स्वयं से बड़ा राष्ट्र      Publish Date : 22/09/2024

                                  स्वयं से बड़ा राष्ट्र

                                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

आज की परिस्थितियों में, आमतौर पर राष्ट्रीय चरित्र का अभाव देखने में बहुधा आता है, इसका कारण यह है कि लोगों का दृष्टिकोण राजनीतिक या धन-केंद्रित ही रह गया है। यह लोग राष्ट्र की तुलना में स्वयं के बढ़ते महत्व के माध्यम से राष्ट्र के कल्याण की कामना करते हैं। इसलिए, लोग केवल स्वयं और अपने परिवार पर ध्यान केंद्रित करते हैं तथा अपने राष्ट्र के बारे में वांछनीय या ‘अवांछनीय’ के बारे में नहीं सोचते हैं।

                                                                      

 अपने देश के कल्याण के लिए नहीं, बल्कि अपने स्वार्थ के लिए चुनाव लड़ने की एक परंपरा सी बन गई। अपने राष्ट्र के संतुलित विचार को नहीं समझते हैं, जो हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसलिए, सेवा करने की प्रवृत्ति भी उनके स्वार्थी दलीय हितों के कारण काली हो जाती है। दलीय हितों को साधने के लिए राष्ट्र की उपेक्षा की जाती है। राष्ट्र प्रथम की महान भावना के कारण किसी दल या समूह की आवश्यकता ही नहीं रह जाती लेकिन इस भावना को आत्मसात करना कठिन होता है। दल या समूह के लिए स्वार्थी चिंताओं पर विजय पाना असंभव है।

यदि किसी ऋषि को कहा जाए कि जंगल में तपस्या करने के बजाय सभी प्रलोभनों के बीच तपस्या करो, तो सम्भवतः वह ऐसा नहीं करेगा, क्योंकि उसकी इच्छा तो ईश्वर से एकाकार होने की है। इसी प्रकार जब समूह में प्रतिस्पर्धा होती है, तो स्वार्थ को अवसर मिल जाता है। राष्ट्र के विचार को हमेशा स्वीकार करना चाहिए। हम चाहते हैं कि हमारे अच्छे चरित्र के कारण हमें दुनिया में एक महान स्थान मिले।

                                                                

यह आवश्यक है कि हम प्रत्येक व्यक्ति की उन्नति के लिए काम करें, ताकि उसे देशभक्ति से जोड़ा जा सके और उसके दिल में देशभक्ति का संचार हो सके। जो लोग एक शक्तिशाली राष्ट्र चाहते हैं, उन्हें परिवार या समूह तक सीमित न होकर, देश की एकता को बनाए रखने वाली दृष्टि विकसित करनी चाहिए। इसलिए हमने अपने कार्य की प्रकृति को किसी संप्रदाय तक सीमित नहीं रखा है। राष्ट्र के पवित्र विचार से प्रत्येक व्यक्ति को मंत्रमुग्ध करके उसे देशभक्त बनाने का हमारा विचार है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।