देश में कोचिंग सेंटरों का मकड़जाल फैला      Publish Date : 26/08/2024

                   देश में कोचिंग सेंटरों का मकड़जाल फैला

                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

देश की राजधानी दिल्ली में शनिवार 27 जुलाई को एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट की लाइब्रेरी में अचानक पानी भर जाने के कारण तीन छात्रों की डूबने से मौत हो गई। हादसे के बाद देश भर के कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा मानकों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस कड़ी में बिहार की राजधानी पटना में संचालित कोचिंग संस्थानों पर भी पुलिस प्रशासन की जांच शुरू हो गई। पटना के मुसल्लहपुर हाट बाजार समिति, रमना रोड, भिखना पहाड़ी, नया टोला और रामपुर नहर रोड इलाके में कोचिंग संस्थानों का मकड़जाल है। कई कोचिंग संस्थान में क्षमता से कई गुणा अधिक छात्रों को पढ़ाया जाता है।

                                                             

इनमें से काफी कम कोचिंग संस्थान ऐसे हैं जो सरकार द्वारा तय मानकों का अक्षरशः पालन कर रहे हो। इन संस्थानों में आग लगने, शॉटसर्किट या भगदड़ की स्थिति में छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालना किसी चुनौती से कम नहीं है। कई ऐसे कोचिंग संस्थान है, जो तीसरे या चौथे माले पर संचालित हो रहे हैं। कई कोचिंग संस्थान की बिल्डिंग पुरानी और जर्जर हैं। कोचिंग सेंटर संचालकों को ऐसा मकान कम किराये पर उपलब्ध हो जाता है। यही करण है कि कोचिंग सेंटर संचालक बच्चों की जान जोखिम में डाल कर ऐसे इलाकों और मकानों में क्लास संचालित करते हैं।

आलम यह है कि इन इलाकों के किसी भी भवन की छत से पत्थर फेंकने पर किसी न किसी कोचिंग सेंटर की छत पर ही गिरेगा। छात्रों की सुरक्षा के प्रति न तो कोई कोचिंग सेंटर संचालक सजग दिखते हैं, और न ही अभिभावक पुलिस भी हादसा होने के बाद ही हरकत में आती है। अब तो यह कि इन संस्थानों को जुगाड़ और पैरवी के बल पर तमाम तरह के जरूरी लाइसेंस मिल जाते हैं।

हालांकि दिल्ली हादसे के बाद पटना में सर्च ऑपरेशन के दौरान प्रशासन ने कई कोचिंग संस्थानों को सील ककर दिया गया है। कुछ संस्थानों को निर्धारित अवधि के भीतर कमियों को दूर करने संबंधी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश भी दिया गया है। मुसल्लहपुर हाट बाजार समिति और भिखना पहाड़ी इलाके में इतने कोचिंग संस्थान हैं कि इन इलाकों की सड़कों पर पैदल चलना तक दूभर हो जाता है। हादसे की स्थिति में घटना स्थल तक अग्निशमन वाहन और एंबुलेंस को पहुंचाने में काफी वक्त लग जाएगा। कुछ गली ऐसी हैं जहां चारपहिया वाहन पहुंचना मुश्किल है।

कोचिंग संस्थानों की अधिकता का कारण

                                                      

इन इलाकों में कोचिंग संस्थानों की अधिकता का कारण यह भी है कि ये इलाके पटना यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों के पास हैं। पटना की अन्य जगहों के बनिस्बत छात्रों को रहने के लिए कमरा और लॉन्ज भी सस्ते में उपलब्ध हो जाते हैं। यही कारण है कि गरीब घर के छत्र जान जोखिम में डाल कर इन इलाकों में रहने और पढ़ने के लिए मजबूर होते हैं। कोचिंग संस्थान का व्यापार भी उसी इलाके में ज्यादा फलता- फूलता है, जहां छात्रों की संख्या अधिक होती है। इन इलाकों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए बिहार के कोने-कोने से छात्र-छात्राएं आते हैं।

