गों और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों के लिए यह स्थिति और अधिक खतरनाक बन रही है।

                                                          

जलवायु परिवर्तन ने मानसून की पारंपरिक धारा को बदल दिया है। पहले जहां मानसून दक्षिण से उत्तर की ओर चलता था परन्तु अब यह दक्षिण और मध्य भारत में अधिक सक्रिय हो रहा है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार पिछले 5-6 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम प्रणालियों की अवधि बढ़ गई है। इससे गीली मिट्टी वाले इलाकों में वर्षा की तीव्रता बनी रहती है।

इससे वैश्विक तापमान में वृद्धि और लगातार जलवायु परिवर्तन के संकेत मिलते हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय हमें अभी से करने होंगे, तभी हम अपने मानव जीवन और अपने ग्रह को सुरक्षित रख सकेंगे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।