नेपियर घास, हरा चारा, पशु को खिलाने से बढ़ जाता है दूध का उत्पादन Publish Date : 10/09/2024
नेपियर घास, हरा चारा, पशु को खिलाने से बढ़ जाता है दूध का उत्पादन
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
एक बार की लागत में लगातार 4 साल तक मिलता है मुनाफा
वर्तमान में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नगदी फसल के साथ-साथ अब मवेशियों के लिए बेहतर किस्म का चारा भी उगा रहे हैं. जिससे किसान कमाई के साथ-साथ महीने में चारे पर खर्च होने वाले हजारों रुपए भी बचा रहे हैं।
इसके साथ ही इस चारे को दुधारू मवेशी को खिलाने से दूध का उत्पान भी बढ़ जाता है और मवेशी भी काफी हेल्दी हो जाते हैं। किसान इसे हरा चारा के रूप में मवेशी को पूरे साल खिलाते हैं। किसान अब जिस घास को हरे चारे के लिए लगा रहे हैं. उसका नाम है ‘नेपियर घास’।
इस चारे की खास बात यह है कि एक बार लगाने के बाद इसे बिना किसी अतिरिक्त खर्च के 5 से 8 साल तक काटकर हरा चारा के रूप में मवेशी को खिला सकते हैं। बस इसमें समय-समय पर पानी और गोबर से तैयार जैविक खाद देनी पड़ती है, जिसमें काफी कम खर्च आता है। इस चारे की खेती करने में किसान 800 से ₹1000 प्रति कट्ठा बेचकर मोटी कमाई भी कर रहे हैं।
इस चारे की एक और बड़ी खासियत है कि काटने के बाद कुछ ही दिन में फिर से यह चारा काफी तेजी से तैयार हो जाता है। इसकी जमीन से खुदाई कर ऊपर से हरा चारा काटने के बाद हल्का तिरछा करके जमीन में लगा दिया जाता है। उसके बाद आलू की मेड की तरह मिट्टी चढ़ा दी जाती है। साइड में नाली जैसा हो जाता है, जिसमें पानी छोड़ देते हैं। उसी से यह नेपियर नाम का हरा चारा अपना भोजन तैयार कर ग्रोथ करता है।
दूध से भी हो रही अच्छी कमाई
एक किसान योगेन्द्र सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ने के बाद मुझे प्रशिक्षण के दौरान इस घास के संबंध में जानकारी दी गई थी। योगेन्द्र सिंह ंने बताया कि जब मैं प्रशिक्षण लेने गया तो नेपियर घास को अपने खेत में लगाने के लिए लेकर आया और उसी समय यह अपने खेत में लगाई। मैने जब से यह घास लगाई है तब से मुझे चारा खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
इससे पहले मुझे अपने मवेशियों के लिए प्रतिमाह 5 से ₹8 हजार तक का चारा खरीदना पड़ता था, लेकिन अब वह पैसा पॉकेट में बच रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस घास को मवेशी के देने से दूध का उत्पादन भी अधिक हो रहा है। इसके अलावा अब मैं इस चारे को बेच कर भी अच्छा पैसा कमाता हूं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।