बच्चों की मोबाइल की लत को छुड़ाने के लिए कुछ टिप्स      Publish Date : 23/09/2024

           बच्चों की मोबाइल की लत को छुड़ाने के लिए कुछ टिप्स

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

वर्तमान तकनीकी युग में बच्चे मोबाइल फोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया और रील्स आदि के इतने आदी हो चुके हैं कि उन्हें इनसे दूर रखना माता-पिता के लिए एक बड़ा चैलेंज बनता जा रहा है। फिर चाहे वह पढ़ाई के लिए हो अथवा मनोरंजन के लिए, आज बच्चे हर चीज के लिए मोबाइल फोन पर निर्भर होते जा रहे हैं। यह आदत सिर्फ बड़े स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों की ही नहीं है बल्कि अब तो 1-2 साल के छोटे बच्चे भी फोन की गिरफ्त में ऐसे फंस चुके हैं कि बिना फोन देखे न तो वह खाना खाते हैं और न ही कहीं चुपचाप बैठ पाते हैं।

                                                            

अब मोबाइल फोन बच्चों के शरीर के साथ ही उनके दिमागी विकास को जबर्दस्त तरीके से प्रभावित कर रहा है। अगर आप भी अपने बच्चों की मोबाइल फोन छुड़ाने के लिए प्रयास कर-कर के हार गए हैं, तो अब आप इसके लिए परेशान न हों, बच्चों के डॉक्टर द्वारा बताए यह उपाय इसके सम्बन्ध में आपकी सहायता कर सकते हैं, तो आप इन्हें अपनाकर देखें-

एक सीनियर कंसलटेंट पीडियाट्रिक्स डॉ. कुसुम शर्मा बता रही हैं इसके लिए कुछ बेहद आसान उपाय, जिससे कि आपको और मशक्कंत न करनी पड़े और आपका बच्चा खुशी-खुशी स्वयं ही मोबाइल फोन देखना बंद कर देगा।

1. थोड़े से हों सख्त, बदल दें अपना यह रूटीन

पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम का एक निश्चित रूटीन निश्चित् करें और अपने बचों को स्पष्ट शब्दों में बता दें कि दिन में केवल एक घंटे का स्क्रीन टाइम उनके लिए निश्चित किया गया है, फिर चाहे वह टीवी देखें, फोन या टैबलेट जो कुछ भी यूज करें। इसके लिए पेरेंट्स थोड़े से सख्त होकर ही बच्चों से इस नियम का पालन कराएं. यदिं वह स्वयं बिजी होने पर अपने बच्चे को भी बिजी या चुप रखने के लिए उसे मोबाइल फोन पकड़ाने की आदत से ग्रस्त हैं तो इस आदत को तत्काल छोड़ दें।

2. बच्चों के लिए कोई फेवरेट एक्टिविटी तलाशने में उनकी मदद करें

बच्चों को मोबाइल फोन की पहुँच से दूर हटाने का सबसे बेस्ट तरीका यह है कि बच्चों को खेलकूद, किताबें पढ़ने या अन्य क्रिएटिव एक्टिविटीज में शामिल करें। पेरेंट्स अपने बच्चों को बाहर पार्क आदि में खेलने के लिए भेज सकते हैं, साइकिल चलवा सकते हैं. किसी हॉबी क्लास जैसे डांसिंग, स्ंििटमिंग, आउटडोर गेम्स या अन्य एक्टिविटी में भी उनका नाम लिखवा सकते हैं। इसके लिए बच्चों से उनकी च्वॉतइस पूछकर ही कोई फैसला करेंगे तो यह और बेहतर रिजल्ट देगा।

3. स्वयं से भी दूर करें मोबाइल फोन

अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ हों तो वह स्वयं भी फोन को दूर ही रहें और बच्चों से बात करें, उनके साथ खेलें, उनसे पहेलियां पूछें, उन्हें नई-नई बातें बताएं और प्रेरक कहानियां सुनाएं। ऐसा करने से बच्चे खुद ब खुद ही फोन से दूर हो जाएंगे। साथ ही यह आदत पेरेंट्स के लिए भी फायदेमंद ही साबित होती है।

4. बच्चों को उनके दोस्तों और खिलौनों का साथ दें

बच्चों को उनके दोस्तों के साथ खेलने का समय दें. वहीं आप उनके लिए खिलौने लाकर भी दे सकते हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें कि खिलौने उनकी उम्र के हिसाब से ही होने चाहिए क्योंकि कई बार उम्र से छोटे या बड़े खिलौनों के साथ भी बच्चे खेलना पसंद नहीं करते हैं।

5. बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से छोटी-छोटी जिम्मेदारियां भी दें

बच्चों के साथ अच्छा समय बिताने के साथ ही उनसे बातें तो करें ही साथ ही उन्हें घर के छोटे-मोटे कामों की जिम्मेदारियां भी देते रहें। बर्थडे, फंक्शन आदि में छोटे-मोटे कुछ स्पेशल टॉस्क उन्हें दिए जा सकते हैं। जैसे- पौधों में पानी देना, अपना सामान और खिलौने आदि स्वयं हा संभालकर रखना, अपनी अलमारी को साफ करना और कुछ डेकोरेशन के काम करना आदि भी कराए जा सकते हैं। इससे बच्चे बिजी भी रहेंगे और घर तथा लोगों से घुलना-मिलना भी सीखेंगे और वह फोन से भी दूर ही रहेंगे।

मोबाइल की लत है खराब, कर रही बीमार

                                                    

डॉ. कुसुम शर्मा बताती हैं कि बच्चों में मोबाइल की लत के चलते उन्हें कई प्रकार की गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। कुछ दिन पहले एमएच नई दिल्ली में की गई एक रिसर्च बताती है कि अगर बच्चे लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे उनकी आंखों की रोशनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे बच्चों को मायोपिया की शिकायत बहुत जल्दी हो रही है। इसके अलावा, बच्चे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उन्हें एंग्जायटी, डिप्रेशन और आत्म-संदेह जैसी अनेक मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता हैं।

मोबाइल की यह लत बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और इसके चलते उनके विचारों में भी बदलाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है तो वहीं कुछ बच्चे ऑनलाइन साइबर क्राइम के शिकार भी हो सकते हैं।

डॉ. कुसुम शर्मा का कहना है कि बच्चों को फोन से दूर रखने के लिए माता-पिता को स्वयं भी जागरूक होना बहुत जरूरी है। बच्चों के द्वारा अधिक फोन इस्तेमाल से उनकी पढ़ाई, नींद और उनके समाजिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए बच्चों को खेलकूद, शारीरिक गतिविधियों और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखना बेहद जरूरी है। कोरोना महामारी के दौरान मोबाइल फोन जितना लाभदायक रहा, अब उतना ही नुकसानदेह भी साबित हो रहा है। अतः आप कोशिश करें कि बच्चों को ऐसी खबरों की जानकारी भी देते रहें, जैसे कि हाल ही में स्वींडन में 2 साल तक के बच्चों के लिए मोबाइल फोन को बैन कर दिया गया है इससे बच्चे भी मोबाइल फोन से हाने वाले नुकसान के प्रति भी जागरुक हो सकेंगे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।