मैन्यूफैक्चरिंग के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने की तैयारी      Publish Date : 18/08/2024

             मैन्यूफैक्चरिंग के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने की तैयारी

                                                                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

‘‘बजट में एमएसएमई और रक्षा क्षेत्र के लिए आ सकती है उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना’’

देश की आबादी में 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी 18-35 वर्ष के लोगों की है। वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में सरकार रोजगार सृजन के विभिन्न उपायों के साथ इस वर्ग को साधना चाहती है। मुख्य रूप से पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी, एमएसएमई के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) जैसी स्कीम के साथ ग्रामीण इलाके में यूनिट लगाने पर प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की जा सकती है। सरकार पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी के लायक बनाने के लिए कुछ वित्तीय सहायता के साथ उन्हें डिजिटल टेक्नीकल एवं विभिन्न उभरते हुए सेक्टर में ट्रेनिंग प्रोग्राम भी लांच कर सकती है।

  • 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है एमएसएमई सेक्टर देश की जीडीपी में
  • 15 प्रतिशत के लगभग है देश की जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी
  • 14 सेक्टर के लिए पिछले चार सालों में पीएलआई स्कीम लाई गई

जीडीपी व निर्यात दोनों में 40 प्रतिशत से अधिक योगदान देने वाले एमएसएमई सेक्टर के लिए अलग से पीएलआई जैसी स्कीम लाने पर वे बड़ी मात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग के लिए नया निवेश कर सकते हैं। इससे रोजगार का सृजन होगा। ऐसा भी हो सकता है कि सरकार इंसेंटिव को रोजगार सृजन से जोड़ दे। वर्तमान में 14 सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम लाई गई है, लेकिन इस स्कीम का लाभ लेने के लिए उन्हें 100 करोड से अधिक निवेश की जरूरत होगी और एमएसएमई बड़ी मात्रा में निवेश नहीं कर सकते हैं।

एमएसएमई के लिए अलग से पीएलआइ स्कीम आने पर लेदर, गारमेंट्स, आटो पार्ट्स जैसे सेक्टर में एमएसएमई आसानी से बड़ी मात्रा में निवेश कर सकती हैं। घोषित पीएलआइ स्कीम की सहायता से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, व्हाइट गुड्स जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश किए गए हैं और लाखों की संख्या में रोजगार भी सृजित हए हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में नए संयंत्र पर प्रोत्साहन संभव

बजट में सरकार ग्रामीण इलाके के पास यूनिट लगाने वालों की मार्केटिंग और उन्हें अन्य बिजनेस सुविधा के लिए प्रोत्साहन पैकेज भी दे सकती है। जानकारों का कहना है कि इससे ग्रामीण इलाके में रोजगार का सृजन होगा और ग्रामीण खपत बढ़ेगी। गत 23 जुलाई को पेश किए गए बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ ग्रीन सेक्टर में मैन्यूफेक्चरिंग को बढ़ाने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा हो सकती है। जाहिर है कि इससे भी रोजगार में बढ़ोतरी होगी।

सरकार पूंजीगत खर्च में कर सकती है बढ़ोतरी

फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में पूजीगत खर्च (कैपेक्स) के मद में 11.1 लाख करोड़ रूपये की धनराशि का आवंटन किया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्ण बजट में इसको बढ़ाकर 11.8 लाख करोड़ रूपये तक किया जा सकता है। कैपेक्स में सरकार लगातार बढ़ोतरी कर रही है, क्योंकि इससे बुनियादी सुविधाओं के विकास का काम होता है जिससे रोजगार निकलता है और फिर उस रोजगार से खपत में बढ़ोतरी होती है।

वित्तीय पैकेज देने से सरकार नहीं हटेगी पीछे

जानकारों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में सरकार के टैक्स राजस्व में दहाई अंक में बढ़ोतरी हुई है और राजकोषीय घाटे को भी सरकार लक्ष्य के भीतर जीडीपी के 5.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रही है, इसलिए रोजगार सृजन के लिए विभिन्न पैकेज देने में सरकार को कोई वित्तीय झिझक भी नहीं होगी। अभी देश के जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत के पास है और इस हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक ले जाने के लिए बजट में विशेष ध्यान दिया जा सकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।