
धान में पीलापन फंगस और कीट की समस्या को खत्म करेगा घर का बना घोल Publish Date : 08/09/2024
धान में पीलापन फंगस और कीट की समस्या को खत्म करेगा घर का बना घोल
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
धान की खेती
वर्तमान में धान की खेती का सीजन चल रहा है। ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती धान की खेती कर रहे हैं। लेकिन धान की खेती में भी इस समय कई तरह की समस्याएं खड़ी हो रही है। यदि आप भी धान की खेती कर रहे है तो हमारा यह लेख आपके लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी साबित होने जा रहा है। हालांकि, इसके लिए आपको यह पूरा लेख ध्यान से पढ़ना होगा नही तो आधी अधूरी जानकारी से आपको नुकसान भी हो सकता है।
आज की इस पोस्ट में हम बात कर रहे हैं धान की खेती में अगर थ्रिप्स, फंगस या फिर पीलापन और कीड़े मकोड़े की समस्या आ रही है तो उससे छुटकारा पाने के लिए एक जैविक घोल बनाना हैं, जिसमें आप घर में रखी चीजों का ही इस्तेमाल कर सकेंगे। तो आइए हम लोग जानते हैं कि यह घोल किन चीजों से मिलकर बनेगा, इस घोल को बनाने का तरीका क्या है और इसे उपयोग में कैसे लाना है।
धान की किन समस्याओं को दूर करेगा यह जैविक घोल
अपनी धान की खेती में अगर आपको अपनी फसल में पीलापन दिखाई दे रहा है या फंगस की समस्या हैं या फिर थ्रिप्स की समस्या आ रही है तो आप इस घोल को तैयार कर इसका उपयोग कर सकते हैं। इस घोल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व मौजूद होंगे, जिससे फसल में सड़न की समस्या को दूर किया जा सकेगा। इसका प्रयोग करने के बाद पौधे सड़ेंगे नहीं, ना ही उनमें कीट लगेंगे और यह एकदम जैविक घोल रहेगा। जिससे उन्हें किसी तरह का नुकसान भी नहीं होगा, लेकिन यहां पर आपको तत्वों की मात्रा का विशेष ध्यान रखना होगा।
किन चीजों से मिलकर बनेगा यह शक्तिशाली घोल
इस घोल को बनाने के लिए आपके पास तीन चीज होनी चाहिए। जिनमें से एक है पानी, दूसरा लहसुन और तीसरा नीम की पत्तियां, जो आपके आसपास आसानी से मिल जाएगी। लहसुन आपकी रसोई घर से मिल जाएगी और पानी तो एक किसान के पास रहता ही है। लेकिन यहां पर हम धान की फसल के लिए घोल तैयार कर रहे हैं। इसलिए काफी बड़ी मात्रा में हमें इन चीजों की आवश्यकता होगी। जिसमें एक किलो नीम की पत्तियां, ढाई सौ ग्राम लहसुन और 10 से 15 लीटर तक पानी।
यह जैविक घोल किस प्रकार बनता है
इस जैविक घोल को बनाने के लिए आपको सबसे पहले आपने नीम की पत्तियों को पीसना है। उसके बाद उन्हें 10 लीटर पानी में मिलाकर 24 घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ देना है। इसके बाद लहसुन को भी आपको पीस लेना है और 5 लीटर पानी में मिलाकर अगले 12 घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ देना है। इसके बाद फिर आपको इन चीजों को छानकर अलग-अलग रख लेना है।
इस जैविक घोल का इस्तेमाल फसलों में कब कैसे करें किसान
इस जैविक घोल का इस्तेमाल करने से पहले हम आपको सावधान करना चाहते हैं कि इसकी मात्रा का आपको विशेष ध्यान रखना है।
साथ ही यह भी ध्यान देना है कि आप जब भी पहली बार इस जैविक घोल का इस्तेमाल करने जा रहे हैं तो खेत के एक छोटे से हिस्से में आप पहले से छिड़क दे और अगर इस घोल का किसी तरह का भी दुष्प्रभाव दिखाई देता है तो फिर बाकी की फसल में आप इसका इस्तेमाल बिलकुल भी न करें। इस घोल को इस्तेमाल करने का तरीका यह है कि आप 10 लीटर नीम का अर्क ले रहे हैं तो उसमें 5 लीटर लहसुन का अर्क लेना है और इन दोनों को 100 लीटर पानी में मिलाकर इस्तेमाल करना है।
इस घोल को आपको अपनी धान की फसल में सुबह के समय या फिर शाम के समय ही देना है, क्योंकि उस समय धूप ज्यादा नहीं रहती है। इस तरह यहां पर आपको इस घोल को बनाने और इस्तेमाल करने आदि का तरीका विस्तार से बताया गया है। लेकिन फिर भी इस घोल को पूरी फसल पर इस्तेमाल करने से पहले आप टेस्ट अवश्य ही कर ले छोटी सी जगह पर इसे डालकर देख ले। किसी तरह का दुष्प्रभाव दिखे तो आप इसका इस्तेमाल परी फसल पर न करें। लेकिन अगर इससे फायदा होता है तो यह बहुत ही सरल और बढ़िया उपाय है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।