गन्ने की फसल के लिए बेहद खतरानक मिली बग कीट और इससे बचाव का तरीका Publish Date : 09/09/2024
गन्ने की फसल के लिए बेहद खतरानक मिली बग कीट और इससे बचाव का तरीका
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
माह सितम्बर के दौरान गन्ने की फसल को विभिन्न प्रकार के कीट अपनी चपेट में लेते हैं। इन्हीं में से एक है मिली बग। यह कीट पत्तियों को कुतरने के साथ-साथ उनका रस भी चूसते हैं। ऐसे में गन्ने की पत्तियों का रंग पीला पड़ने लगता है और पत्तियों का रंग पीला पड़ने के बाद प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होकर, पत्तियां भोजन बनाना बंद कर देती है। इसका सीधा प्रभाव गन्ने के पौधों पर पड़ता है और पौधा कमजोर होकर मर जाता है, जिससे गन्ने के उत्पादन में भारी गिरावट आती है। अतः जरूरी है कि ऐसे कीटों का समय पर उपचार किया जाए अन्यथा कई बार किसान को भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
मिली बग हो सकता है घातक
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विष्वविद्यरलय, मोदीपुरम, मेरठ में तैनात प्रोफेसर एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ0 आर. एस. सेंगर ने बताया कि इन दिनों गन्ने की फसल में रस चूसने वाले कीट के अलावा पत्तियों को कुतरने वाले कीट भी फसल को चपेट में ले रहे हैं, जिनका समय पर समाधान हो जाना बेहद जरूरी है। गन्ने की फसल में रस चूसक कीट मिली बग, पत्तियां कुतरने वाला टिड्डा और आर्मी वर्म बरसात के मौसम में प्रभावी हो जाते हैं, जिनकी रोकथाम बेहद जरूरी है, उन्होंने बताया कि गन्ने में पोरी बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
मिली बग कीट गन्ने की गांठों पर चिपक कर रस चूसना शुरू कर देता है, इसके बाद पौधा धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है। पत्तियां काली पड़ने लगती है, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है और पौधा नष्ट हो जाता है।
ऐसे करें कीट का नियंत्रण
डॉ0 आर. एस. सेंगर ने बताया कि गन्ने की में पत्तियों को कुतरने वाले टिड्डा और आर्मी वर्म भी फसल को बेहद नुकसान पहुंचाते हैं। यह कीट धीरे-धीरे पत्तियों को कुतर देते हैं और पौधा पर्याप्त मात्रा में भोजन ग्रहण नहीं कर पाता है, इसके बाद पौधा कमजोर होकर सूख जाता है। उन्होंने बताया कि रस चूसक और पत्ती को कुतरने वाले कीटों का समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है, अन्यथा यह फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कीट का नियंत्रण करने के लिए 5 लीटर क्लोरो पायरीफॉस 20 ईसी 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करें या 750 एमएल का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा इमिडा क्लोप्रिड नाम का कीटनाशक 200 एमएल 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। यदि छिड़काव के बाद बारिश हो जाए और दोबारा से कीट दिखने लगे तो 20 से 25 दिन का अंतराल रखते हुए कीटनाशक का छिड़काव दोहराना चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।