देश में डिजिटल फार्मिंग का बढ़ता दायरा Publish Date : 07/10/2024
देश में डिजिटल फार्मिंग का बढ़ता दायरा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
हमारे देश में सुरक्षित और पौष्टिक खाद्य के लाभ, उत्पादन और खाद्यान्न उपलब्ध कराने के साथ खेती को रासायनिक तत्वों से मुक्त, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण रूप से लाभदायक व टिकाऊ बनाने के लिए आईसीटी का इस्तेमाल करना ही डिजिटल कृषि कहलाता है।
डिजिटल फार्मिंग एक प्रकार का सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी आईसीटी और डाटा परितंत्र है, जो खेती को लाभदायक व्यवसाय बनाने हेतु समय पर लक्षित सूचना सेवाओं के विकास एवं वितरण का समर्थन करता है।
क्या है डिजिटल फार्मिंग
भारत में कई प्रकार की क्रांतिया आई, ठीक इसी प्रकार से अब डिजिटल खेती की क्रांति भी उनमें से ही एक है, जिसके अन्तर्गत मशीन, जीपीएस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जैसी तकनीकों की मदद से खेती की जाती है।
यूरोप, अमेरिका और लैटिन अमेरिका जैसे देशों में डिजिटल खेती ने क्रांति ला दी है। यहां के किसान इसकी मदद से किफायती और कमाऊ खेती कर रहे हैं। हालांकि यह खेती थोड़ी महंगी होती है, लेकिन सिर्फ एक बार के व्यय के हिसाब से महंगी होती है।
डिजिटल फार्मिंग के अंतर्गत सेंसर, रिमोट सेंसिंग, डीप लर्निंग, डाटा मापन, मौसम निगरानी, रोबोटिक्स, ड्रोन प्रौद्योगिकी, 3-डी प्रिंटिंग सिस्टम इंटीग्रेशन, सर्वव्यापी कनेक्टिविटी, डिजिटल ट्विंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) में बहुत से विकास को व्यवहार में मिलाकर दक्षता एवं पर्यावरण निरंतर का संवर्धित उपयोग कर मृदा पानी, पौधों एवं पर्यावरण की निगरानी के माध्यम से कृषि उत्पादकता को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
कृषि के डिजिटल पारितंत्र में विभिन्न हित धारक, सरकार, अनुसंधान, उद्योग, बाजार, सामाजिक नेटवर्क और प्रसिद्ध डोमेन आदि शामिल होते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।