किसान की आय बढ़ाने के लिए उपयुक्त है पहाड़ी मशरूम की खेती      Publish Date : 13/10/2024

किसान की आय बढ़ाने के लिए उपयुक्त है पहाड़ी मशरूम की खेती

                                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

वर्तमान के तेजी से बदलते और प्रतिस्पर्धात्मक आर्थिक दौर में, प्रत्येक व्यक्ति ऐसे अवसरों की तलाश में है जहाँ वह कम निवेश करके अधिकतम लाभ कमा सके। अगर आप भी ऐसे ही किसी बिजनेस आइडिया की खोज में हैं, तो आज हम आपके लिए एक बेहतरीन अवसर लेकर आए हैं।

                                                             

यह एक ऐसा बिजनेस है, जिसकी प्रारंभिक लागत लगभग शून्य होती है, लेकिन इसमें कमाई की संभावनाएँ बेहद उज्ज्वल हैं। इस क्षेत्र में सफलता पाने के लिए आपको केवल धैर्य और मेहनत की आवश्यकता होगी, हालांकि, सही दिशा में कदम उठाना भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह बिजनेस आइडिया उन लोगों के लिए बहुत उपयुक्त है जो छोटे स्तर पर अपने काम की शुरुआत करना चाहते हैं और धीरे-धीरे अपने काम को बढ़ाना चाहते हैं। हम जिस बिजनेस की बात कर रहे है। वह गुच्छी मशरूम की खेती का व्यवसाय है। आइये, विस्तार से इस व्यवसाय के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

High Profit Business Idea

                                                       

गुच्छी मशरूम, जिसे पहाड़ी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है, भारत की एक विशेषता है। यह न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी इसे खास बनाते हैं। भारतीय खाने में इसकी अहमियत बेहद है, और इसकी खेती देश के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। गुच्छी मशरूम की कीमत इसे भारत की सबसे महंगी सब्जियों में से एक बनाती है।

प्राकृतिक उगने का स्थान

गुच्छी मशरूम मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला और मनाली जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगती है। इसके अलावा, उत्तराखंड और कश्मीर के कुछ हिस्सों में भी यह मशरूम पाई जाती है। यह विभिन्न प्रकार के जंगलों में उगती है, और इसकी उपस्थिति पहाड़ी पर्यावरण की खासियतों पर निर्भर करती है।

स्थानीय नाम और परंपरा

स्थानीय लोग इसे टटमोर या डुंघरू के नाम से जानते हैं। इसे सुखाकर सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है, और यह पहाड़ी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ “चरक संहिता” में इसे सर्पच्छत्रक के रूप में उल्लेख किया गया है, जो इसके औषधीय गुणों को दर्शाता है।

मूल्य और बाजार

                                                                     

गुच्छी मशरूम की कीमत 30,000 रुपये प्रति किलो तक पहुँच सकती है। इसकी खासियत और खेती की कठिनाइयों के कारण इसकी मांग काफी अधिक है। जंगलों में इसे खोजने के लिए विशेष मेहनत करनी पड़ती है, और आमतौर पर स्थानीय लोग ही इसे एकत्र करते हैं।

पोषण तत्व और औषधीय गुण

गुच्छी मशरूम विटामिन-ठ, विटामिन-ब्, और अमीनो एसिड जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसके औषधीय गुण इसे खास बनाते हैं, खासकर हार्ट रोगियों के लिए। यह मशरूम स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है।

मौसमी उगने का समय

गुच्छी मशरूम मुख्यतः फरवरी से अप्रैल के बीच पहाड़ों के ऊपरी क्षेत्रों में उगती है। यह मौसम इसके विकास के लिए अनुकूल होता है, और इसी समय इसे स्थानीय बाजारों में उपलब्ध कराया जाता है।

प्रसिद्धि और मांग

गुच्छी मशरूम की मांग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इटली, और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भी है। इसे अच्छे से सुखाने के बाद बाजार में पेश किया जाता है, जिससे इसकी गुणवत्ता और मूल्य में वृद्धि होती है।

प्रधानमंत्री का उल्लेख

                                                          

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुच्छी मशरूम के प्रति अपनी रुचि व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वे कभी-कभी इस मशरूम का सेवन करते थे और इसे अपने स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानते थे।

गुच्छी मशरूम न केवल एक महंगी और स्वादिष्ट सब्जी है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इसके औषधीय गुण और बाजार में बढ़ती मांग इसे विशेष बनाते हैं, और यह देश के खाद्य परिदृश्य में एक अद्वितीय स्थान रखती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।