काफी संख्या में पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती इलाकों के विद्यार्थी भी तैयारी के लिए आते हैं। इससे इतर पटना के बोरिंग रोड एग्जीबिशन रोड, बुद्ध मार्ग आदि इलाकों में संचालित ज्यादातर ब्रांडेड कोचिंग संस्थान नये-नये भवनों में संचालित हो रहे हैं जिन्हें छात्रों की सुरक्षा का भरपूर ख्याल रख कर बनाया गया है। लेकिन समस्या यह है कि यहां छात्रों की सुरक्षा के प्रति न तो कोई कोचिंग सेंटर संचालक सजग दिखते हैं, और न ही अभिभावक पुलिस भी हादसा होने के बाद ही हरकत में आती है। अव्वल तो यह कि इन संस्थानों को जुगाड़ और पैरवी के बल पर तमाम तरह के जरूरी लाइसेंस मिल जाते हैं। हालांकि दिल्ली हादसे के बाद पटना में सर्च ऑपरेशन के दौरान प्रशासन ने कई कोचिंग संस्थानों को सील भी कर दिया गया है।

इन कोचिंग की फीस सामान्य और गरीब घर के बच्चों की पहुंच से दूर है, जिससे उन्हें मजबूरन भीड़ वाले एरिया में जाना पड़ता है। गली-मोहल्लों में सबसे अधिक कोचिंग संस्थान नौवीं से 12वीं तक तथा रेलवे और एसएससी आदि की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स लिए संचालित हैं। वहां सुरक्षा मानकों का कोई खास ख्याल नहीं रखा जाता। जिला शिक्षा पदधिकारी संजय कुमार ने बताया कि जिले में कई कोचिंग संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे हैं। अब हर कोचिंग संस्थान को जिला शिक्षा कार्यालय से रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। किसी भी भवन के बेसमेंट और गैराज में कोचिंग संचालित करने पर रोक लगा दी गई है।

मानकों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई

                                                                      

वर्तमान में जिले में 515 कोचिंग संस्थान पंजीकृत हैं, म्यारह सौ कोचिंग संचालकों ने प्रशासन को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया है। जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि मानकों का उल्लंघन करने वाले कोचिंग संस्थानों को किसी भी हालत में चलने नहीं दिया जाएगा कोचिंग संस्थानों में इमरजेंसी डोर, फायर इंस्टिम्यूटर, फायर इस्टिम्यूसर चलाने का कर्मियों को प्रशिक्षण, कोचिंग संस्थानों में सीढ़ियों की पर्याप्त चौड़ाई पर्याप्त संख्या में प्रवेश और निकास द्वार पेंटिलेशन की व्यवस्था, कोचिंग संस्थानों में महिला-पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय, स्वच्छ की व्यवस्था होना अनिवार्य है।

फिलहाल करीब तीन हजार बड़े कोचिंग संस्थानों की जांच कराई जा रही है। छोटे कोचिंग संस्थानों के निबंधन की जांच भी कराई जाएगी। मानकों का पालन नहीं करने वाले कोचिंग संस्थानों को बंद कराया जाएगा। नगर निगम क्षेत्र के कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा मापदंडों की जांच के लिए डीएम ने चार सदस्यीय टीम बनाई है। आपदा प्रबंधन के अपर समाहतां डीपी शाही के नेतृत्व में शहरी योजना (नगर निगम) निदेशक सुरेश प्रसाद सर्वशिक्षा को डीपीओ कुमकुम पाठक एवं सहायक अग्निशमन पदाधिकारी इंद्रजीत कुमार टीम में शामिल किए गए हैं।

                                                           

प्रशासन द्वारा कोचिंग संस्थानों में जांच के डर से कई संचालक स्वतः ताला लगा कर अंडरग्राउंड हो गए हैं। कई संस्थानों को प्रशासन द्वारा बंद कराया गया है। कोचिंग सेंटर बंद होने के कारण विद्यार्थियों में चिंता व्याप्त है क्योंकि कुछ महीनों में संघ लोक सेवा आयोग समेत दूसरे राज्यों के लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं होने वाली हैं। बीपीएससी की तैयारी कराने वाले कई कोचिंग संस्थान बंद हो गए हैं। कोचिंग संस्थानों को अनिवार्य सुविधाएं और कागजात दुरुस्त करने के लिए एक महीने का समय दिया गया है।

जिला प्रशासन ने बेसमेंट और गोदाम में चलने वाले सभी कोचिंग सेंटरों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया है। छात्रों का कहना है कि परीक्षा नजदीक होने पर मानसिक दबाव अधिक रहता है। परीक्षा से कुछ महीने पूर्व प्रैक्टिस के दौरान कोचिंग बंद होने से रूटीन पटरी से उत्तर गई है। ज्यादातर कोचिंग संस्थानों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लेकिन क्लास में पढ़ने से दुविधा वाले सवालों का तुरंत हल मिल जाता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।