
बाजरा सेहत के लिये लाभकारी Publish Date : 27/09/2024
बाजरा सेहत के लिये लाभकारी
प्रोफसर आर. एस. सेंगर
मानवीय पोषण में उपयुक्त किसी भी पोषक तत्व की कमी कुपोषण की स्थिति पैदा करती है। देश में लगभग 43 प्रतिशत तथा राजस्थान में 51 प्रतिशत कुपोषण की स्थिति व्याप्त है। कुपोषण को दूर करने के लिए खाद्य एवं पोषण सुरक्षा का होना अत्यन्त आवश्यक है। आज इस बात की जरूरत है कि हम ऐसी फसलों का चयन करें, जो कम लागत में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के साथ-साथ आय के स्रोत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। मोटे अनाजों में बाजरा इस समस्या के लिए बेहतरीन विकल्प है। बाजरा में प्रोटीन, ऊर्जा, विटामिन एवं खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इसका नियमित सेवन कुपोषण, एनीमिया, कब्ज, मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित करने में लाभकारी है। इसके साथ ही जो व्यक्ति गेहूं का सेवन नहीं कर सकते, उनके लिए यह उत्तम आहार है। आज बाजरा को पौष्टिकता के साथ जोड़कर सम्पूर्ण आहार के रूप में ग्रहण करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही इसके मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाकर इसको अधिक लोकप्रिय बनाने की भी जरूरत है। अपने आहार में बाजरा के अलग अलग उत्पाद शामिल करके लौह तत्व की कमी को दूर किया जा सकता है
भारत देश है। इसकी खेती मुख्य रूप से राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं उत्तर प्रदेश में की जाती है। इसे कम सिंचाई या सूखे क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। बाजरा में उच्च तापमान झेलने की क्षमता होती है। यह सभी प्रकार की मृदा में उगाया जा सकता है। इस फसल को पकने में कम समय लगता है और 65 दिनों में यह तैयार हो जाती है। इसका भंडारण यदि ठीक से किया जाये, तो बीज को दो से तीन वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। भारत में इसके दाने का प्रयोग मानव आहार के रूप में किया जाता है। फसल के बचे भाग का प्रयोग चारा, ईंधन तथा निर्माण कार्यों में किया जाता है। यद्यपि बाजरा को मोटा अनाज कहा जाता है, लेकिन पोषक तत्वों से समृद्ध होने के कारण इस अनाज को न्यूट्री मिलेट/न्यूट्री सीरियल की संज्ञा दी गयी है। यदि बाजरा के मूल्य संवर्धित उत्पाद घर व बाजार में आसानी से उपलब्ध होने लग जाएं, तो पोषण की दृष्टि से बाजरा को आहार में मुख्य स्थान दिया जा सकता है। परंपरागत तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों में बाजरा के कुछ ही व्यंजन बनाये जाते हैं। जैसे-रोटी, चूरमा, राबड़ी, बाटी इत्यादि। जबकि शहर में ये व्यंजन भी नहीं बन पाते। आज शहर में बच्चों को बाजरा अनाज की जानकारी का भी अभाव है। सामान्यतः शहर में गेहूं से बनने वाले उत्पादों का प्रचलन है। यदि इसके स्थान पर कुछ भाग बाजरा का उपयोग किया जाये, तो आहार में पोषक तत्व भी बढ़ेंगे और कुपोषण की स्थिति भी पैदा नहीं होगी। इसके साथ ही इसके मूल्य संवर्धित उत्पाद आय सृजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
