
निस्वार्थ व्यवहार Publish Date : 13/10/2024
निस्वार्थ व्यवहार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
स्वार्थी उद्देश्य संगठित व्यवस्था के नियमों को ध्वस्त कर देते हैं, इसके साथ ही हम पाते हैं कि हमारे व्यक्तिगत विचार और भावनाएँ भी एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। लेकिन क्या हमने सामाजिक कार्य करते समय विचारों का समन्वय करने, मतभेदों पर विचार करने, अपने व्यवहार को नियंत्रित करके आपसी विश्वास के साथ चर्चा करने की प्रवृत्ति को प्राप्त करने का प्रयास किया है?
क्या मतभेद होने के बाद भी भी एकता विकसित करने, स्नेह और आपसी विश्वास को पोषित करने का कौशल हमने किस हद तक सीखा है? हम व्यक्तित्वों के आदर्शों के कई पाठ पढ़ते और सुनते हैं। लेकिन उन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन में किस हद तक लागू किया है? यदि अपना विवेक, आपसी विश्वास की आवश्यकता और सामाजिक जीवन में केवल सद्गुणों के अभ्यास में दृढ़ता से स्थिर है, तो हमें अपने आस पास पर्याप्त सहयोग भी प्राप्त होता है।
क्या हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हमने यह आदर्श स्थिति प्राप्त कर ली है? इसलिए हमें केवल आशावादी ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक भी होना होगा, इसलिए आशावाद और निराशावाद के बीच के संघर्षों को छोड़कर केवल व्यावहारिकता पर ही हमें विचार करना होगा।
वर्तमान में लोग केवल सांसारिक कार्यों में ही उलझे हुए हैं। प्रतिदिन दो-तीन घंटे देकर थोड़ा-बहुत काम हो पा रहा है। बहुत से लोग अच्छे व्याख्यान दे सकते हैं। परन्तु जब चारों ओर का वातावरण लालच से भरा हुआ हो, तब यदि कोई व्यक्ति बिना किसी स्वार्थ के आगे आकर कुछ समय तक मेहनत करता है, तो यह निश्चित रूप से उसकी सफलता है। लेकिन क्या हमने सफलता का वह स्तर प्राप्त कर लिया है, जिस पर हम गर्व कर सकें? ऐसी कोई बात नहीं है! केवल यह कहना कि हम स्वार्थी नहीं हैं, उपयोगी नहीं है। फिर भी आशा की एक किरण तो है ही।
हम इस स्थिति का वर्णन इस प्रकार भी किया जा सकता हैं कि हमने थोड़ी सी प्रगति तो की है। बहुत से लोगों ने अपना पूरा ध्यान समाज के कार्य पर लगा दिया है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि समस्याएँ आएं या हल हों, विपत्ति आए या खत्म हो जाए। हमारे आस पास ऐसे लोग भी होते हैं जो हर मुश्किल परिस्थिति में भी बहुत दृढ़ निश्चयी रहते हैं। ऐसा हमें कहीं और देखने को नहीं मिलता। हमारे पास झूठी आशावादिता नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से आत्म-प्रगति की ओर एक कदम है। निश्चित रूप से यह एक आशावादी और उत्साहवर्धक स्थिति होती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।