वर्तमान मे कृषि का अमृतकाल चल रहा है      Publish Date : 14/08/2024

वर्तमान मे कृषि का अमृतकाल चल रहा है

प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

शिवराज सिंह चौहान केंद्र सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री कृषि विकास और किसान कल्याण ने कहा कि हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है, अन्य के माध्यम से हमारे जीवन संचालन के सूत्रधार अन्नदाता की जीवन में सुख समृद्धि लाना है। यह हमारा दृढ़ संकल्प है और इस संकल्प की पूर्ति के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। कृषि की आय बढ़ाने के लिए हमने एक सूत्रीय रणनीति बनाई है उत्पादन बढ़ाना खेती की लागत घटना उत्पादन के उचित दाम दिलाना।

                                                                     

प्राकृतिक आपदा में राहत की उचित राशि दिलाना, कृषि का वृद्धि कारण तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना भी इसके अहम पहलू हैं। उत्पादन बढ़ाने और लागत को घटाने के लिए सबसे जरूरी है, अच्छे बीज जो कम पानी और विपरीत मौसम में भी बेहतर उत्पादन में सक्षम हो सके। ऐसे बीजों की 119 नई किस्मों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्र और किसानों को समर्पित किया है।

बीते 10 वर्षों में कृषि प्रदर्शन तेजी से बदलता रहा है। ग्लोबल वार्मिंग तथा पर्यावरण असंतुलन जैसी समस्याओं के बीच उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इस चुनौती से निपटने के लिए अगले 5 वर्षों में हमारा लक्ष्य जलवायु अनुकूल फसलों को 1500 नई किस्म तैयार करने का है। वर्तमान में विज्ञान से ही किसानों का कल्याण संभव है। मुझे अपने कृषि वैज्ञानिकों पर गर्व है, जो जलवायु अनुकूल किस्में तैयार कर रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि में किया जा रहे नवाचारों से कृषि एवं किसान कल्याण सुनिश्चित होगा।

                                                                          

एक किसान होने के चलते मैं भी यह बात समझता हूं कि बढ़िया उत्पादन के लिए अच्छे बीज कितने आवश्यक हैं। अगर बीज उन्नत और मिट्टी एवं मौसम की प्रकृति के अनुकूल होंगे तो उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। मोदी जी ने यह समझा और व्यापक विजन के साथ इस दिशा में कार्य करने के लिए हमें मार्गदर्शित किया। विविधता भारतीय कृषि की एक विशेषता रही है इसीलिए यहां कुछ दूरी के अंतराल पर ही खेती का मिजाज बदल जाता है, जैसे मैदानी खेती अलग है तो पहाड़ों की खेती अलग है।

इन सभी विभिन्नताओं और विविधताओं को ध्यान में रखते हुए फसलों की 119 नई किस्म जारी की गई है। इनमें खेती की 69 किस्म और बागवानी की 40 किस्में राष्ट्र को समर्पित कर दी गई है। भारत को ग्लोबल न्यूट्रीशन हब बनाने और श्री अन्न को प्रोत्साहित करने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से संकल्पबद्व है। हमारा संकल्प है कि किसानों के परिश्रम का उचित मूल्यांकन हो और उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले। इसके लिए हम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर रहे हैं।

किसानों की आय बढ़ाना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की यह चिंता भी रही है कि मानव शरीर और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पादन हो। भारत वर्तमान में नई हरित क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारे अन्नदाता ऊर्जा, डाटा तथा ईंधन डाटा भी बना रहे हैं। मोदी जी के प्रयासों से खेती के साथ ही पशुपालन, मधुमक्खी पालन, औषधीय पौधों की खेती और फूलों एवं फलों की खेती सहित अन्य संबंधित क्षेत्रों को भी सशक्त बनाया जा रहा है।

                                                                    

पूर्ववर्ती सरकारों की प्राथमिकता में कृषि और किसान कभी रहे ही नही,ं जबकि मोदी जी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में अभूतपर्व प्रगति हुई है। वर्ष 2013-14 में कृषि मंत्रालय का बजट 2763 करोड रुपए था जो 2024 और 25 में बढ़कर 132470 करोड रुपए हो गया है। यह बजट सिर्फ कृषि विभाग का है, कृषि से संबद्ध क्षेत्रों और फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए अलग बजट का प्रावधान किया गया है। मोदी सरकार किसानों को यूरिया और डीएपी सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है।

यूरिया पर सरकार किसानों को करीब 2100 रुपए की सब्सिडी जबकि डीएपी के बैग पर 1083 रुपए की सब्सिडी जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि से किसान स्वावलंबी और सशक्त हुआ है। फसलों के नुकसान पर भी फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है। मोदी सरकार में किसान को सशक्त बनाने के लिए खेत से लेकर बाजार तक हर वह फैसला लिया जो किसानों के लिए खेती को और आसान बनाकर उनकी मुश्कलें कम करें और मुनाफा बढ़ा सके।

इसी कड़ी में एक लाख करोड रुपए की एग्री इंफ्रा फंड के जरिए कृषि से जुड़ा बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। पूरे देश में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र, किसान और कृषि वैज्ञानिकों को जोड़ रहे हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के जरिए टेक्नोलॉजी से दूर दराज की हमारी माता बहनों को भी जोड़ा जा रहा है। कृषि सखियों को प्रशिक्षण देने से पहले चरण में अब तक 23000 किसी सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

                                                                             

मोदी जी का विजन है कि भारत कृषि में आत्मनिर्भर बने। इस दिशा में भी रणनीति बनाकर कार्य किया जा रहा है और अगले 5 वर्षों में हम 18000 करोड रुपए की लागत से 100 निर्यात केंद्रित बागवानी क्लस्टर बनाएंगे। किसानों के लिए मंडी तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए 1500 से अधिक मंडियों का एकीकरण किया जाएगा। साथ ही 6800 करोड रुपए की लागत से तिलहन मिशन की शुरूआत की जा रही है। सब्जी उत्पादन क्लस्टर बनाने के लिए भी तैयारी चल रही है। इससे छोटे किसानों को सब्जी, फल एवं उनकी अन्य उपज के लिए नए बाजार और बेहतर दाम मिलेंगे। सरकार ने यह संकल्प भी लिया है कि दलहन फसलों में तुवर, उड़द और मसूर की पूरी खरीद एसपी पर की जाएगी।

यजुर्वेद में कहा गया है कि ‘‘अनापत्ति नमः क्षेत्र नमः पते नमः’’ अर्थात अन्न के स्वामी और खेती के स्वामी अन्नदाताओं को नमन है।

कृषि पाराशर में भी लिखा गया है कि अन्न ही प्राण है, अन्न ही बोल है एवं अन्न ही समस्त प्रयोजनों का एकमात्र साधन है। किसानों के बिना इस देश का अस्तित्व ही अधूरा है, इसीलिए हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी किसानों को प्रणाम किया गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड है और किसान उसकी आत्मा। हमारे लिए किसान की सेवा भगवान की पूजा के समान है। आज प्रधानमंत्री मोदी जी के दीर्घकालिक विजन तथा सर्वांगीण सर्वस्पर्शीय समावेशी और समग्र विकास वाली सोच के साथ भारतीय   कृषि निरंतर आगे बढ़ रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे किसान भाई बहन आजादी के अमृत काल में आत्मनिर्भर भी बनेंगे और समृद्ध संपन्न होने के साथ-साथ देश में अन्न के भंडार भरते रहेंगे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।