बाजरा के मूल्य संवर्धित उत्पाद बाजरा बिस्किट
सामग्रीः बाजरा आटा 100 ग्राम, गेहूं आटा-100 ग्राम, घी-80 ग्राम, चीनी (पिसी हुई)-50 ग्राम, नमक-3.5 ग्राम, दूध लगभग 40-100 मि.ली., बेकर्स अमोनिया 2 ग्राम,
मीठा सोडा-2 ग्राम, बेकिंग पाउडर-1 ग्राम
विधिः बाजरा, आटा एवं गेहूं के आटे में नमक, बेकर्स अमोनिया, मीठा सोडा और बेकिंग पाउडर डालकर दो-तीन बार अच्छी तरह छान लेते हैं। घी एवं चीनी को हल्का होने एवं फुलावट आने तक फेंटें। इस फेंटे हुये मिश्रण में आटे का मिश्रण मिलाकर दूध के साथ नरम आटा गूंथ लें। इसे आधा इंच मोटी तह के रूप में बेलकर मनचाहे आकार में काट लें। पहले से गरम किये हुये ओवन में 160 डिग्री सेल्सियस पर 25-35 मिनट तक भूरा होने तक बेक कर लें।
पोषक तत्व/100 ग्राम
ऊर्जा: 348 किलो कैलोरी
प्रोटीनः 3.95 प्रतिशत
लौह तत्वः 3.2 मि.ग्रा
बाजरा लड्डू
सामग्रीः बाजरा आटा-200 ग्राम, गुड़-250 ग्राम, घी 150 ग्राम, काजू 10 ग्राम, बादाम 10 ग्राम, गाँद-30 ग्राम, नारियल बुरादा 30 ग्राम, इलायची पाउडर-2 ग्राम
विधिः कड़ाही में घी गर्म करके गोंद को कुरकुरा होने तक सेंक लें और प्लेट में ठंडा होने रख दें। अब इसी कड़ाही में घी के साथ बाजरा आटा भून लें, जब बाजरा आटा घी छोड़ दे, अच्छी खुशबू आने लगे तब गैस बन्द करके इसे एक प्लेट में निकाल लें। कड़ाही में दो चम्मच घी डालकर गुड़ के छोटे-छोटे टुकड़े करके धीमी आंच पर पिघला लें। इसमें बाजरा आटा, काजू, बादाम के टुकड़े, गोंद, नारियल बुरादा एवं इलायची पाउडर मिलाकर लड्डू बांध लें।
पोषक तत्व/100 ग्राम
प्रोटीन: 5.85 प्रतिशत
लौह तत्वः 4.8 मि.ग्रा.
बाजरा मठरी
सामग्रीः बाजरा आटा 100 ग्राम, गेहूं आटा 100 ग्राम, घी (आटा गूंथने के लिए) 60 ग्राम, अजवाइन 2 ग्राम, कसूरी मेथी-5 ग्राम, नमक 5 ग्राम, सोडा-2 ग्राम, तेल-तलने के लिए
विधिः बाजरा आटा एवं गेहूं आटा को छानकर नमक, कसूरी मेथी, अजवाइन एवं सोडा मिला लें। आटे में घी मिलाकर पानी से सख्त आटा गूंथ लें और एक घंटे के लिए ढककर रख दें। इस गूंथे आटे से चार लोइयां बराबर आकार की बना लें। प्रत्येक लोई को चपाती की तरह बेलकर काट लें। तेल गर्म करके धीमी आंच पर सुनहरा होने तक भूनें। ठंडा करके वायुरोधी डिब्बे में भरकर संरक्षित करें।
पोषक तत्व/100 ग्राम
ऊर्जा: 380 किलो कैलोरी
प्रोटीनः 1.8 प्रतिशत
लौह तत्वः 3.6 मि.ग्रा.
