छात्रों के भविष्य का निर्माता है शिक्षक      Publish Date : 16/09/2024

                     छात्रों के भविष्य का निर्माता है शिक्षक

                                                                                                                                                                 प्रोफेसर आर एस सेंगर

किसी राष्ट्र एवं समाज की प्रगति इसी बिंदु पर निर्भर करती है कि यहां शिक्षकों की स्थिति एवं प्रकृति कैसी है। शिक्षक वह दिव्य ज्योति है जो अपनी लो से अंकगणित दियों को प्रदीप्त करता है। यह प्रदीप्त दिए ही संपूर्ण समाज को आलोकित करते हैं। शिक्षक अपने शिष्यों को इस तरह से तैयार करता है कि वह भविष्य में राष्ट्र का नेतृत्व कर सकें। अलग-अलग क्षेत्र में जाकर राष्ट्र निर्माण की गति को बढ़ा सके। अतः कह सकते हैं कि एक आदर्श शिक्षक समाज की धुरी होता है। वह नए जीवन को उन्नत करने का कार्य करता है। छात्रों में नई समझ विकसित करता है और उनके भीतर दया, करुणा, वात्सल्य और ममता जैसे गुणों को समावेशित करता है।

                                                                  

हर माता-पिता अपने छोटे-छोटे बच्चों को जब स्कूलों और विद्यालय में भेजते हैं तो उनकी कोशिश होती है कि शिक्षक उनके पुत्र एवं पुत्री को ऐसा ज्ञान दे, जिससे वह भविष्य में आगे बढ़े और अपने जीवन को प्रगति के नवीन मार्ग को खोज कर अपने जीवन यापन के साथ ही दूसरों का भी मार्गदर्शन कर सके।

शिक्षक ही छात्र के जीवन को आलोकित करते हैं और इस आलोक का सारथी बनकर ही छात्र अपने जीवन के नवीनतम मार्गों की खोज करता है। यदि शिक्षक अपने उत्तरदायित्व के प्रति ईमानदारी से कार्य करें तो समाज की अनेकों विकृतियों तथा समस्याएं समाप्त हो सकती है। शिक्षक के विवेक से घड़ी जाने वाली नव रचना, नव समाज के उत्थान का कारक बनती है। एक शिष्य का अपने शिक्षक से बड़ा लगाव और व्यवहार समिति होता है। वह अपने शिक्षक की बातों को गहराई से आत्मसात करता है। इन दोनों का संबंध व्यावहारिक नहीं होता और ना ही कभी ऐसा होना चाहिए क्योंकि यदि संबंध व्यावसायिक होने लगा तो समाज में कई और विकृतियां पैदा हो जाएंगी।

                                                                   

शिक्षक एक कलाकार भी होता है, उसके हाथों में जादू होता है जिससे वह अपने शिष्यों को अपने हुनर से नए विचार देता है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने यथार्थ ही कहा था कि शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तत्वों को जबरन ठुंसे बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें। शिक्षक की महत्ती भूमिका समाज को लिए पढ़ाने की होती है। इस भूमिका का संक्षिप्त निर्वहन करने वाले शिक्षक समाज में आदर्श स्थापित करते हैं और वही शिक्षक छात्र के वास्तविक भविष्य निर्माता होते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।