धान के गंधी बग एवं तना छेदक से फसल का बचाव      Publish Date : 04/10/2024

            धान के गंधी बग एवं तना छेदक से फसल का बचाव

                                                                                                                                        प्रोफसर आर.एस. सेंगर एंवं डॉ0 रेशु चौधरी

बासमती चावल की फसल में कीटों और बीमारियों का प्रकोप हो सकता हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। अगर पहले से ही कुछ सावधानियां बरत ली जाएं, तो इन खतरनाक कीटों से फसल का बचाव किया जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि उचित समय पर फसल की देखभाल और कुछ प्राकृतिक उपायों को अपनाने से फसलों को इन संभावित खतरों से सुरक्षित रखा जा सकता है।

                                                  

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, जो पिछले काफी लम्बे समय से फसलों पर रिसर्च एवं उनके डेवलपमेंट पर काम कर रहे हैं, ंने किसान जागरण डॉट कॉम की टीम को बताया कि तना छेदक कीट बासमती चावल के पौधों के तनों में छेद करता है और पौधों को कमजोर कर देता है।

वहीं गंधी बग कीट पौधों के बीज और फूलों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पैदावार में कमी आ सकती है। पत्ता लपेटक कीट पत्तियों को मोड़कर उनके क्लोरोफिल को नष्ट कर देता है, जिससे पौधे की ग्रोथ रुक जाती है.।

कृषि विशेषज्ञ ने बासमती चावल में लगने वाले रोगों और कीटों की रोकथाम के बारे में बताया कि नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक होता है, जो पौधों को कीड़ों से बचाने में बहुत कारगर होता है.। सप्ताह में एक बार 5% नीम के तेल का छिड़काव करने से तना छेदक और गंधी बग कीट जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

                                                        

घास की मल्चिंगः यदि धान के किसान धान की फसल के आस-पास घास की परत बिछाकर फसलों को इससे ढक दें तो इससे कीड़ों का प्रवेश कम होता है और धान के पौधों की जड़ें भी सुरक्षित रहती हैं।

प्राकृतिक जैविक कीटनाशकः गोबर से बने घोल या वर्मीवॉश जैसे जैविक कीटनाशकों का उपयोग करने से फसलों के कीटों को दूर रहते हैं और फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

                                                       

सभी प्रकार के कीट अक्सर मॉनसून के बाद ही फसलों पर हमला करते हैं, इसलिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि मॉनसून के अंत और शरद ऋतु की शुरुआत में ही कीटनाशकों का छिड़काव कर दना चहिए। इससे कीड़े फसल पर हमला करने से पहले ही समाप्त हो जाते हैं और फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।