आलस्य व्यक्ति की उन्नति और समृद्धि में होता है बाधक Publish Date : 09/10/2024
आलस्य व्यक्ति की उन्नति और समृद्धि में होता है बाधक
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जीवन में सफलता प्राप्त करना तो प्रत्येक मनुष्य की अभिलाषा होती है, लेकिन सभी इसके लिए पर्याप्त परिश्रम एवं पुरुषार्थ नहीं कर पाते हैं। परिश्रम एवं पुरूषार्थ की राह में आलस्य एक बड़ा अवरोध होता है। अलसी मानव की एक सामान्य प्रवृत्ति होती है जिसके अत्यंत नकारात्मक प्रभाव पड़ते है।
किसी व्यक्ति को आलसी कहने से आशय यह होता है कि किसी कार्य को टालना, अनिच्छा से कार्य करने का प्रयास करना या समय पर कार्य न करना। यह एक ऐसी आदत होती है जो किसी भी व्यक्ति की उन्नति की राह में सबसे बड़ी बाधा बनती है।
आलस्य के विभिन्न कारण हो सकते हैं। पहला, व्यक्ति की मानसिक स्थिति इसका मुख्य कारण होती है। कभी-कभी मनुष्य मानसिक रूप से थकान महसूस करता है और कार्य करने की ऊर्जा नहीं जुटा पाता। दूसरा काम की अधिकता या कार्य के प्रति रुचि की कमी होना भी अलस्य को जन्म देती है। कई बार हमें कोई कार्य बोझिल या नीरस लगने लगता है जिसके कारण उस कार्य को सम्पन्न करने में विलंब होता है।
इसका एक और अहम कारण होता है किसी के जीवन में लक्ष्य या उद्देश्य का अभाव का होना। क्योंकि यदि यह नहीं है तो भी आप आगे बढ़ाने में दिक्कत महसूस करेंगे और भटकते हुए ही रह जाएंगे। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में स्पष्ट लक्ष्य नहीं होता तो वह आलस की ओर प्रवृत्त हो सकता है।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में समय अत्यंत मूलवान होता है और आलस्य समय को नष्ट कर देता है और यही वह कारण होता है जिसके चलते ही आलसी व्यक्ति अपने जीवन में कोई भी महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त नहीं कर पाता है। हालांकि, आलस्य का दुष्प्रभाव केवल सम्बन्धित व्यक्ति तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि हमारा समाज और राष्ट्र भी इससे प्रभावित होते हैं। एक आलसी व्यक्ति अपने परिवार और समाज की प्रगति में बाधा बनता है।
इसी प्रकार से समाज में आलसी लोगों की बढ़ती संख्या देश की समृद्धि और विकास को भी प्रभावित कर सकती है। आलस्य से निदान पाने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में अनुशासन और नियमितता को लाए। सबसे पहले जरूरी है जीवन में स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना और फिर उसे प्राप्त करने की दिशा में कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ना महत्वपूर्ण हो सकता है।
समय प्रबंधन एवं एक आदर्श जीवन शैली भी आलस्य को दूर करने में सहायक होती है। इससे व्यक्ति स्वयं को ऊर्जावान और प्रेरित महसूस करता है, इसलिए यदि अपने जीवन में आप उन्नति और समृद्धि चाहते हैं तथा विकास की ओर बढ़ना चाहते हैं तो आलस्य को त्याग दें, तभी आप अपने लक्ष्य और जीवन के उद्देश्य की पूर्ति कर पाएंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।