जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अधिक हो रहा है तापमान में उतार-चढ़ाव जो हमारे जल चक्र को भी कर रहा है प्रभावित Publish Date : 11/09/2024
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अधिक हो रहा है तापमान में उतार-चढ़ाव जो हमारे जल चक्र को भी कर रहा है प्रभावित
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
इस वर्ष देखा गया है जलवायु परिवर्तन के कारण कहीं पर बाढ़ की स्थिति रही तो कहीं पर सूखे की स्थिति दिखाई दे रही है। वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ी है और इससे वर्षा का चक्र भी प्रभावित हुआ है। जब वर्ष होनी चाहिए तो उस समय वर्षा कम हो रही है और जब वर्षा नहीं होनी चाहिए उस समय वर्ष अधिक हो रही है। इसका सीधा सम्बन्ध जलवायु परिवर्तन के कारण मौसमी घटनाओं और तापमान में उतार-चढ़ाव के रूप में देखा जा रहा है।
चरम जलवायु घटनाओं की सीमाओं की आवृत्ति तीव्रता और अप्रत्याशितता भी हाल के दशकों में चार गुना बढ़ गई है। पिछले 5 दशकों का यदि विश्लेषण किया जाए, तो देखा गया है कि 1973 से 2023 तक की 50 वर्ष की अवधि में चरम जलवायु घटनाओं में काफी उतार चढ़ा देखा गया है।
तापमान में हो रही है लगातार बढ़ोतरी
वैज्ञानिकों ने देखा है कि अधिक बारिश होने के बावजूद तापमान में अधिक गिरावट नहीं हो पा रही र्है। इस समय विनाशकारी जलवायु चरम सीमाओं की वर्तमान प्रवृत्ति, जिसके कारण 10 में से 9 भारतीय चरम जलवायु घटनाओं के संपर्क में है। जबकि पिछली शताब्दी में 0.6 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि का प्रमाण ही सामने आया है। देश राज्य बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात और असम के कम से कम 60% जिले एक से अधिक चरम जलवायु घटनाओं की चपेट में रहें हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण कहीं सूखा तो कहीं बाढ़
आईपी ग्लोबल और ईसरो इंडिया के ताजा विश्लेषण के अनुसार पिछले दो दशकों में गुजरात के 80 प्रतिशत से अधिक जिलों में भीषण बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि देखी गई है। शायद यही वजह है कि इस साल भी सौराष्ट्र विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है। बाढ़ से सूखा की स्थिति में पहुंचे जिलों की संख्या 149 ऐसे जिलों की संख्या 110 से भी अधिक है जो सूखा से बाढ़ की स्थिति में पहुंचे हैं।
दक्षिण भारत में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सूखे की स्थिति में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी जा रही है और पश्चिमी एवं मध्य भारत के कुछ हिस्सों में भी यही स्थिति बनी हुई है। जलवायु परिवर्तन के कारण कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन और अन्य गैसों के स्तर में वृद्धि हो रही है, जो गर्मी को रोकते हैं और ग्रह को गर्म करती है। यह गर्मी जल चक्र को भी प्रभावित करती है और मौसम के पैटर्न को बदलती हैं तथा भूमि की बर्फ को पिघलाती है।
यह सभी चीजें चरम मौसम को और भी अधिक उग्र कर रही है। भारतीय जिलों में चरम जलवायु घटनाओं का स्वरूप बदल रहा है। हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र अब सूखे की चपेट में आ रहे हैं, जबकि पहले जहां सूखा पड़ता था वहां अब बाढ़ की स्थिति दिखाई दे रही है। यह जलवायु चरम सीमाओं की आवृत्ति तीव्रता और अप्रत्याशितता हाल ही के वर्षों में चार गुना तक बढ़ गई है।
जलवायु परिवर्तन के बिगड़ते हालात को रोकने के लिए उठाने होंगे जरूरी कदम
अचानक हो रहे जलवायु परिवर्तन में उतार चढ़ाव के कारण सभी लोगों को सतर्क रहना होगा और वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सभी कारकों को कम करना होगा। इसके साथ ही बढ़ती ही कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की सांद्रता को एक सामाजिक क्रांति के माध्यम से कम करने का प्रयास करने होंगे, तब ही भविष्य में मानव जीवन सुरक्षित रह सकेगा। यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो अचानक आ रही आपदाओं के कारण मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।
लेखकः प्रोफेसर आर एस सेंगर, निदेशक ट्रेंनिंग और प्लेसमेंट सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।