बाजरा केक
सामग्रीः बाजरा आटा 150 ग्राम, मैदा-150 ग्राम, मिल्क पाउडर-20 ग्राम, बेकिंग सोडा-2.5 ग्राम, बेकिंग पाउडर-5 ग्राम, सिट्रिक एसिड-1 ग्राम, चीनी (पिसी हुई)-300 ग्राम, बी-120 ग्राम, दूध-120 मि.ली., व्हाइट रोज एसेन्स-10 बूंदें।
विधिः बाजरा आटा, मैदा, मिल्क मिलाकर दो-तीन बार छान लें। घी, सिट्रिक पाउडर, बेकिंग सोडा एवं वेकिंग पाउडर एसिड, एवं चीनी को फुलावट आने तक फेंटें और आटे का मिश्रण मिलायें। घोल को चम्मच से गिराने पर रिबन जैसी परत बने. तो घोल तैयार है। केक के टिन में चिकनाई लगाकर घोल इसमें डालें एवं पूर्व में गरम किये हुये ओवन में 180 डिग्री सेल्सियस पर 40-45 मिनट तक बेक करें।
पोषक
तत्व/100 ग्राम
ऊर्जाः 690 किलो कैलोरी
प्रोटीनः 3.96 प्रतिशत
लौह तत्वः 2.8 मि.ग्रा.
बाजरा नमकीन
सामग्रीः बाजरा दाना 100 ग्राम,
नमक 100 ग्राम, चाट मसाला-5 ग्राम
विधिः कड़ाही में नमक को तेज आंच पर गर्म करें। इसके बाद इसमें बाजरा दाना डालकर चलायें। लगातार दो मिनट चलाकर छानकर इसे प्लेट में निकाल लें। फुले हुये बाजरा दाना को ठंडा करके चाट मसाला मिलाकर वायुरोधी डिब्बे में संरक्षित करें। पोषक तत्व/100 ग्राम
ऊर्जा: 109 किलो कैलोरी
प्रोटीनः 9.1 प्रतिशत
लौह तत्वः 5.2 मि.ग्रा.
बाजरा टिक्की
सामग्रीः बाजरा आटा-300 ग्राम, गुड़-200 ग्राम, नारियल बुरादा 30 ग्राम, तिल-50 ग्राम, इलायची पाउडर-2 ग्राम, पानी 100 मि.ली. (आटा गूंथने के लिए), तेल-तलने के लिए
विधिः गुड़ को पानी में घोल लें। बाजरा आटा, नारियल बुरादा, तिल एवं इलायची पाउडर को मिलाकर गुड़ वाले पानी से सब्ज आटा गूंथ लें। इसके बाद आटे की छोटी-छोटी लोइयां बना लें। हथेली पर तेल लगाकर लोई को हल्के हाथों से दबाकर पतला कर लें। तेल गर्म करके धीमी आंच पर भूरा होन तक सेंक लें। ठंडा करके हवाबन्द डिब्बे संरक्षित करें।
पोषक तत्व/100 ग्राम
ऊर्जा: 439 किलो कैलोरी
प्रोटीनः 4.2 प्रतिशत
लौह तत्वः 4.8 मि.ग्रा
बाजरा के स्वास्थ्य लाभ
- लौह तत्व से भरपूर होने के कारण बाजरा का सेवन एनीमिया में लाभकारी। रेशे से भरपूर होने के कारण इसका सेवन कब्ज में लाभकारी।
- बाजरा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने की वजह से इसका सेवन मधुमेह में गुणकारी।
- ग्लूटेन से मुक्त होने के कारण इसका सेवन सिलीयक रोग में असरदार।
- बाजरा की क्षारीय प्रकृति से इसका सेवन अल्सर में लाभदायक।
- बाजरा में पाया जाने वाला मैग्नीशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में लाभकारी।
- बाजरा में पाया जाने वाला फाइटेट, फिनॉल एवं टैनिन बढ़ती उम्र के दुष्प्रभाव को रोकने में फायदेमंद।
- बाजरा में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्त में कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में लाभकारी।
- बाजरा में उपस्थित फॉस्फोरस एवं कैल्शियम से हड्डियों को मजबूती। बाजरा में प्रचुर मात्रा में लेसीथिन पाया जाता है जो शरीर में स्नायुतन्त्र को मजबूत बनाता है।
- बाजरा में पाया जाने वाले पॉलीफेनॉलिक एसिड, टैनिन और फाइटेट से शरीर का कैंसर से बचाव।
- बाजरा का नियमित सेवन वजन को नियंत्रित करने में मददगार।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।