गन्ने की फसल का रेड रॉट या गन्ने का कैंसर रोग और इसका का प्रबन्धन      Publish Date : 20/09/2024

गन्ने की फसल का रेड रॉट या गन्ने का कैंसर रोग और इसका का प्रबन्धन

                                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ना बेल्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में इन दिनों कई किसानों की गन्ने की फसल पर रेड रॉट (गन्ने का कैंसर) नामक खतरनाक रोग का हमला हो चुका है। इस रोग के कारण पूरी फसल पीली पड़ जाती है और गन्ने का रंग लाल हो जाता है और किसानों को समझ नहीं आ रहा है कि इस रोग से अपनी फसल को वह कैसे बचाएं।

                                                              

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मोदीपुरम मेरठ प्रोफेसर डॉ. आर.एस. सेंगर ने बताया कि गन्ने का यह रोग बरसात के समय अधिक नमी के कारण उत्पन्न गन्ने के खेतों में लगता है। गन्ने के खेत में कई दिनों तक पानी का जमाव रहने से रेड रॉट (गन्ने के कैंसर) की समस्या बढ़ जाती है। इस रोग के कारण गन्ने की फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है।

डॉ. सेंगर ने आगे बताया कि यदि किसान को अपने खेत में इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो इसके समाधान के लिए किसान को तुरंत अपने निकटतम कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करना चाहिए। रेड रॉट रोग गन्ने की फसल में धीरे-धीरे फैलता है. इसलिए जहां भी इसका प्रकोप दिखाई दे तो रोग ग्रस्त गन्ने को तुरंत ही उखाड़ कर जला देना चाहिए।

                                                              

साथ ही, उस स्थान पर मिट्टी में ब्लीचिंग पाउडर मिलाकर गड्ढे को बंद कर देना चाहिए। रोग ग्रस्त गन्ने को चीर कर गन्ने में लालपन की जांच भी करनी चाहिए। यदि अन्दर से गन्ने का रंग लाल दिखाई दे, तो पूरे खेत को नष्ट या जला देना ही उचित रहता है, क्योंकि इस प्रकार के गन्ने को चीनी मिलें भी स्वीकार नहीं करतीं हैं।

इसके अलावा जिस खेत में यह रोग लगा हो, उस खेत में अगले तीन से चार साल तक गन्ने की खेती नहीं करनी चाहिए।

                                                      

यदि किसान उसी खेत में गन्ने की फसल दोबारा लेना चाहते हैं, तो उन्हें ट्राइकोडर्मा घुलनशील जैविक फफूंदी नाशक दवा, स्यूडोमोनास और मेटाराइजम का कल्चर बनाकर इसे सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर खेत में अच्छे से मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं। ऐसा करने से आगामी गन्ने की फसल सुरक्षित और बेहतर होगी।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।