गन्ने के खेत में इस अनुपात में डालें 2 किलो एनपीके Publish Date : 02/09/2024
गन्ने के खेत में इस अनुपात में डालें 2 किलो एनपीके
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा
हर सप्ताह 5 इंच बढ़ेगा गन्ना और इसकी मिठास भी होगी पहले अधिक बेहतर
यह तो सभी गन्ना किसान जाने हैं कि सितंबर का महीना गन्ने की बढ़वार के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यही वह समय होता है जब गन्ना तेजी से बढ़ता है। ऐसे में गन्ना अपनी लंबाई का 80 प्रतिशत भाग जुलाई से लेकर सितंबर तक करता है। सितंबर के माह में गन्ने की मिठास भी बढ़ती है। सितंबर में आमतौर पर दिन गर्म और रातें ठंडी होती हैं, जो गन्ने की बढ़वार और मिठास के लिए आदर्श होता है। ऐसे में यदि बारिश होती है तो यह गन्ने को पर्याप्त पानी देती है जो इसकी बढ़वार के लिए आवश्यक है। इस समय गन्ने को उर्वरक देना भी फायदेमंद होता है, जिससे वह अधिक पोषक तत्व प्राप्त कर सके।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि जुलाई से लेकर सितंबर तक का महीना गन्ने की बढ़वार के लिए बेहद ही उपयुक्त होता है। इन तीन महीनों में गन्ना प्रति सप्ताह 4.9 इंच की दर से बढ़वार करता है जो की गन्ने की कुल बढ़वार की 80 प्रतिशत लंबाई होती है। डॉ संजीव पाठक ने बताया कि इसीलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वह जून तक सभी उर्वरक दे दें ताकि गन्ने की बढ़ावार अच्छी हो, लेकिन फिर भी अगर गन्ने की बढ़वार नहीं हो रही है तो गन्ने की फसल में कीट या फिर किसी रोग का प्रकोप हो सकता है। यदि फसल में किसी कीट या रोग के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत उनका उपचार करें, और पोषक तत्वों की पूर्ति करें।
बढ़वार के लिए डालें यह उर्वरक
डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि अगर गन्ने की पत्तियां पीली पड़ रही हो तो यह जड़ भेदक या फिर उकठा रोग के लक्षण हो सकते हैं। लेकिन अगर गन्ने में यह लक्षण ना दिखाई दें तो गन्ने को पोषक तत्वों की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में किसान गन्ने की जड़ों में उर्वरक देने की बजाय 2 किलोग्राम एनपीके 19:19:19 प्रति एकड़ की दर से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर गन्ने की फसल पर छिड़काव करें, ऐसा करने से गन्ने की बढ़ावार तेज हो जाती है।
गन्ने के प्रमुख रोगों का ऐसे करें नियंत्रण
डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि अगर गन्ने की फसल में रूट बोरर या फिर सफेद गिड़ार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो दसके उपचार के लिए किसान 2 किलोग्राम मैटाराईजियम एनिसोप्ली को गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर एक एकड़ में बिखेर दें और अगर उकठा रोग के लक्षण दिखाई दें रहे हैं तो किसान 10 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा को दो से तीन क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर एक हेक्टेयर में डाल सकते हैं, जिससे उकठा रोग का नियंत्रण हो जाएगा और गन्ना अच्छी बढ़वार करने लगेगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।