किसान खरपतवार और कीटों की समस्या से हैं परेशान, समाधान देसी तरीके Publish Date : 31/08/2024
किसान खरपतवार और कीटों की समस्या से हैं परेशान, समाधान देसी तरीके
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
किसान भाईयों, इस बार हो रही अच्छी बारिश के चलते किसानों की फसलें लहलहा रही हैं। इस बीच किसानों के लिए खरपतवार और कीट आदि भी मुख्य समस्या बनते जा रहे हैं, अच्छी पैदावार के लिए इस समस्या का समाधान करना भी बहुत जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मौसम की अनुकूलता होने के कारण फसलों में कीट-व्याधि के प्रकोप की प्रबल होने संभावना रहती है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान बुआई की गई बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार और तिल की फसलों की निराई-गुड़ाई शुरू कर दे। वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए खेतों में किसी प्रकार का छिड़काव आदि कार्य न करें और खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरियों का उचित प्रबंधन करें। दलहनी फसलों और सब्जी की नर्सरियों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
प्रकाश प्रपंच को अपनाए
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रकाश प्रपंच की क्रिया किसानों को कीटों से राहत दिला सकती है क्योंकि कीटों की रोकथाम करने के लिए प्रकाश प्रपंच भी काफी असरदार प्रक्रिया है। इसके क्रिया के अन्तर्गत एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बर्तन में पानी और थोड़ा कीटनाशक मिलाएं और एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में इस बर्तन को रख दें। अनेक प्रकार के हानिकारक कीट इस प्रकाश से आकर्षित होते हैं और उस घोल पर गिरकर नष्ट हो जाते हैं और बिना किसी ज्यादा मेहनत के फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं।
मूंगफली में पत्तियों का पीलापन
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मूंगफली में पत्तियों के पीलापन नियंत्रण के लिए किसानों को 0.1 प्रतिशत सल्फ्यूरिक एसिड या 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट (हाराकासिस) का छिड़काव आसमान के साफ होने पर करना चाहिए। साथ ही इस फसल में टिक्का रोग के कारण पौधों की पत्तियों पर गहरे भूरे-काले धब्बे पड़ जाते हैं, इस रोग की रोकथाम के लिए रोग के लक्षण प्रकट होते ही आधा ग्राम प्रति लीटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से कार्बेंडाजिम का छिड़काव करें तो समस्या का समाधान होता है।
अभी इन बीजों की बुवाई करें
इस मौसम में किसानों को ग्वार की पूसा नवबहार, दुर्गा बहार, मूली की पूसा चेतकी, लोबिया की पूसा कोमल, भिंडी की पूसा ए-4, सेम की पूसा सेम 2, पूसा सेम 3, पालक की पूसा भारती, चौलाई की पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण आदि की बुवाई के लिए यदि आपका खेत तैयार हो तो आप इन किस्मों बुवाई कर सकते हैं। इसके अलावा मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें। इसके अलावा यदि प्रकोप अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड/0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
इसके अलावा इस मौसम में मधुमक्खियों परागण में सहायता करती हैं अतः कद्दूवर्गीय और अन्य सब्जियों में इनका बड़ा योगदान रहता है, इसलिए मधुमक्खियों के पालन को बढ़ावा देना चाहिए और कद्दूवर्गीय सब्जियों में फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्ढे में दबा देना चाहिए। फल मक्खी पर नियंत्रण के लिए खेत में विभिन्न स्थानों पर गुड या चीनी के साथ कीटनाशक का घोल बनाकर छोटे कप या किसी अन्य बर्तन में रख दे तो इसका प्रभावी नियंत्रण होता हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।